Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Listrovert
    • Home
    • News
    • Business
    • Entertainment
    • Fashion
    • Health
    • Education
    • Lifestyle
    • Technology
    • Travel
    • Contact us
    Listrovert
    Home – What is PPP Model in Hindi – पीपीपी मॉडल क्या है और इसके प्रकार
    Did you know ?

    What is PPP Model in Hindi – पीपीपी मॉडल क्या है और इसके प्रकार

    Tomy JacksonBy Tomy Jackson9 February 2024Updated:9 February 2024No Comments10 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    What is PPP Model in Hindi
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    हाल के दिनों में अक्सर आपको अखबार में पढ़ने या टेलीविजन न्यूज चैनलों पर PM Gati Shakti पहल के बारे में सुनने को मिलेगा । इसके बारे में भारत सरकार की तरफ से बार बार यह कहा जा रहा है कि यह PPP Model पर आधारित होगा । इस मॉडल के तहत इसमें 100 लाख करोड़ रुपए का निवेश करने की पूरी योजना है । पीएम गति शक्ति योजना मुख्य रूप से रोड, रेलवे और सिविल एविएशन को गति देने के लिए introduce किया गया है ।

    लेकिन, अब आपके मन में यह प्रश्न आ रहा होगा कि What is PPP Model in Hindi यानि पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप क्या है ? इसकी जरूरत क्यों पड़ती है और इसके फायदे, नुकसान क्या हैं ? इस आर्टिकल के अंत में मैं आपको भारत में चल रहे या बनाए गए उन projects की जानकारी दूंगा जो पीपीपी मॉडल पर आधारित हैं । परीक्षाओं में अक्सर दो प्रश्न पूछे जाते हैं जिनका उत्तर आप यह आर्टिकल पढ़ कर दे सकते हैं:

    • पीपीपी मॉडल की व्याख्या करें ।
    • पीपीपी मॉडल की संकल्पना की विस्तारपूर्वक व्याख्या कीजिए ।

    What is PPP Model in Hindi

    PPP का पूर्ण रूप Public Private Partnership है जिसका हिंदी अर्थ सार्वजनिक निजी भागीदारी है । इसके अंतर्गत निजी कंपनियां और सरकारी एजेंसी मिलकर काम करती हैं । इससे किसी भी परियोजना कार्य को गति मिलती है, वित्तपोषण में मदद मिलती है और कम समय लगता है ।

    अगर हम उदाहरण के तौर पर देखें तो भारत में मेट्रो रेल के विस्तार के लिए प्राइवेट सेक्टर को भी साथ लिया गया है । इसकी वजह से परियोजना को जल्द से जल्द पूरा करने में मदद मिलेगी । पीपीपी मॉडल की खूबियों के बारे में आप आर्टिकल में आगे विस्तार से पढ़ेंगे । इस तरह आपने समझा कि पीपीपी अर्थ क्या है ।

    Types of PPP in Hindi

    PPP यानि पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के कई प्रकार होते हैं । इन सभी प्रकारों के बारे में मैं आपको संक्षेप में किंतु आसान भाषा में जानकारी दूंगा ।

    1. Build Operate Transfer (BOT)

    Build Operate Transfer (BOT) एक प्राइवेटाइजेशन एग्रीमेंट है और इसी एग्रीमेंट के आधार पर सबसे ज्यादा प्रोजेक्ट्स किए जाते हैं । आप नाम से ही समझ रहे होंगे कि पहले बनाओ, संचालित करो और अंत के सौंप दो । बॉट एग्रीमेंट के अंतर्गत, सरकार किसी निजी एजेंसी को किसी परियोजना कार्य के Construction और Operation Rights सौंप देती है ।

    इस agreement में पहले से ही एक निश्चित अवधि तय होती है जिसके बाद कंपनी को पूरा प्रोजेक्ट सरकार को सौंपना होता है । उदाहरण के तौर पर आप national highway projects को ले सकते हैं जिसे NHAI द्वारा प्राइवेट कंपनियों को पीपीपी मोड के तहत सौंपा गया था ।

    2. Build Own Operate (BOO)

    Build Own Operate (BOO) भी एक privatisation agreement है । यह BOT की ही तरह है लेकिन इसमें निजी संस्था को पूरा प्रोजेक्ट वापस सरकार को हस्तांतरित करने की आवश्यकता नहीं है । इस तरह के PPP Model में किसी प्राइवेट एंटिटी को सरकार द्वारा finance, design, build, operate और maintain करने का अधिकार दिया जाता है ।

    उदाहरण के तौर पर आप भारत के कच्छ और पिपावाव रेलवे परियोजना को ले सकते हैं । यह गुजरात राज्य में पश्चिम रेलवे के सुरेंद्रनगर जंक्शन को पिपावाव के बंदरगाह से जोड़ने वाली 271 किलोमीटर लंबी ब्रॉड गेज रेलवे लाइन है ।

    3. Build Own Operate Transfer (BOOT)

    Build Own Operate Transfer (BOOT) को आप BOT का ही एक दूसरा रूप कह सकते हैं । यह इसलिए क्योंकि एक निर्धारित समय के पश्चात प्रोजेक्ट को पब्लिक एजेंसी सरकार को सौंप देती है । बाजार मूल्य या पहले से निर्धारित मूल्य पर प्राइवेट कंपनी सरकार को प्रोजेक्ट सौंपती है ।

    जहां BOT Model में प्राइवेट कंपनी को पहले से निर्धारित annual fee/percentage देनी होती है तो वहीं BOOT Model में रेवेन्यू नहीं देने की जरूरत होती है । Chennai Wastewater Treatment Project in Alandur, India को BOOT Model का एक बेहतरीन उदाहरण है ।

    4. Design-Build (DB)

    Design-Build (DB) एक PPP Model का प्रकार है जिसके अंतर्गत सरकार किसी प्राइवेट कंपनी को कोई प्रोजेक्ट सौंपती है । लेकिन, उस परियोजना कार्य को कैसे और कितना पूरा करना है, यह सरकार ही तय करती है । यानि कि प्राइवेट कंपनी मनचाहे तरीके से प्रोजेक्ट को design या operate नहीं कर सकती है । उसे Agreement में पहले से तय नियमों के अनुसार ही कार्य करना होगा ।

    DB को Build – Transfer (BT) भी कहा जाता है । इसमें परियोजना कार्य पर एक तरह से ज्यादातर कंट्रोल सरकार या परियोजना सौंपने वाली एजेंसी का ही होता है ।

    5. Build-Own-Lease-Transfer (BOLT)

    Build-Own-Lease-Transfer (BOLT) एक Public Private Partnership Model है । सरकार पहले कंपनी को कोई प्रोजेक्ट सौंपने के साथ ही उसे finance और construction का भी अधिकार देती है । कई बार प्रोजेक्ट को डिजाइन करने की भी जिम्मेदारी प्राइवेट कंपनी को सौंपी जाती है ।

    प्राइवेट कंपनी सिर्फ प्रोजेक्ट/फैसिलिटी को सिर्फ बनाने का ही काम करती है । इस प्रोजेक्ट या फैसिलिटी को ऑपरेट करना का कार्य सरकार ही करती है । एक निश्चित समय के बाद, प्रोजेक्ट सरकार को सौंप दिया जाता है । इस PPP Model का उपयोग ज्यादातर भारतीय रेलवे में इस्तेमाल किया जाता रहा है ।

    6. Design-Build-Finance-Operate/Maintain ( DBFO )

    DBFO यानि Design-Build-Finance-Operate/Maintain एक पीपीपी मॉडल है जिसके तहत एक प्राइवेट कंपनी को लगभग सभी core responsibilities मिल जाती हैं । DBFO के अंतर्गत होने वाले contractual agreement के तहत प्राइवेट कंपनी के पास Design से लेकर Maintainance तक सभी मूल अधिकार आ जाते हैं ।

    ये सभी अधिकार एक निश्चित समय तक के लिए ही प्रदान किए जाते हैं । पहले से तय समयावधि के पश्चात परियोजना सरकार को सौंप दी जाती है । DBFO को कई देशों में BOO और BOOT के कॉम्बिनेशन के तौर पर भी देखा जाता है । इसके बारे में मैंने आपको ऊपर ही जानकारी दे दी है ।

    7. Lease-Develop-Operate (LDO)

    Lease-Develop-Operate (LDO) को मुख्य रूप से आधारभूत संरचना यानि infrastructure sector में देखा जा सकता है । हवाई अड्डे की सुविधाओं के विकास के लिए इस पीपीपी मॉडल का सहारा लिया जाता है । इस PPP Model में कोई पब्लिक सेक्टर या सरकार नए बनें अवसंरचना की सुविधाओं का स्वामित्व अपने पास रखती है ।

    इसके बाद lease agreement के तहत कोई प्राइवेट कंपनी सरकार को पेमेंट करती है । यानि स्वामित्व तो सरकार के पास ही रहता है लेकिन operation का कार्य कोई प्राइवेट कंपनी करती है ।

    Benefits of PPP Model in Hindi

    मैंने ऊपर आपको अच्छे से समझा दिया है कि Types of PPP Model कौन कौन से हैं । चलिए अब पीपीपी मॉडल के फायदों को भी समझ लेते हैं ।

    • PPP Model में समय की काफी बचत होती है और प्रोजेक्ट तेज गति से पूरा होता है ।
    • यह राजनीतिक पक्ष के अनावश्यक हस्तक्षेप से बचने में मदद करता है ।
    • प्रदान की जाने वाली सेवाओं की गुणवत्ता में अत्यधिक सुधार होता है ।
    • मौजूदा और उपेक्षित बुनियादी ढांचे में सुधार और विस्तार किया जाता है।
    • निर्माण परियोजना की दक्षता निजी क्षेत्र की भागीदारी से बढ़ जाती है ।
    • अधिकतर निवेश परियोजनाएं नियत शर्तों में कार्यान्वित की जाती हैं और अप्रत्याशित सार्वजनिक क्षेत्रों पर अतिरिक्त व्यय नहीं लगाती हैं ।
    • जोखिम प्रबंधन व्यय को कम करने में मदद करता है ।
    • सार्वजनिक क्षेत्र में आवश्यक निवेश और अधिक प्रभावी सार्वजनिक संसाधन प्रबंधन सुनिश्चित करता है ।
    • निजी क्षेत्र के फाइनेंस तक पहुंच आसान हो जाती है ।
    • Assets में सुधार किया जाता है और बेहतर तरीके से संचालित किया जाता है

    तो ये रहे PPP Model Advantages जिसकी वजह से यह काफी लोकप्रिय हो रहा है । भारत सहित अन्य देशों में इस मॉडल को प्रैक्टिस किया जाता है । प्राइवेट सेक्टर की देश निर्माण में भागीदारी काफी फायदेमंद होती है ।

    Disadvantages of PPP Model in Hindi

    चलिए एक नजर डालते हैं Drawbacks यानि Problems of PPP Model पर भी । पीपीपी मॉडल की कुछ कमियां या खामियां भी हैं जिन्हें ध्यान में रखकर ही इस मॉडल का प्रैक्टिस किया जाना चाहिए ।

    • PPP Model को सही ढंग से रेगुलेट करना आसान नहीं होता है । भारत सरकार अबतक सही ढंग से पीपीपी मॉडल को रेग्यूलेट करने में नाकाम रही है ।
    • पीपीपी मॉडल के अंतर्गत flexibility और dynamism की कमी होती है ।
    • प्राइवेट सेक्टर की संख्या कम होने से यह cost effective नहीं होता है ।
    • प्राइवेट कंपनियों को core responsibilities और अधिकार देने की वजह से उनके द्वारा शोषण का खतरा बढ़ जाता है ।
    • कई प्राइवेट सेक्टर राजनीति से जुड़े होते हैं जिसकी वजह से वे आसानी से कॉन्ट्रैक्ट अपने हाथों में ले लेते हैं ।

    भारत में पीपीपी मॉडल की जरूरत क्यों ?

    भारत के विकास में प्राइवेट सेक्टर ने अपना एक अहम योगदान दिया है । सबसे ज्यादा भारत के infrastructure यानि आधारभूत संरचना जैसे परिवहन प्रणाली, संचार नेटवर्क, सीवेज, पानी और विद्युत प्रणालियां के विकास में प्राइवेट सेक्टर ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है । अभी भी भारत में आधारभूत संरचनाओं के विकास के लिए काफी कार्य बाकी है, जिसके लिए पीपीपी मॉडल की जरूरत है ।

    Privatisation और PPP Model में काफी अंतर है । जहां प्राइवेटाइजेशन में पूरा स्वामित्व, ऑपरेशन इत्यादि सबकुछ एक प्राइवेट कंपनी के पास होती है तो वहीं पीपीपी मॉडल में सरकार या पब्लिक कंपनी मुख्य भागीदार होती है । इसलिए Privatisation नहीं बल्कि पीपीपी मॉडल पर ज्यादा फोकस किया जाना चाहिए ।

    मौजुदा वैश्विक महामारी को देखते हुए स्वास्थ्य के क्षेत्र में पीपीपी मॉडल को लागू करना एक बेहतर कदम होगा । भारत में स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतर नहीं है जिसके लिए प्राइवेट कंपनियों की भागीदारी आवश्यक है । प्राइवेट सेक्टर के पास अनुभव और प्रबंधन विशेषज्ञता, वित्त, बेहतर आधुनिक टेक्नोलॉजी, स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स सब कुछ हैं । इससे भारत के स्वास्थ्यचर्या प्रणाली में सुधार देखने को मिलेगा ।

    PPP Model in Hindi

    1. PPP Model का full form क्या है ?

    PPP Model का फुल फॉर्म Public Private Partnership है । इसे हिंदी में आप सार्वजनिक निजी भागीदारी भी कह सकते हैं ।

    2. PPP full form in economics क्या है ?

    Economics अर्थात् अर्थशास्त्र में पीपीपी का अर्थ Purchasing power parity है । इसका हिंदी अर्थ क्रय शक्ति समता होती है ।

    3. PPP model of teaching क्या होता है ?

    शिक्षण के क्षेत्र में PPP Model का पूर्ण रूप Presentation, Practice, Production होता है जिसे एक शिक्षक अपने छात्रों को कोई भाषा सिखाने के लिए उपयोग में लाता है ।

    Conclusion

    What is PPP Model in Hindi के इस आर्टिकल में आपने विस्तार से जाना कि पीपीपी मॉडल क्या है, पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के प्रकार क्या हैं, इसकी कमियां और खूबियां क्या हैं । इसके अलावा, मैंने भारत में पीपीपी मॉडल की जरूरत क्यों पर भी अपने विचार सांझा किए । आप भारत में PPP Model को लागू करने को लेकर क्या विचार रखते हैं, कॉमेंट करके बता सकते हैं ।

    • Dropshipping क्या है ?
    • What is franchise in Hindi
    • Best Business Tips in Hindi
    • Nestle Company के बारे में जानकारी
    • PESTLE Analysis क्या है ?
    • Computer Assisted Learning क्या है ?
    • IMPS, NEFT, RTGS और ECS के बीच अंतर
    • Custom Duty और Excise Duty के बीच अंतर

    आपको यह आर्टिकल कैसा लगा, कॉमेंट करके बताएं । आर्टिकल पसंद आया तो शेयर करें और अगर कोई प्रश्न आपके मन में इस विषय से जुड़ा है तो उसे आप नीचे कमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं ।

    PPP Examples PPP Model PPP Model Hindi Public Private Partnership पीपीपी मॉडल
    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Tomy Jackson
    • Website
    • Instagram

    I have always had a passion for writing and hence I ventured into blogging. In addition to writing, I enjoy reading and watching movies. I am inactive on social media so if you like the content then share it as much as possible .

    Related Posts

    The Perks of Flexible Brothel Jobs in Sydney

    9 December 2024

    Escrow Account Meaning In Hindi – एस्क्रो अकाउंट क्या है

    9 February 2024

    Personality Development Course Free in Hindi – पर्सनैलिटी डेवलपमेंट

    9 February 2024

    Leave A Reply Cancel Reply

    Recently Published

    SAS vs Python vs R: Which Programming Language Should You Choose for Data Analytics?

    19 May 2025

    5 great reasons to outsource the registration of an Australian business

    19 May 2025

    Is MRI Contrast same as CT Contrast?

    10 May 2025

    Top 5 Home Loan Subsidy Schemes for First-Time Home Buyers in 2025

    9 May 2025
    Load More
    Categories
    • Automotive
    • Business
    • Digital Marketing
    • Education
    • Entertainment
    • Fashion
    • Finance
    • Health
    • Home Improvement
    • Law
    • Lifestyle
    • News
    • Real Estate
    • Social Media
    • Technology
    • Travel
    • Home
    • About Us
    • Contact us
    • Terms and conditions

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.