Play Store सहित अन्य कई ऐप स्टोर पर आपने ऐसे ऐप्स जरूर देखें जो Beta Version में होंगे । ऐप के टाइटल के आगे बीटा लिखा होता है । Opera Mini, Chrome, MX Player आदि के बीटा वर्जन आपको आसानी से प्लेस्टोर पर मिल जायेंगे । इसके अलावा कई ऐप्स में भी कुछ फीचर्स को बीटा वर्जन के अंतर्गत रखा जाता है ।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि What Does Beta Mean in Hindi ? यानि सॉफ्टवेयर की दुनिया में बीटा क्या होता है ? इसका उपयोग क्या है ? इसके फायदे और नुकसान क्या होते हैं ? इन सभी प्रश्नों का जवाब हम इस लेख में देंगे ।
Beta Version क्या होता है ?
एक सॉफ़्टवेयर उत्पाद का संस्करण जो व्यावसायिक रूप से रिलीज़ होने से पहले परीक्षण के अंतिम चरण में उपयोग किया जाता है उसे Beta Version कहते हैं । आसान शब्दों में कहें तो किसी सॉफ्टवेयर को आम जनता के इस्तेमाल के लिए रिलीज करने से पहले उसका परीक्षण मात्र कुछ निश्चित लोगों द्वारा किया जाता है ।
इसका सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि टेस्टर मात्र कुछ लोगों को एप्लीकेशन का एक्सेस देकर Bugs और Errors का पता लगाता है । इसके बाद जिन बग्स और त्रुटियों का पता लगाया जाता है, उन्हें डेवलपर्स को सौंप दिया जाता है । डेवलपर्स इसके बाद उन त्रुटियों को दूर करने की कोशिश करते हैं ।
इसे एक उदाहरण के माध्यम से समझिए । मान लेते हैं कि एक डेवलपर ने किसी ऐप का तैयार किया लेकिन वह सुनिश्चित नहीं है कि उसके द्वारा डेवलप किया गया ऐप हर डिवाइस पर, हर यूजर के लिए सही ढंग से फंक्शन करेगा । इसलिए वह कुछ चुनिंदा आम यूजर्स को ऐप इस्तेमाल करने का एक्सेस देता है । इससे उन्हें पता चलता है कि वास्तविक यूजर्स को किन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है । इसके बाद उनका समाधान किया जाता है ।
Beta Testing के प्रकार
Beta Testing के आमतौर पर तीन मुख्य प्रकार होते हैं । चलिए इन तीनों Beta Testing के प्रकार के बारे में जानते हैं आसान शब्दों में ।
1. Perpetual Beta
जब ऐप डेवलपर अपने एप्लीकेशन को बीटा डेवलपमेंट स्टेज पर लंबे समय तक रखता है तो इसे परपेचुअल बीटा कहा जाता है । यह अक्सर डेवलपर्स द्वारा उपयोग किया जाता है जब वे नई सुविधाओं को जारी करना जारी रखते हैं जो पूरी तरह से परीक्षण नहीं किए जा सकते हैं ।
लेकिन अगर एप्लीकेशन या सिस्टम के इस्तेमाल से यूजर्स को किसी प्रकार की कोई दिक्कत होती है तो जिम्मेदारी डेवलपर्स की नहीं होती । यानि अगर आपको ऐप इस्तेमाल करते समय किसी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है तो उसकी जिम्मेदारी आप डेवलपर्स पर थोप नहीं सकते । डेवलपर्स पहले ही इसकी जानकारी दे देते है कि एप्लीकेशन डेवलपमेंटल स्टेज पर है ।
2. Closed Beta
बीटा टेस्टिंग का अगला प्रकार है Closed Beta सिर्फ और सिर्फ उन यूजर्स के लिए रिलीज किया जाता है जिनकी संख्या कम होती है और साथ ही वे ऐप का इस्तेमाल करके सही रिव्यू दे सकें । एक आम यूजर जरूरी नहीं कि ऐप का इस्तेमाल करने पर फीडबैक दे । लेकिन अगर सॉफ्टवेयर को सिर्फ कुछ निश्चित लोगों के इस्तेमाल के लिए रिलीज किया जाए जो professional review & feedback दें ।
आमतौर पर क्लोज्ड बीटा वर्जन का इस्तेमाल उन्हीं लोगों द्वारा किया जाता है जिन्हें डेवलपर्स आमंत्रित करते हैं । उदाहरण के तौर पर Google Taskmate और Bing AI को ले सकते हैं, जिनके यूजर्स को आमंत्रित किया गया था और साथ ही उनसे ईमानदार Feedback और Evaluation की उम्मीद की जाती है ।
3. Open Beta
सबसे अंत में आता है Open Beta । नाम से ही समझ गए होंगे कि यह सबके किए एक्सेसिबल होता है यानि इन्हें कोई भी डाउनलोड करके इस्तेमाल कर सकता है । हालांकि जब आप एप्लीकेशन या सिस्टम इस्तेमाल करने जाते हैं तो वार्निंग दिया जाता है । एप्लीकेशन के Developmental Phase में होने की वजह से उसमें कई खामियां हो सकती हैं, इसकी जानकारी यूजर्स को दे दी जाती है ।
लेकिन अगर आप चाहे तो bugs और errors होने के बावजूद ऐप का इस्तेमाल कर सकते हैं । ध्यान दें कि इस प्रकार के एप्लीकेशन के इस्तेमाल से अगर आपको किसी प्रकार की कोई हानि होती है तो आप डेवलपर पर उंगली नहीं उठा सकते । क्योंकि Installation के वक्त ही आपको Sign up करना होता है कि सॉफ्टवेयर या सिस्टम में खामियां हो सकती हैं जिससे दिक्कत आने पर आप किसी अन्य को दोष नहीं दे सकते ।
Beta Testing कैसे किया जाता है ?
Beta Testing करने के लिए सबसे पहले एक ऐप तैयार किया जाता है । जब आपका ऐप बनकर तैयार हो जाए तो इसके पश्चात टेस्टिंग की जाती है । इसके अंतर्गत कुल 7 चरण होते हैं, जिन्हें समझना जरूरी है ।
1. सबसे पहले टेस्टिंग का प्रकार तय करें
अगर आप एप्लीकेशन या सिस्टम की Beta Testing करना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको यह तय करना है कि आप कौनसी बीटा टेस्टिंग करना चाहते हैं । हमने ऊपर आपको कुल 3 बीटा टेस्टिंग के प्रकार बताए हैं, जिनमें से आप अपनी जरूरत के हिसाब से कोई भी चुन सकते हैं । हमारे हिसाब से आपको क्लोज़्ड बीटा करना चाहिए, जिससे आपको सही रिव्यूज प्राप्त हो सकें ।
इसके साथ ही कम से कम आपको 200 से 300 लोगों पर ऐप टेस्ट करना चाहिए । इससे आपके पास ज्यादा से ज्यादा डाटा होगा और आप सही ढंग से bugs और errors को सही कर पाएंगे ।
2. टेस्टिंग का समय तय करें
इसके पश्चात आपको टेस्टिंग का एक समय निश्चित करना चाहिए । Beta Testing Phase एक निश्चित अवधि तक किया जाना चाहिए ताकि आप टेस्टिंग की प्रक्रिया में आगे बढ़ सकें । यह समय कुछ भी हो सकता है लेकिन आपको सुझाव दिया जाता है कि अधिकतम 1 वर्ष तक ही बीटा टेस्टिंग करें ।
ज्यादातर बीटा टेस्टिंग 4 सप्ताह से लेकर 8 सप्ताह तक की होती हैं, लेकिन यह आपके एप्लीकेशन/सिस्टम पर निर्भर करता है कि कितने समय की जरूरत है । यह समय सीमा आपके उद्देश्यों, संसाधनों, परीक्षक की सीमाओं, समय की कमी और अन्य स्थितियों पर आधारित है ।
3. ऐप का बीटा वर्जन रिलीज करें
अब आपको अपने ऐप का बीटा वर्जन रिलीज करना है जिसे आपके यूजर्स टेस्ट कर सकें । आपको ऐप रिलीज करना है ताकि लोग उसे डाउनलोड करके इंस्टॉल कर सकें और इसके पश्चात कई टूल्स की मदद से आपको तय लोगों को इन्विटेशन भेजना है । कोशिश करें कि ज्यादा से ज्यादा लोग आपके ऐप को अधिक समय तक इस्तेमाल करें ।
इसके लिए आप उन्हें रुपए या अन्य कई प्रकार के फायदे दे सकते हैं । इससे वे आपका ऐप देर समय तक इस्तेमाल करेंगे और आपको ज्यादा से ज्यादा insights प्राप्त हो सकेंगे । इन्विटेशन भेजने के लिए आप Google Play Developer Console, Testflight, AppBlade आदि की मदद ले सकते हैं ।
4. फीडबैक प्राप्त करें
आपने जिन्हें भी ऐप इस्तेमाल करने के लिए चुना था, उनसे फीडबैक प्राप्त कर सकते हैं । हम आपको रिकमेंट करते हैं कि आपको एक Questionnaire तैयार करना चाहिए जिसमें आपको अपने हिसान से कई प्रश्न जोड़ने चाहिए । इसके बाद उन प्रश्नों का उत्तर टेस्टर्स से प्राप्त करना चाहिए । आप ईमेल या अन्य कई survey tools की मदद से ऐसा कर सकते हैं ।
इससे आपको ज्यादा indepth reviews प्राप्त होंगे । इसके अलावा आप चाहें तो टेस्टर्स को सीधे संपर्क करके उनसे एप्लीकेशन/सिस्टम के इस्तेमाल पर हुए अनुभव की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं ।
5. फीडबैक के अनुरूप बदलाव करें
अंत में आपको मिले फीडबैक के आधार पर अपने ऐप/सर्विस में जरूरी बदलाव करने चाहिए । आपको कोशिश करनी चाहिए कि सबसे पहले उन बदलावों को प्राथमिकता दें जिन्हें ज्यादा से ज्यादा यूजर्स ने सुझाया है । इसके पश्चात आप अन्य छोटे बदलाओं पर भी ध्यान दे सकते हैं ।
Beta Version Apps कैसे टेस्ट करें ?
अगर आप Beta Version Apps टेस्ट करना चाहते हैं तो Play Store की मदद से कर सकते हैं । प्ले स्टोर की मदद से आप ढेरों बीटा वर्जन के ऐप्स डाउनलोड कर सकते हैं और टेस्ट कर सकते हैं । प्ले स्टोर पर आप बीटा ऐप्स सर्च करके उन्हें डाउनलोड कर सकते हैं और इसके बाद Honest Review शेयर कर सकते हैं ।
लेकिन अगर आप ऐप टेस्ट करके पैसे भी कमाना चाहते हैं तो नीचे दिए साइट्स की मदद ले सकते है:
इन साइट्स पर जाकर आप सबसे पहले खुद को रजिस्टर करें । आपसे कई प्रकार की जानकारियां मांगी जा सकती हैं । इसके पश्चात आपको App Test करने के लिए इन्विटेशन भेजा जाएगा । आप इन्विटेशन एक्सेप्ट करके सीधे बीटा वर्जन ऐप टेस्ट कर सकते हैं । एक निश्चित अवधि तक टेस्टिंग करने के पश्चात अब आपको अपना अनुभव शेयर करना होगा । इसके बाद आपकी कमाई होगी ।
आप हर एक ऐप टेस्ट करके घर बैठे 400 रूपए से लेकर 4000 रुपए तक की कमाई कर सकते हैं । अगर आपके पास टेक्निकल जानकारी है और साथ ही आपको ठीक ठाक अंग्रेजी भाषा आती है तो आप अच्छी खासी कमाई सिर्फ Beta App Testing की मदद से कर सकते हैं ।