Escrow Account को आसान शब्दों में समझने के लिए हम फ्रीलांसिंग का उदाहरण लेंगे । फ्रीलांसिंग के अन्तर्गत एक Freelancer किसी क्लाइंट का कोई निश्चित कार्य पूरा करता है, जिसके बदले में उसे पैसे मिलते हैं । लेकिन क्या ये पैसे क्लाइंट सीधे फ्रीलांसर को देता है ? जी नहीं, इस तरह तो फ्रॉड होने का डर बना रहेगा ।
क्लाइंट के मन में यह विचार आयेगा कि अगर फ्रीलांसर मेरा काम किए बिना पैसे लेकर फुर्र हो गया तो ? फ्रीलांसर के मन में यह विचार आयेगा कि काम पूरा करवाकर अगर क्लाइंट ने पैसे ही न दिए तो ? इसी परेशानी को दूर करता है एक एस्क्रो अकाउंट । लेकिन कैसे ?
हम इस आर्टिकल में समझेंगे कि Escrow Account Meaning in Hindi क्या है, यह किस प्रकार buyer और seller दोनों के हितों की रक्षा करता है, इसके फायदे क्या हैं और इसकी पूरी प्रक्रिया क्या है । इन सभी प्रश्नों का जवाब आपको सरल शब्दों में उदाहरण देते हुए समझाया जायेगा ।
Escrow Account क्या है ?
Escrow Account लेन-देन करने वाले दो पक्षों के बीच एक अस्थायी कानूनी व्यवस्था है जहां एक तीसरा पक्ष वित्तीय भुगतान रखता है । यह खाता अस्थायी होता है और तभी तक संचालित किया जाता है जबतक कि लेनदेन पूरा न हो जाए । यह अकाउंट भुगतान कॉन्ट्रैक्ट के सभी शर्तों को पूरा करने के बाद ही करता है ।
अब हम फ्रीलांसिंग वाला उदाहरण से ही दोबारा समझेंगे । जैसा कि मैंने आपको बताया, फ्रीलांसर और क्लाइंट दोनों के मन में पैसे के डूब जाने को लेकर संशय बना रहेगा । लेकिन इसी शंका को दूर करता है एक एस्क्रो अकाउंट । क्लाइंट पैसा सीधे फ्रीलांसर को भेजने के बजाय एस्क्रो अकाउंट में भेजता है ।
जब फ्रीलांसर क्लाइंट के उम्मीदों के अनुरूप कार्य पूरा करता है, तो क्लाइंट इसकी जानकारी Escrow को भेजता है । इसके बाद ही पैसे फ्रीलांसर को दिए जाते हैं । इसी तरह सिर्फ फ्रीलांसिंग ही नहीं बल्कि real estate dealings, mergers, acquisitions, online sales, stock issuance और public-private partnerships में भी एस्क्रो अकाउंट का इस्तेमाल होता है ।
Escrow Account Process in Hindi
इस कांसेप्ट को ज्यादा सरल ढंग से समझने के लिए आपको Escrow Account Process को समझ लेना चाहिए । एस्क्रो अकाउंट प्रक्रिया को समझने के बाद आपके सभी प्रश्नों का उत्तर आपको खुद ब खुद मिल जायेगा ।
Step 1: सबसे पहले Buyer और Seller एस्क्रो के माध्यम से एक डील करते हैं । लेकिन इस डील को शुरू करने से पहले उन्हें इस कॉन्ट्रैक्ट के सभी नियम और शर्तों को स्वीकार करना है ।
Step 2: इसके पश्चात Buyer यानि खरीददार डील के मुताबिक एक निश्चित धनराशि Escrow Account में भेजता है । एस्क्रो अकाउंट एजेंट इसकी जानकारी Seller को दे देते हैं ताकि वह निश्चित हो सके ।
Step 3: इसके बाद Seller एग्रीमेंट के तहत तय उत्पाद की डिलीवरी करता है । जब Buyer को प्रोडक्ट/सर्विस मिल जाती है तो वह उसे वेरिफाई करता है । वह यह जांच करता है कि सबकुछ तय एग्रीमेंट और उसकी उम्मीदों के मुताबिक है या नहीं ।
Step 4: जब Buyer को प्रोडक्ट/सर्विस उसके उम्मीदों के अनुरूप लगती है तो वह एस्क्रो अकाउंट एजेंट को जानकारी देता है । इसके पश्चात ही Seller को अकाउंट से पैसे भेजे जाते हैं ।
यह प्रक्रिया सुरक्षित होती है और दोनों ही पार्टियों के साथ धोखाधड़ी की संभावना कम हो जाती है । जैसे ही खरीददार को उसका प्रोडक्ट/सर्विस प्राप्त हो जाता है और बेचने वाले को उसका पैसा, वैसे ही एस्क्रो अकाउंट भी बंद हो जाता है । यानि हर नए एग्रीमेंट और कॉन्ट्रैक्ट के साथ यह खुलता है ।
Escrow Account Uses in Various Fields
Escrow Account का उपयोग ढेरों अलग अलग क्षेत्रों में किया जाता है । लेकिन मुख्य रूप से तीन ऐसे क्षेत्र हैं, जहां इसका उपयोग सबसे ज्यादा किया जाता है । खासकर कि भारत के दृष्टिकोण से देखें तो ये तीन मुख्य क्षेत्र हैं Freelancing, Rental Deposit और Government Contracts । चलिए संक्षेप में समझते हैं कि इन तीन क्षेत्रों में किस प्रकार एक एस्क्रो अकाउंट का इस्तेमाल होता है ।
1. Freelancing
भारत में धीरे धीरे Freelancing काफी लोकप्रिय हो रहा है और इसकी मदद से हजारों लोग घर बैठे Online Earning कर रहे हैं । लेकिन फ्रीलांसिंग का पूरा बिजनेस सुचारू रूप से चले, इसके लिए back end में कई महत्वपूर्ण चीजें होती हैं । उनमें से एक है Escrow Account । एक एस्क्रो अकाउंट यह सुनिश्चित करता है कि फ्रीलांसर और क्लाइंट, दोनों के हितों की रक्षा हो ।
फिलहाल अगर हम सबसे बड़ी फ्रीलांसिंग कंपनियों की बात करें तो इसमें Freelancer.com और Upwork.com का नाम सबसे पहले आता है । ये दोनों ही कंपनियां एस्क्रो अकाउंट का इस्तेमाल करती हैं । आने वाले समय में कई कंपनियां इस सुरक्षित तरीके को अपनाएंगी ।
2. Rental Deposits
दिल्ली और बैंगलोर जैसे शहरों में अब धीरे धीरे Escrow Account System को इंट्रोड्यूस किया जा रहा है । कई सोसाइटी और नगर पालिकाओं में अब धीरे धीरे कमरे का किराया लेने के लिए एस्क्रो अकाउंट का होना जरूरी हो गया है । इससे मकान मालिक किरायेदारों के security deposits को आसानी से एस्क्रो अकाउंट में सुरक्षित रख सकते हैं और जब वे कमरा छोड़कर जाने लगें तो उन्हे रुपए वापस मिल जायेंगे ।
इसके अलावा कई बार ऐसा भी होता है कि Landlord तय नियम और शर्तों के मुताबिक काम नहीं करता और एक किरायेदार का पूरा अधिकार बनता है कि वह rental deposits hold करे । इसमें भी एक एस्क्रो अकाउंट बहुत काम आता है ।
3. Government Contracts
भारत सरकार सहित दुनियाभर की सरकारें बड़ी बड़ी कंपनियों से कई प्रकार के कॉन्ट्रैक्ट साइन करती हैं । इस कॉन्ट्रैक्ट के तहत किसी को वित्तीय नुकसान न हो, इसका ध्यान रखने के लिए Escrow Account की मदद ली जाती है । अब इसे एक आसान से उदाहरण की मदद से समझिए । हाल ही में यह खबर आई है कि जम्मू कश्मीर में 5.9 Million Lithium Deposits मिले हैं ।
अब लिथियम के इस भंडार को बाहर निकालने और इस्तेमाल में लाने लायक बनाने के लिए सरकार किसी X Company को कॉन्ट्रैक्ट देती है । कॉन्ट्रैक्ट के नियमों में कम्पनी को सरकार की तरफ से दी जाने वाली धनराशि लिखी है, लेकिन एक निश्चित अवधि पर कोई निश्चित स्तर तक काम पूरा होने के पश्चात । तो कम्पनी अपना काम शुरू कर देगी और सरकार एस्क्रो अकाउंट में निश्चित धनराशि भेज देगी ।
निश्चित स्तर या समय तक कार्य पूरा होने के पश्चात सरकार एस्क्रो अकाउंट एजेंट को इसकी जानकारी देगी । सरकार के वेरिफिकेशन और एस्क्रो को जानकारी देने के पश्चात अकाउंट से फंड कंपनी के खाते में भेज दिए जायेंगे । इस तरह काम भी पूरा हुआ और कॉन्ट्रैक्ट के सभी नियम शर्त भी ।
Benefits of Escrow Account
एक Escrow Account के कई फायदे हैं । यह दो अलग अलग पार्टियों को सुरक्षित तरीके से एग्रीमेंट में आने में मदद करता है । इसके साथ ही दोनों ही पार्टियों के हितों की रक्षा भी करता है । तो चलिए एस्क्रो अकाउंट के फायदे समझते हैं:
- एस्क्रो के माध्यम से लेनदेन करने से पार्टियों के बीच विश्वास बढ़ता है
- यदि विक्रेता सामान या सेवाओं की आपूर्ति करने में विफल रहता है तो खरीदार को पैसा लौटा दिया जाता है
- एक एस्क्रो यह सुनिश्चित करता है कि अनुबंध करने वाले पक्ष ईमानदारी से प्रतिबद्धताओं को पूरा करें
- एस्क्रो सभी पक्षों के लिए नकदी प्रवाह को रूट करने का एक सुरक्षित और सुरक्षित तरीका प्रदान करता है
भारत में Escrow Account कैसे खोलें ?
चाहे आप HDFC Escrow account खुलवाना चाहते हैं या Escrow account SBI खुलवाना, आपको सबसे पहले बैंक के Main Branch में जाना होगा । तो सबसे पहले आप जिस भी बैंक में एक एस्क्रो खाता खुलवाना चाहते हैं, उस बैंक के नजदीकी शाखा में जाएं, कोशिश करें कि यह मुख्य शाखा हो । इसके पश्चात आपको खाता खुलवाने के लिए बैंक के एक्सपर्ट से बात करनी होगी ।
आमतौर पर आप बैंक मैनेजर से भी एस्क्रो अकाउंट खुलवाने के संबंध में बात कर सकते हैं । एक्सपर्ट से बातें करने के पश्चात आपसे कुछ डॉक्यूमेंट्स मांगे जाएंगे, जो हैं:
- KYC documents
- Escrow Account Application Form
- Company details
- Escrow Agreement
इसके बाद आप अपना एस्क्रो खाता खुलवा सकते हैं । यह खाता खुलवाते समय एग्रीमेंट में शामिल दोनों ही पार्टियों को एक साथ बैंक शाखा जाना चाहिए । खाता खुलवाने से पहले आपको सारी बातें ध्यानपूर्वक समझ लेनी चाहिए और पूरा कॉन्ट्रैक्ट कम से कम दो बार पढ़ लेना चाहिए । ताकि भविष्य में किसी प्रकार का कोई विवाद उत्पन्न न हो ।
आप चाहें तो सीधे बैंक जाने के बजाय ऑनलाइन भी Escrow Digital Platforms की मदद से अकाउंट खुलवा सकते हैं । इनकी मदद से भी खाता खुलवाना सुरक्षित है । कुछ प्लेटफार्म्स इस प्रकार हैं:
- Castler
- Escrowpay india
- Escrow.com
RBI Guidelines on Escrow Account
एस्क्रो अकाउंट को लेकर आरबीआई ने कुछ जरूरी दिशानिर्देश दिए हैं, जिन्हें ध्यान में रखना भी महत्वपूर्ण है । एस्क्रो फंड के आदान प्रदान पर ही आधारित है इसलिए इसे आरबीआई रेगुलेट भी करती है और इससे जुड़े नियम भी इसने तय किए हैं । अगर आप विस्तार से सभी दिशानिर्देश पढ़ना चाहते हैं तो RBI Guidelines on Escrow Account पर जाएं ।
FAQs
1. एस्क्रो अकाउंट का मतलब क्या होता है ?
एस्क्रो एक अस्थायी खाता है जो विक्रेता और खरीददार के बीच के लेनदेन को आसान और सुरक्षित बनाता है । यह खरीददार के फंड को अकाउंट में तबतक होल्ड करके रखता है जबतक कि तय एग्रीमेंट के मुताबिक विक्रेता खरीददार की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता ।
2. एस्क्रो खाता कौन खोल सकता है ?
एस्क्रो खाता कोई भी खोल सकता है जो किसी वित्तीय लेनदेन के एग्रीमेंट को शुरू करना चाहता है । हालांकि अकाउंट खुलवाने से पहले एग्रीमेंट के दोनों पक्ष खरीददार और विक्रेता की सहमति जरूरी होती है ।
3. एस्क्रो अकाउंट कैसे काम करता है ?
एस्क्रो अकाउंट सबसे पहले कॉन्ट्रैक्ट के तय नियमों के मुताबिक खरीददार से अकाउंट में रुपए जमा कराता है । इसके पश्चात जब विक्रेता खरीददार को पहले से निश्चित उत्पाद या सेवा प्रदान करता है और खरीददार उससे संतुष्ट हो जाता है, तभी जाकर एस्क्रो अकाउंट विक्रेता के खाते में रुपए भुगतान करता है । Escrow Account तीसरे पक्ष की तरह काम करता है ।
4. क्या भारत में एस्क्रो खाते हैं ?
भारत में सैंकड़ों की संख्या में एस्क्रो खाते संचालित हैं जिनका इस्तेमाल फ्रीलांसिंग, ऑनलाइन बिक्री, रियल एस्टेट, पार्टनरशिप बिजनेस आदि में किया जा रहा है । आने वाले समय में लगभग हर क्षेत्र में एस्क्रो खाते का प्रचलन बढ़ने की उम्मीद है ।