क्या आपने Cost Accounting के बारे में सुन रक्खा है, लेकिन इसके बारे में पूरी जानकारी नहीं पता ? अगर इसका उत्तर है हां तो यह लेख आपकी काफी मदद करेगा । बिजनेस और कॉमर्स से जुड़े terms समझने में ज्यादातर लोगों को समस्या होती है । लेकिन इस लेख में हम आपको बेहद ही आसान और सरल भाषा में उदाहरण सहित लागत लेखांकन के बारे में समझाएंगे ।
किसी भी व्यवसाय की सफलता के लिए यह महत्वपूर्ण होता है । इससे न सिर्फ बिजनेस को बल्कि निवेशक, कर्मचारी, सरकार और यहां तक कि उपभोक्ता को भी फायदा मिलता है । लेकिन कैसे ? यह financial accounting से कैसे अलग है ? कॉस्ट अकाउंटिंग के विभिन्न प्रकार क्या हैं ? इन सभी प्रश्नों पर विस्तारपूर्वक जानकारी आपको दी जायेगी ।
Cost Accounting क्या है ?

Cost Accounting को हिंदी में लागत लेखांकन भी कहते हैं । इसमें किसी कंपनी के उत्पादन और खर्चों का विश्लेषण किया जाता है, जिससे कि कंपनी के प्रत्येक इकाई के कुल उत्पादन और लागत पता चल सके । यदि कम्पनी एक साथ कई उत्पादों को बना रही है तो लागत लेखांकन की मदद से यह पता लगाया जा सकता है कि कौन सा कार्य फायदा दे रहा है और कौनसा नहीं ।
ऐसा माना जाता है कि Cost Accounting की शुरुआत industrial revolution से हुई थी । औद्योगिक क्रांति की शुरुआत पारंपरिक उद्योग प्रक्रिया को मशीनी उधोग में बदलने के मकसद से हुआ था । औधोगिक क्रांति का मुख्य मकसद व्यवसाय में टेक्नोलॉजी और मशीनों को शामिल करना था ।
20वीं शताब्दी तक लागत लेखांकन लगभग पूरी दुनिया में प्रचलित हो चुका था । इस तरह आप अच्छे से लागत लेखांकन का अर्थ क्या है समझ गया होंगे । अब हम देखेंगे कि दुनिया भर के विद्वान लागत लेखांकन को कैसे परिभाषित करते हैं ।
Cost Accounting Definition
अलग अलग विद्वानों ने भिन्न भिन्न cost accounting definition दिए हैं । आइए एक नजर डालते हैं इन परिभाषाओं पर:
1. आई० सी० डब्ल्यू० ए० लन्दन: “व्ययों के किये जाने से लेकर उन्हें लागत केन्द्रों एवं लागत इकाइयों से सम्बन्धित करने तक लागत का लेखा करने की प्रक्रिया से है । व्यापक अर्थ में इसके अन्तर्गत सांख्यिकीय आँकड़ों को तैयार करना, लागत नियन्त्रण विधियों का प्रयोग तथा नियोजित या प्रयोग की गई क्रियाओं की लाभदायकता का निर्धारण सम्मिलित है ।”
2. हैराल्ड जेम्स: “लागत लेखा विधि उत्पादन व्ययों का इस प्रकार उचित ढंग से वितरण एवं प्रस्तुतजिससे इसके मार्गदर्शन द्वारा उत्पादक अपने व्यापार पर नियन्त्रण कर सके ।”
3. एच० जे० व्हेलडन: “लागत लेखा का आशय उत्पादित वस्तुओं या सेवाओं की लागत निर्धारण हेतुवर्गीकरण करना, लेखा रखना तथा उपयुक्त वितरण करना है ।”
4. डब्ल्यू डब्ल्यू० विंग: “लागत लेखांकन, व्ययों के ऐसे विश्लेषण व वर्गीकरण की व्यवस्था करना जिससे उत्पादन की विशेष इकाई की कुल लागत का निर्धारण शुद्धतापूर्वक किया जा सके और साथ ही यह भी ज्ञात हो सके कि कुल लागत किस प्रकार से बनी है ।”
Fixed Cost और Variable Cost क्या है ?
जब आप Cost Accounting पढ़ेंगे तो तो टर्म्स बार बार आपको दिखलाई पड़ेंगे । पहला है Fixed Cost और दूसरा है Variable Cost । चलिए इसके बारे में आसान भाषा में समझते हैं:
1. Fixed Cost
Fixed Cost को हिंदी में निश्चित लागत कहा जाता है । वस्तुओं या सेवाओं का उत्पादन किया जाता है या नहीं, इसकी परवाह किए बिना निश्चित लागत समान रहती है । इस प्रकार, कोई कंपनी निश्चित लागतों से नहीं बच सकती है । इसके कुछ उदाहरण हैं पट्टे और किराए का भुगतान, संपत्ति कर, वेतन, बीमा, ब्याज भुगतान ये सभी निश्चित लागत के अंतर्गत आते हैं ।
2. Variable Cost
Variable Cost को हिंदी में परिवर्तनीय लागत कहते हैं । इसके नाम से ही आप समझ गए होंगे कि यह ऐसी लागत जो परिवर्तनशील है और कंपनी के उत्पादन के हिसाब से घटता बढ़ता है । परिवर्तनीय लागतों में श्रम, कमीशन और कच्चे माल शामिल होते हैं ।
Financial Accounting और Cost Accounting में अंतर
Financial Accounting जिसे वित्तीय लेखांकन कहा जाता है, कई मायनों में लागत लेखांकन से अलग है । जहां कॉस्ट अकाउंटिंग बिजनेस के अंदरूनी निर्णयों को लेने में मदद करता है जबकि वित्तीय लेखांकन आमतौर पर बिजनेस के बाहरी लोग इस्तेमाल करते हैं जैसे निवेशक या उधारकर्ता ।
नीचे दिए टेबल की मदद से आप इन दोनों के बीच के अंतर को समझ सकते हैं:
Financial Accounting | Cost Accounting |
---|---|
Financial Accounting किसी बिजनेस के वित्तीय जानकारी पर ध्यान केंद्रित करता है | Cost Accounting में एक व्यवसाय उत्पादन गतिविधियों में लगने वाले कुछ खर्चों पर नजर रखता है |
वित्तीय लेखांकन प्रोडक्शन की प्रक्रिया में लगने वाले सामग्री, श्रम आदि को रिकॉर्ड करता है | लागत लेखांकन सिर्फ उन्हीं लेनदेन को रिकॉर्ड करता है जो मौद्रिक रूप में होते हैं |
हर व्यवसाय के लिए जरूरी नहीं है | हर व्यवसाय के लिए जरुरी होता है |
बिजनेस में लगने वाले लागत को कम करना और नियंत्रित करना इसका मुख्य उद्देश्य | वित्तीय लेनदेन का पूरा रिकॉर्ड करना इसका मुख्य उद्देश्य |
बजट तकनीक की मदद से भविष्यवाणी आसान होती है | इसमें भविष्यवाणी करना आसान नहीं होता है |
Types of Cost Accounting in Hindi
Cost Accounting यानि लागत लेखांकन के कई प्रकार होते हैं । चलिए एक एक करके लागत लेखांकन के प्रकार को समझते हैं:
1. मानक लागत लेखांकन
Standard cost accounting यानि मानक लागत लेखांकन कई प्रकार के अनुपात की मदद से यह पता लगाता है कि मानक परिस्थितियों में वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करने के लिए श्रम और सामग्रियों का कितनी कुशलता से उपयोग किया जा रहा है या उपयोग किया जा सकता है ।
2. गतिविधि आधारित लागत लेखांकन
Activity based cost accounting यानि गतिविधि आधारित लागत लेखांकन गतिविधियों की लागत और निगरानी के लिए एक दृष्टिकोण है जिसमें संसाधनों की खपत का पता लगाना और अंतिम आउटपुट की लागत, गतिविधियों को सौंपे गए संसाधन, और वस्तुओं की लागत के आधार पर गतिविधियों को शामिल करना है ।
3. लीन एकाउंटिंग
Lean accounting का अर्थ ग्राहक को मूल्य प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करना और वित्तीय प्रथाओं और प्रक्रियाओं के प्रबंधन के लिए अपशिष्ट उन्मूलन का प्रयास करना होता है ।
4. सीमांत लागत लेखांकन
इस प्रकार के लागत लेखांकन में कंपनी के उत्पादों, बिक्री की मात्रा, उत्पादन राशि, लाभ, लागत और व्यय के बीच संबंध का विश्लेषण करना शामिल है । इस संबंध को contribution margin के रूप में जाना जाता है, जिसकी गणना राजस्व से परिवर्तनीय लागत को घटाकर, शेष को राजस्व से विभाजित करके की जाती है ।
इस तरह आप अच्छे से समझ गए होंगे कि types of cost accounting in Hindi क्या हैं ? चलिए अब समझते हैं कि लागत लेखांकन के फायदे क्या क्या हैं ।
Advantages of Cost accounting in Hindi
Cost Accounting यानि लागत लेखांकन के कई फायदे हैं और कुछ फायदों के बारे में हमने ऊपर ही आपसे जिक्र भी किया है । इसके अन्य फायदे इस प्रकार हैं:
- इससे लाभ हानि का तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत करने में आसानी होती है ।
- इसकी मदद से उत्पादन में लगने वाले कुल लागत, प्रति इकाई लागत और विभिन्न चरणों में लगने वाली लागत का पता लगाया जा सकता है ।
- यह नीति निर्धारण और निर्णयन हेतु आवश्यक सूचनाएं प्रदान करता है ।
- लाभप्रद और अलाभप्रद कार्यों के वर्गीकरण में आसानी होती है ।
- विक्रम मूल्य के निर्धारण में मदद मिलती है ।
इस तरह लागत लेखांकन के कई लाभ हैं और यह किसी भी संस्था के लिए महत्वपूर्ण होता है । यह किसी बिजनेस में लगने वाले लागत को कम करने के साथ ही उसे नियंत्रित भी करता है । किसी भी बिजनेस के लिए वित्तीय प्रबंधन एक बड़ी जिम्मेदारी होती है जिसमें cost accounting मदद करता है । लागत लेखांकन की विशेषता यही है कि यह बिजनेस केडी नीति निर्धारण में अहम भूमिका निभाता है ।
Cost accounting methods in Hindi
अब हम संक्षेप में बात करेंगे कि लागत लेखांकन की विधियां कौन कौन सी हैं । इसके अलग अलग होने का कारण यह है कि व्यवसाय भी अपने संगठन, आकर, संसाधनों और प्रकृति के आधार पर अलग अलग होते हैं । चलिए cost accounting methods के बारे में जानते हैं:
- प्रक्रिया लागत विधि
- परिचालन लागत विधि
- इकाई एवं उत्पादन लागत पद्धति
- ठेका लागत एवं उपकार्य लागत पद्धति
- प्रमाप लागत विधि
- सीमांत लागत विधि
- समूह लागत पद्धति
- लागत योग पद्धति
- विभागीय लागत पद्धति
- लक्ष्य लागत पद्धति
- बहुसंख्यक या मिश्रित लागत पद्धति
ये कुल विधियां हैं जिनकी मदद से लागत लेखांकन की जाती है । विभिन्न व्यावसायिक उपक्रम के लिए भिन्न भिन्न कॉस्ट अकाउंटिंग मेथड्स प्रयोग में लाए जाते हैं ।
Cost Accounting Software
आज के डिजिटल युग में कोई भी क्षेत्र Technology और digitalisation के असर से बच नहीं पाया है । अकाउंटिंग के भी क्षेत्र में अब सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल हो रहा है और पारंपरिक तरीकों को लोग छोड़ रहे हैं । कुछ cost accounting software जिनकी मदद आप ले सकते हैं:
Conclusion on Cost Accounting in Hindi
Cost Accounting यानि लागत लेखांकन क्या होता है, इसके कितने प्रकार होते हैं, लागत लेखांकन की विधियां क्या हैं और इसका महत्व क्या है आदि कई बिंदुओं पर आपको विस्तार से जानकारी दी गई है । हमें उम्मीद है कि आप अच्छे से कॉस्ट अकाउंटिंग समझ गए होंगे । अगर आपका कोई बिजनेस है तो आप कॉस्ट अकाउंटिंग के लिए सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल भी कर सकते हैं जिसकी जानकारी भी दी गई है ।
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