अगर आप बीएड कर रहे हैं तो Teaching Methods के बारे में समझना आपके लिए बेहद जरूरी है । बीएड करने के पश्चात आप एक शिक्षक बनते हैं और एक शिक्षक के तौर पर पूरे जीवनकाल में हजारों बच्चों को प्रभावित करते हैं । ऐसे में आपको पता होना चाहिए कि सही शिक्षण विधि क्या होनी चाहिए और किस प्रकार छात्रों को शिक्षा दी जानी चाहिए ।
Bachelor of Education Course में विस्तार से टीचिंग मेथड्स के बारे में समझाया जाता है । इसका फायदा यह होता है कि भावी शिक्षक यह समझ पाते हैं कि किस परिस्थिति में कौनसा शिक्षण विधि सटीक है और क्यों । अगर आप बीएड कर रहे हैं तो आपके लिया यह पूरा कांसेप्ट आसान शब्दों में समझना जरूरी है क्योंकि यह आपको परीक्षा में पूछा जायेगा ।
इसलिए हमने इस आर्टिकल में आपके लिए Teaching Methods की जानकारी सांझा की है । हमारी कोशिश रहेगी कि आपको भारी भरकम शब्दों में कांसेप्ट को समझाने के बजाय, जितना हो सके आसान शब्दों में शिक्षण विधियां समझाई जाएं । इससे आपको पूरा कांसेप्ट भी जीवन भर के लिए याद हो जायेगा और आप परीक्षा में भी अच्छे अंक स्कोर कर पाएंगे ।
Teaching Methods क्या है ?
Teaching Methods यानि शिक्षण विधियां उन तकनीकों और रणनीतियों को संदर्भित करता है जिनका उपयोग शिक्षक कक्षा में सिखाने और निर्देश को सुविधाजनक बनाने के लिए करते हैं । उदाहरण के तौर पर चर्चा विधि/पद्धति में शिक्षक छात्रों को एक अवधारणा या कौशल का प्रदर्शन करता है और छात्र उसका अनुसरण करते हैं ।
यहां गौर करने वाली बात यह है कि किसी भी परिस्थिति में कोई भी शिक्षण विधि का पालन नहीं किया जाना चाहिए । अर्थात अगर छात्र के आलोचनात्मक विचार कौशल को विकसित करना है तो प्रदर्शन विधि का कोई मतलब नहीं रह जाएगा । इस परिस्थिति में पूछताछ-आधारित या समस्या-आधारित शिक्षण विधि ही सबसे प्रभावी होगी ।
इसी तरह अन्य कई कारक हैं जिन्हें ध्यान में रखकर ही Effective Teaching Methods का अनुप्रयोग किया जाता है, इन कारकों के बारे में हम नीचे संक्षेप में समझेंगे । उम्मीद है कि यहां तक आप शिक्षण विधि का अर्थ समझ गए होंगे ।
शिक्षण विधि की परिभाषा
देश दुनिया के अलग अलग विद्वानों में शिक्षण विधि की परिभाषा अलग अलग दी है । हालांकि इन परिभाषाओं में कई बातें एक जैसी ही दिखलाई पड़ती हैं । चलिए कुछ Definitions of Teaching Method पर गौर करते हैं ।
1. गैग्ने और ब्रिग्स (1979): “एक शिक्षण विधि शिक्षण प्रक्रियाओं और मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों की एक व्यवस्थित और व्यवस्थित व्यवस्था है जो छात्रों को सीखने की स्थिति प्रदान करती है ।”
2. स्मिथ और रागन (1999): “सामान्य सिद्धांत, शिक्षाशास्त्र और कक्षा निर्देश के लिए उपयोग की जाने वाली प्रबंधन रणनीतियाँ ।”
3. McKeachie और Svinicki (2014): “रणनीतियों और तकनीकों का एक सेट जो एक शिक्षक छात्रों को सीखने की प्रक्रिया में शामिल करने के लिए उपयोग करता है ।”
4. शुलमान (1987): “वह साधन जिसके द्वारा शिक्षक किसी विषय के अपने ज्ञान को एक ऐसे रूप में अनुवादित करते हैं जिसे छात्र समझ सकें ।”
शिक्षण विधियों के प्रमुख कारक
Types of Teaching Method समझने से पहले आपको यह समझना चाहिए कि आखिर ये विधियां किन कारकों से प्रभावित होती हैं । हर परिस्थिति के लिए अलग अलग शिक्षण विधि तैयार की गई है और इसलिए जरुरी है कि आप सभी शिक्षण विधि के कारकों को समझें ।
1. छात्रों की सीखने की शैली और जरूरतें: हर छात्र एक जैसा नहीं हो सकता और इसलिए उनके लिए शिक्षण विधियां भी अलग अलग होनी चाहिए । किसी भी शिक्षण विधि या रणनीति को चुनते समय सबसे पहले यह तय करना चाहिए कि छात्रों के सीखने की उपयुक्त शैली क्या है और उनकी जरूरतें क्या हैं ।
2. मौजूद संसाधन: Teaching Methods तो कई सारे हैं लेकिन क्या हो अगर उनका अनुसरण करने के लिए शिक्षक या शिक्षण संस्थान के पास पर्याप्त संसाधन ही न हो ? इसलिए कौन सी शिक्षण विधि प्रयोग में लाई जायेगी, यह मौजूद संसाधनों के हिसाब से भी तय होता है ।
3. मौजूद समय: परीक्षा के नजदीकी दिनों में और आम दिनों में शिक्षण विधि अलग अलग हो जाती है । ऐसा क्यों ? मौजूद समय की वजह से । जब परीक्षा नजदीक होती है तो मुख्य रूप से चर्चा पद्धति और पूछताछ आधारित पद्धति का इस्तेमाल किया जाता है । लेकिन आम दिनों में प्रदर्शन शिक्षण पद्धति आमतौर पर अनुसरण की जाती है ।
4. शिक्षक प्राथमिकताएं और अनुभव: शिक्षण विधियां कई बार शिक्षक की व्यक्तिगत प्राथमिकताओं और अनुभवों पर भी आधारित होता है । कई शिक्षकों के लिए प्रदर्शन शिक्षण पद्धति ज्यादा सुगम लगती होगी तो वहीं कइयों के लिया व्याख्यान शिक्षण पद्धति ।
5. शिक्षण लक्ष्य: Teaching Methods कौन सा चुना जायेगा, यह निर्भर करता है कि शिक्षण लक्ष्य क्या है । उदाहरण के तौर पर मान लीजिए कि अगर एक शिक्षक चाहता है कि उनके छात्र पाचन तंत्र को अच्छे से समझें तो इस परिस्थिति में व्याख्यान शिक्षण पद्धति से ज्यादा असरदार होगी मल्टीमीडिया शिक्षण पद्धति ।
Important Methods of Teaching
शिक्षण विधियां कई हैं लेकिन अगर आप बीएड की तैयारी कर रहे हैं तो कुछ शिक्षण विधियां सबसे महत्वपूर्ण हैं और उनसे संबंधित प्रश्न अक्सर परीक्षा परीक्षा में पूछे जाते हैं । हम एक एक करके सभी महत्वपूर्ण शिक्षण विधियों के बारे में उदाहरण के साथ जानेंगे ।
1. परियोजना आधारित शिक्षण विधि
Project-based method यानि परियोजना आधारित शिक्षण के अंतर्गत शिक्षक द्वारा छात्रों को परियोजना कार्य दिया जाता है । इस परियोजना कार्य को एक या एक से ज्यादा छात्र मिलकर करते हैं और उन्होंने कक्षा में अबतक क्या सीखा है, उस ज्ञान का प्रयोग करते हैं ।
आमतौर पर परियोजना-आधारित शिक्षण विधि का उपयोग विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित जैसे विषयों में किया जाता है । उदाहरण के तौर पर वर्षा जल संचयन प्रणाली मॉडल तैयार करना, कोई शोध पत्र लिखना या रोबोट तैयार करना आदि परियोजना आधारित शिक्षण विधि में शामिल हो सकता है ।
2. शिक्षण की व्याख्यान विधि
दूसरे स्थान पर है Lecture method यानि व्याख्यान शिक्षण विधि । यह सबसे पारंपरिक और आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली शिक्षण पद्धति है । इस पद्धति में, शिक्षक किसी विशेष विषय पर व्याख्यान देता है और छात्र सुनते हैं फिर नोट्स लेते हैं । आपके स्कूल और कॉलेज में भी यही विधि का इस्तेमाल लगभग रोज ही किया जाता होगा ।
आमतौर पर व्याख्यान विधि का उच्च कक्षाओं में प्रयोग होता है, जब छात्र मानसिक रूप से एक ठीक ठाक स्तर तक विकसित हो जाते हैं । इसमें शिक्षक ही ज्ञान का मुख्य स्रोत है और छात्रों से यह उम्मीद की जाती है कि वे शिक्षक की बातें सुनें और जो जरुरी बिंदु हों, उन्हें नोट करते चलें ।
3. मल्टीमीडिया शिक्षण विधि
Multimedia Teaching Method आधुनिकीकरण की देन है । इस शिक्षण पद्धति में छात्रों को टेक्नोलॉजी की मदद से किसी विषय पर ज्ञान प्रदान किया जाता है । इसमें सीखने के अनुभव को बेहतर करने के लिए वीडियो, इमेज और ऑडियो रिकॉर्डिंग जैसे विभिन्न मल्टीमीडिया टूल का उपयोग शामिल है ।
इसे आसान से उदारण की मदद से समझें । अगर अगर आप एक शिक्षक हैं और आपको अपने छात्रों को छत्रपति महाराणा प्रताप के बारे में जानकारी देनी है तो आप व्याख्यान विधि का इस्तेमाल आसानी से कर सकेंगे लेकिन अगर प्रजनन प्रणाली की जानकारी देनी हो तो मल्टीमीडिया शिक्षण विधि से बेहतर कोई विधि आपको नहीं सूझेगी । यानि आप वीडियो और तस्वीरों के सहारे आसानी से छात्रों को प्रजनन प्रणाली की जानकारी सहज तरीके से दे सकते हैं ।
4. परियोजना आधारित शिक्षण विधि
परियोजना आधारित शिक्षण में आमतौर पर एक से ज्यादा छात्र शामिल होते हैं और उन्हें किसी खास विषय पर परियोजना बनाने के लिए दिया जाता है । ध्यान रहे कि उन्हें वही परियोजना कार्य दिया जाता है जिसके बारे में पहले से ही शिक्षक जानकारी दे चुके हों ।
यानि इस पद्धति में एक परियोजना या असाइनमेंट पर काम करने वाले छात्रों को शामिल किया जाता है, जिसके लिए उन्हें कक्षा में सीखे गए ज्ञान और कौशल को लागू करने की आवश्यकता होती है । परियोजना-आधारित पद्धति का उपयोग अक्सर विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित जैसे विषयों में किया जाता है ।
छात्र परियोजना-आधारित पद्धति के माध्यम से कई कौशल सीखते हैं जैसे Critical Thinking, Problem Solving, Time Management और Team Management आदि ।
5. पूछताछ आधारित शिक्षण विधि
इस शिक्षण विधि में, शिक्षक एक व्याख्याता के बजाय एक सुविधाप्रदाता के रूप में कार्य करता है । वह छात्रों को पूछताछ, जांच और प्रतिबिंबित करने की प्रक्रिया के माध्यम से मार्गदर्शन करता है । इसका फायदा यह होता है कि छात्रों के अंदर आलोचनात्मक विचार कौशल का विकास होता है और वे किसी विषय को गहराई से समझ भी पाते हैं ।
हालांकि यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि पूछताछ आधारित शिक्षण विधि थोड़ी चुनौतीपूर्ण है । यह इसलिए क्योंकि इस विधि में काफी समय खर्च होता है, इसे प्रयोग में लाने के लिए योजना बनानी पड़ती है और साथ ही छात्रों को सीखने की जिम्मेदारी खुद पर लेनी पड़ जाती है ।
6. चर्चा शिक्षण विधि
इस पद्धति में, शिक्षक छात्रों के बीच एक समूह चर्चा की सुविधा प्रदान करता है, उन्हें किसी विशेष विषय पर अपने विचारों और दृष्टिकोणों को साझा करने के लिए प्रोत्साहित करता है । चर्चा सभी विषयों में सीखने के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह छात्रों को केवल जानकारी प्राप्त करने के बजाय इसे संसाधित करने में मदद करती है ।
Discussion Teaching Method में प्रतिभागी कई दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं, दूसरों के विचारों का जवाब देते हैं, और अपने ज्ञान, समझ, या मामले की व्याख्या करने के प्रयास में अपने स्वयं के विचारों पर प्रतिबिंबित करते हैं ।
7. व्याकरण विधि
शिक्षण की व्याकरण विधि शिक्षण भाषा के लिए एक दृष्टिकोण है जो व्याकरण के नियमों के अध्ययन पर ध्यान केंद्रित करती है और छात्रों को सीखने और समझने में मदद करने के लिए संरचित अभ्यासों और अभ्यासों का उपयोग करती है ।
इस पद्धति में, व्याकरण को भाषा सीखने की नींव के रूप में देखा जाता है, और छात्रों से भाषा के अन्य पहलुओं पर जाने से पहले व्याकरण के नियमों में महारत हासिल करने की उम्मीद की जाती है । इस शिक्षण विधि में छात्रों को व्याकरण नियमों से अवगत कराया जाता है, उन्हें कई अभ्यास सेट दिए जाते हैं और उनके द्वारा होने वाली गलतियों को शिक्षक सुधारते हैं ।
8. खेल विधि
शिक्षण की खेल पद्धति एक ऐसा दृष्टिकोण है जो छात्रों के लिए सीखने को अधिक आकर्षक और मनोरंजक बनाने के लिए खेल का उपयोग करता है । शिक्षण की खेल पद्धति में, पारंपरिक शिक्षण विधियों को बदलने के लिए खेलों का उपयोग किया जाता है । आमतौर पर यह Teaching Method कम उम्र के बच्चों को सिखाने पढ़ाने के लिए उपयोग में लाया जाता है ।
शिक्षण की खेल पद्धति एक मूल्यवान दृष्टिकोण है जो छात्रों के लिए सीखने को अधिक आकर्षक और मनोरंजक बनाने में मदद कर सकता है । कक्षा में खेलों को शामिल करके, शिक्षक एक गतिशील और रोचक सीखने का माहौल बना सकते हैं जो रचनात्मकता, सहयोग और महत्वपूर्ण सोच कौशल को बढ़ावा देता है ।
9. प्रत्यक्ष विधि
Direct Teaching Method विदेशी भाषाओं को पढ़ाने का एक तरीका है जो कक्षा में लक्ष्य भाषा के उपयोग पर जोर देता है । इस पद्धति में, शिक्षक छात्र की मूल भाषा के उपयोग से बचता है और इसके बजाय व्याकरण, शब्दावली और भाषा के अन्य पहलुओं को पढ़ाने के लिए केवल लक्षित भाषा का उपयोग करता है ।
डायरेक्ट मेथड विसर्जन के सिद्धांतों पर आधारित है, जहां छात्र भाषा में डूबा रहता है और इसके निरंतर संपर्क के माध्यम से सीखने की उम्मीद की जाती है । इस शिक्षण विधि में लिखित अभ्यास के मुकाबले मौखिक अभ्यास पर ज्यादा जोर दिया जाता है ।
Teaching Methods – Conclusion
यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि कोई भी “सर्वश्रेष्ठ” शिक्षण पद्धति नहीं है जो हर स्थिति में प्रत्येक छात्र के लिए काम करेगी । अलग-अलग छात्रों के लिए अलग-अलग तरीके अधिक प्रभावी हो सकते हैं । अलग-अलग छात्रों के लिए उनकी सीखने की शैली, प्राथमिकताओं और जरूरतों के आधार पर अलग-अलग तरीके अधिक प्रभावी हो सकते हैं ।
सबसे Effective Teaching Methods वे हैं जो छात्रों की आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं के अनुरूप हैं और जो जुड़ाव, रचनात्मकता और महत्वपूर्ण सोच को बढ़ावा देती हैं । विभिन्न तरीकों के साथ प्रयोग करके, सहकर्मियों के साथ सहयोग करके, और नए विचारों और दृष्टिकोणों के लिए खुले रहकर, शिक्षक गतिशील और प्रभावी शिक्षण वातावरण बना सकते हैं ।