अगर आप अकाउंटेंसी की पढ़ाई करते हैं तो आपने अवश्य ही Cash Book के बारे में सुना होगा । अकाउंटेंसी की पढ़ाई कर रहे छात्रों के लिए यह एक महत्वपूर्ण चैप्टर है जिसके बारे में पूरी जानकारी होना जरूरी होता है । स्कूलों में कैश बुक के बारे में जानकारी तो दी जाती है, लेकिन तरीका काफी जटिल होता है जिससे छात्र कांसेप्ट समझ नहीं पाते ।
इसलिए हमने इस आर्टिकल को तैयार किया है जिसमें कैशबुक के बारे में विस्तार से, उदाहरण के साथ आसान शब्दों में जानकारी दी जायेगी । हमने इस विषय से संबंधित सभी प्रश्नों का उत्तर इस आर्टिकल में दिया है । वे प्रश्न हैं:
- कैशबुक क्या है
- कैश बुक के फायदे क्या हैं और इसकी सीमाएं
- कैश बुक के प्रकार
- कैश बुक कैसे तैयार करें
- Cash Book और Bank Book में अंतर
Cash Book क्या है ?
Cash Book एक प्रकार की डायरी है जिसमें एक व्यवसाय द्वारा किए गए सभी नकद लेनदेन रिकॉर्ड किए जाते हैं । यह व्यवसाय को प्राप्त होने वाले कैश और व्यवसाय से बाहर जाने वाले कैश को रिकॉर्ड करता है ताकि किसी भी समय यह पता लगाया जा सके कि व्यवसाय के पास कितना पैसा मौजूद है ।
यह हर नकद भुगतान वाले लेनदेन को रिकॉर्ड करता है । रिकॉर्ड करते समय तिथि, धनराशि, शामिल व्यक्ति और कम्पनी का नाम के साथ ही अन्य जरुरी जानकारियां इसमें लिखी जाती हैं । आमतौर पर जो बड़े Business Organisations होते हैं वे इसे अक्सर दो भागों में बांट देते हैं:
- Cash Disbursement Journal
- Cash Receipts Journal
Cash Disbursement Journal के अंतर्गत चेक या कैश द्वारा होने वाले खर्चों को रिकॉर्ड किया जाता है । तो वहीं इसके उलट Cash Receipts Journal के अंतर्गत चेक या कैश प्राप्ति का ब्यौरा लिखा जाता है । इस तरह समझ लीजिए कि Disbursement यानि खर्चे और Reciepts यानि आय ।
Cash Book Example
Cash Book Example के तौर पर आप मिस्टर मेहता बिजनेस का उदाहरण ले लीजिए । मिस्टर मेहता का सीमेंट का बिजनेस है और लगातार इनके यहां Financial Transactions होते रहते हैं । जाहिर सी बात है कि एक बिजनेस में सिर्फ और सिर्फ खर्चे ही नहीं बल्कि आय भी होगी । ऐसे में सभी ट्रांजेक्शन का लेनदेन करने और बिजनेस के पास मौजूद धनराशि की गणना करने के लिए उन्हें कैश बुक तैयार करवाना होगा ।

कैश बुक का एक उदाहरण आप ऊपर देख सकते हैं । इसमें सबसे पहला कॉलम उस Date को रिकॉर्ड करता है जब लेनदेन हुआ है, इसके पश्चात जो ट्रांजेक्शन हुआ है उसका डिस्क्रिप्शन Particulars के अंतर्गत रिकॉर्ड किया जाता है । तीसरा कॉलम Cash Received का है जिसमें उस धनराशि को लिखा जाता है जो बिजनेस को प्राप्त हुआ है ।
तो वहीं Cash Paid के अंतर्गत उस धनराशि को लिखा जाता है जो खर्च हुए हैं या व्यवसाय से बाहर गए हैं । सबसे अंत वाले कॉलम में Balance लिखा जाता है । इसके अंतर्गत कुल धनराशि का विवरण दिया जाता है । Closing Balance की धनराशि को निकालने के लिए पहले ही ट्रांजेक्शन से जोड़ना घटाना आपको शुरू कर देना चाहिए । Cash Received में से Cash Paid को घटाते हुए अंत में आप क्लोजिंग बैलेंस निकाल सकेंगे ।
Cash Book के प्रकार
कैश बुक मुख्य रूप से दो प्रकार होते हैं, पहला Single-column Cash Book और दूसरा Double-column Cash Book । चलिए दोनों के बारे में आसान शब्दों में उदाहरण के साथ समझते हैं:
1. Single-column Cash Book
सिंगल कॉलम कैश बुक के अंतर्गत एक बिजनेस के सभी लेनदेन को रिकॉर्ड किया जाता है । इसमें सिर्फ एक ही कॉलम होता है जिसमें सभी cash receipts और payments को रिकॉर्ड किया जाता है । इसका इस्तेमाल अक्सर वे बिजनेस करते हैं जिनके कम ट्रांजेक्शन कम होते हैं । यह एक Ledger Book की ही तरह होता है ।

इसमें आप देख सकते हैं कि सिर्फ एक ही कॉलम में आय और खर्च दोनों को रिकॉर्ड किया जाता है । इसके बाद अंत में Balance c/d लिखा जाता है ।
2. Double-column Cash Book
डबल कॉलम कैश बुक के अंतर्गत दो अलग अलग कॉलम में एक बिजनेस के ट्रांजैक्शंस को रिकॉर्ड किया जाता है । एक कॉलम होता है आय के लिए और दूसरा खर्च के लिए (सिर्फ कैश) । इसका इस्तेमाल आमतौर पर बड़े बिजनेस करते हैं जिनका भारी मात्रा में ट्रांजेक्शन होता है । इसके भी दो प्रकार हैं:
- Two-column cash book
- Three-column cash book
Three-column cash book के अंतर्गत डिस्काउंट्स को रिकॉर्ड किया जाता है । जो डिस्काउंट प्राप्त हुए हैं और डिस्काउंट दिए गए हैं, उन्हें तीसरे कॉलम में रिकॉर्ड किया जाता है ।
Cash Book के फायदे और सीमाएं
Cash Book के कई फायदे हैं तो वहीं कुछ सीमाएं भी हैं । चलिए दोनों को हम बिंदुवार क्रम में समझते हैं और जानते हैं कि इसके फायदे और कमियां क्या क्या हैं । सबसे पहले हम कैश बुक के फायदे समझेंगे:
- कैश बुक नकद प्राप्तियों और भुगतानों सहित सभी नकद लेनदेन का रिकॉर्ड प्रदान करती है
- कैश बुक कैश हैंडलिंग में त्रुटियों को कम करने में मदद करती है, क्योंकि यह सभी लेनदेन का स्पष्ट रिकॉर्ड प्रदान करती है
- कैश बुक व्यवसाय की नकदी स्थिति का स्पष्ट स्तिथि प्रदान करती है, जिससे मालिकों को अपने वित्त को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में मदद मिलता है
- कैश बुक बनाए रखना व्यवसायों के लिए एक कानूनी आवश्यकता है ताकि टैक्स और अन्य रेगुलेशन का पालन किया जा सके
- कैश बुक व्यवसायों को सही निर्णय लेने और अपने फाइनेंस को प्लान करने में मदद करता है
जहां Cash Book Benefits हैं तो वहीं इसकी कुछ सीमाएं भी हैं । चलिए रोकड़ बही की कुछ कमियों के बारे में समझते हैं:
- कैश बुक की सबसे बड़ी कमी यही है कि यह सिर्फ और सिर्फ कैश लेनदेन को ही रिकॉर्ड कर सकता है, न कि क्रेडिट सेल्स को
- रोकड़ बही बैंक विवरण के साथ मेल नहीं खाती है, जिससे रोकड़ बही शेष और बैंक शेष के बीच अंतर हो सकता हैं
- कैश बुक केवल वर्तमान नकद लेनदेन का रिकॉर्ड प्रदान करती है और इसमें ऐतिहासिक डेटा नहीं होता है
- कैश बुक तैयार करना समय की खपत करता है और कई बार इसे बनाने में त्रुटियां भी हो जाती हैं
Cash Book कैसे तैयार करें ?
एक प्रश्न जो अक्सर पूछा जाता है कि How to Prepare Cash Book in Hindi ? यानि कैश बुक कैसे तैयार करें ? तो चलिए आसान से स्टेप्स में समझते हैं कि आप कैसे बड़ी ही आसानी से कैश बुक तैयार कर सकते हैं या कैश बुक लिखने का तरीका क्या है:
Step 1: सबसे पहले यह तय करें कि आप किस प्रकार का कैश बुक तैयार करना चाहते हैं । इसके हिसाब से ही Date, Particulars, Cash Received और Cash Paid का कॉलम खींच लें ।
Step 2: इसके बाद सबसे पहले Opening Balance दर्ज करें । ओपनिंग बैलेंस किसी भी फाइनेंशियल ईयर का आखिरी बैलेंस होता है या यूं कहें कि किसी वित्तीय वर्ष का शुरुआती बैलेंस ।
Step 3: अब आपको सीधे सभी फाइनेंशियल ट्रांजैक्शंस को रिकॉर्ड कर सकते हैं । आप ऊपर दिए दो स्क्रीनशॉट की मदद ले सकते हैं और बिल्कुल उसी प्रकार से सभी वित्तीय कैश लेनदेन रिकॉर्ड कर सकते हैं ।
Step 4: अंत में आपको Cash Received और Cash Paid को कैलकुलेट करके अंत में लिख देना है । अंत में ही आपको Closing Balance भी कैलकुलेट करके लिख लेना है । यह आरंभिक शेष राशि और प्राप्त कुल नकद राशि घटाकर भुगतान की गई कुल नकदी है ।
Step 5: इसके बाद जब आप अगली Cash Book तैयार करने जाएं तो आपको पहले कैश बुक के c/d यानि Carried down को अगले कैश बुक में b/d यानि brought down के तौर पर लिखें ।
तो इस तरह आप आसानी से एक कैश बुक को तैयार किया जा सकता है । आप मात्र 5 Steps में ही कैश बुक स्टेटमेंट तैयार कर सकते हैं । तो उम्मीद है कि आपको कैश बुक कैसे बनाया जाता है ? प्रश्न का उत्तर समझ गए होंगे । कई बिजनेस अब Online Cash Flow Tools का भी इस्तेमाल करते हैं ।
Cash Book और Bank Book में क्या अंतर है ?
Cash Book और Bank Book के बीच अंतर क्या है, यह प्रश्न अक्सर पूछा जाता है । दोनों को लेकर कई बार कन्फ्यूजन भी होता है । इसलिए हमने आपके लिए नीचे एक टेबल तैयार किया है जिसमें आपको दोनों के बीच के अंतर को स्पष्ट किया गया है ।
Cash Book | Bank Book |
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कैश बुक नकद प्राप्तियों और भुगतानों सहित सभी नकद लेन-देनों को रिकॉर्ड करती है | बैंक बुक बैंक खाते से संबंधित लेन-देन रिकॉर्ड करता है, जैसे जमा, निकासी और बैंक शुल्क |
रोकड़ बही उन लेन-देनों को रिकॉर्ड करती है जो नकदी (Cash) का उपयोग करके किए जाते हैं | बैंक बुक रिकॉर्ड लेन-देन जो बैंक खाते का उपयोग करके किए जाते हैं जैसे जमा, निकासी, इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर आदि |
कैश बुक में सभी लेन-देन सीधे बही में दर्ज किए जाते हैं | एक बैंक बही में, लेन-देन को आमतौर पर पहले बैंक विवरण में दर्ज किया जाता है और फिर बैंक बही में दर्ज किया जाता है |
रोकड़ बही का किसी बाह्य अभिलेख से मिलान करने की आवश्यकता नहीं होती है | रिकॉर्ड की सटीकता सुनिश्चित करने के लिए बैंक बुक को बैंक स्टेटमेंट के साथ मिलाने की जरूरत है |
कैश बुक हाथ में नकदी का संतुलन दिखाता है | बैंक बुक बैंक खाते का बैलेंस दिखाता है |