दुनिया में लगभग सभी चीजों के कुछ मानक तय किए गए हैं । उदाहरण के तौर पर सब्जी में नमक कितनी पड़नी चाहिए, प्रतियोगी परीक्षा प्राप्त करने के लिए कितने अंक होने चाहिए, किसी देश का राष्ट्रीय ध्वज कैसा होना चाहिए आदि । इसी तरह देश दुनिया में मौजूद कंपनियों और संस्थाओं को भी एक मानक का पालन करना होता है जिसे हम ISO कहते हैं ।
कंपनी के उत्पाद या सर्विस कितनी उच्च गुणवत्ता की होनी चाहिए, मैन्युफैक्चरिंग किन प्रक्रियाओं से गुजरनी चाहिए, आदि कई मानदंड पहले से ही तय किए जा चुके हैं । अगर कोई कंपनी ISO यानि International Organisation for Standardization के नियमों को मानती है तो उसे यह सर्टिफिकेट दिया जाता है और इससे कम्पनी को ढेरों फायदे होते हैं ।
सामान्य रूप से International Organisation for Standardization देश दुनिया में मौजूद कंपनी द्वारा तैयार किए जा रहे उत्पादों या सेवाओं के क्वालिटी मैनेजमेंट पर ध्यान देती है । ताकि सभी उपभोक्ताओं को उच्च गुणवत्ता की सेवाएं और उत्पाद प्रदान किए जा सकें । इसके बारे में हमने विस्तार से नीचे बात की है ।
ISO क्या है ?
ISO का पूर्ण रूप International Organisation for Standardization है जिसका हेडक्वार्टर जेनेवा, स्विट्जरलैंड में है । इसकी शुरुआत 23 February 1947 को हुई थी और तबसे यह दुनिया की सभी छोटी बड़ी कंपनियों को कई मानकों पर तौलने के बाद सर्टिफिकेट प्रदान करती है ।
यह सर्टिफिकेट इस बात का प्रमाण होता है कि कंपनी द्वारा बनाए गए उत्पाद या सर्विस उच्च गुणवत्ता के हैं । इससे ग्राहकों के साथ ही अन्य व्यवसायों का उस कंपनी पर भरोसा कायम होता है । इसके अलावा International Trade में भी आईएसओ सर्टिफिकेट महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । जिन कंपनियों को ISO Certificate मिला होता है, उन्हें ज्यादा Credible और Authentic माना जाता है ।
इस वजह से अन्य कंपनियां भी उनसे व्यवसाय करने में रुचि रखती हैं । इसके अलावा आईएसओ सर्टिफाइड कंपनियों से आम ग्राहकों को भी काफी फायदा होता है क्योंकि उन्हें उच्च गुणवत्ता के उत्पाद और सेवाएं मिल रही होती हैं । उम्मीद है कि आप ISO Full Form in Hindi समझ गए होंगे ।
History of ISO in Hindi
ISO यानि International Organisation for Standardization की शुरुआत होती है वर्ष 1947 से । उस समय सबसे पहले 25 देशों के राजनेता और आईएसओ के 67 टेक्निकल कमिटी ने मिलकर एक उद्देश्य से काम करना शुरू किया । वह उद्देश्य था उत्पाद और सेवाएँ सुरक्षित, विश्वसनीय और अच्छी गुणवत्ता वाली हों ।
संस्था धीरे धीरे Manufacturing से लेकर Quality Control तक कई मानकों यानि Standards को सेट करती गई । ये मानक यह सुनिश्चित करते हैं कि कंपनियां उच्च गुणवत्ता की सुरक्षित, विश्वसनीय उत्पाद या सेवाएं तैयार कर रही हैं । इसके बाद वर्ष 1987 में ISO 2001 को संस्था द्वारा पब्लिश किया गया । यह क्वालिटी मैनेजमेंट के मानकों का विश्लेषण करता था ।
इसके बाद धीरे धीरे संस्था ने सूचना सुरक्षा, सामाजिक जिम्मेदारी, ऊर्जा प्रबंधन जैसे कई क्षेत्रों के लिए Standards को तैयार किया । एक बिजनेस के सभी आयामों पर आईएसओ नजर रखता है और क्वालिटी कंट्रोल से लेकर प्रोडक्ट मैनेजमेंट तक, सबके लिए कुछ नियम भी तय करता है ताकि उपभोक्ताओं को सुरक्षित और अच्छी गुणवत्ता वाली सेवाएं और उत्पाद प्राप्त हो सकें ।
Types of ISO Certificates
ISO Certificate के ढेरों अलग अलग प्रकार होते हैं । आप किस प्रकार का बिजनेस करते हैं, उसी हिसाब से आपको कोई एक प्रकार चुनना होता है । चलिए इनके बारे में संक्षेप में समझते हैं ताकि आपको इनमें से एक अपने बिजनेस के लिए चुनने में आसानी रहे ।
1. ISO 9001 2008 – Quality Management
ISO 9001 2008 – Quality Management उन्हीं व्यवसायों को प्रदान किया जाता है जो अपने प्रोडक्ट या सर्विस की गुणवत्ता को मेंटेन करके रखते हैं । अगर कोई व्यवसाय यह आईएसओ सर्टिफिकेट प्राप्त करना चाहती है तो सबसे पहले उसे यह दिखाना होगा कि वह लगातार उच्च गुणवत्ता के प्रोडक्ट्स बना सकती है जो सभी मानकों पर खरा उतरते हों ।
इसके साथ ही कंपनी को Customer Satisfaction पर भी पूरा ध्यान देना होगा । कंपनी को लगातार मौजूदा सिस्टम को अपडेट, अपग्रेड और इंप्रूव करते रहना होगा ताकि ग्राहकों को उच्च गुणवत्ता की सेवाएं और उत्पाद प्राप्त हो सकें ।
2. ISO 14001 – Environmental Management
ISO 14001 – Environmental Management सर्टिफिकेट को आप उस परिस्थिति में प्राप्त कर सकते हैं जब आप अपने पर्यावरण संबंधी जिम्मेदारियां सही ढंग से निभा रहे हों । हर देश Sustainable Development की ओर अग्रसर हो रहा है और इसलिए यह जरूरी है कि पर्यावरण की बेहतरी को ध्यान में रखते हुए ही उत्पादों या सेवाओं का निर्माण हो ।
इसलिए कंपनी को environmental management system तैयार करने पर ध्यान देना चाहिए जो पर्यावरण को बिना क्षति पहुंचाए व्यावसायिक गतिविधियों को सुचारू रूप से चलाने में सहयोग दे । इसके अलावा मौजूदा साधनों का सही तरीके से उपयोग भी यह सर्टिफिकेट को पाने में आपकी मदद करेगा ।
3. ISO 27001 – Information security Management
ISO 27001 एक Information Security Management Standard जो यह तय करता है कि किसी संस्था या कंपनी अपने पास मौजूदा जानकारियों और आंकड़ों से जुड़े जोखिमों का निपटारा कैसे करती है । एक कंपनी के पास हजारों लाखों ग्राहकों के आंकड़े और कई महत्वपूर्ण जानकारियां मौजूद होती हैं । ऐसे में इन आंकड़ों से संबंधित कई जोखिम भी सामने आते हैं ।
अक्सर आपने सुना होगा कि Data Breach हो गया या कोई कंपनी साइबर अटैक का शिकार हो गई और लाखों करोड़ों ग्राहकों की जानकारियां चोरी की जा चुकी हैं । इन सबसे बचने के लिए कंपनी को किस प्रकार के कदम उठाने चाहिए यह ISO ही तय करता है । अगर कंपनी निर्धारित नियमों और मानकों पर खरा उतरती है तो उसे यह आईएसओ 27001 सर्टिफिकेट प्रदान किया जाता है ।
4. ISO 22008 – Food Safety Management
अगर आपका बिजनेस किसी भी प्रकार से भोजन खाद्य पदार्थों से जुड़ा हुआ है तो आपको ISO 22008 – Food Safety Management लेना चाहिए । यह सर्टिफिकेट यह सुनिश्चित करता है कि कंपनी या व्यवसाय Food Safety से जुड़े सभी मानकों पर खरा उतरती है और अपने ग्राहकों को उच्च गुणवत्ता के खाद्य पदार्थ सप्लाई कर रही है ।
मानक यह बताते हैं कि कैसे एक संगठन सुरक्षा खतरों को नियंत्रित करने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन कर सकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भोजन सुरक्षित है । संस्था Food System Management से सम्बन्धित मानक तय करती है ।
भारत में ISO Certificate कैसे प्राप्त करें ?
अगर आप अपने बिजनेस के लिए ISO Certificate प्राप्त करना चाहते हैं तो नीचे इसकी पूरी जानकारी दी गई है । आप नीचे दिए सभी Steps को पूरा करके यह सर्टिफिकेट प्राप्त कर सकते हैं । आप estartupindia Platform की मदद से आईएसओ सर्टिफिकेट बड़ी ही आसानी से प्राप्त कर सकेंगे । इसलिए लिए नीचे दिए Steps फॉलो करें:
Step 1. सबसे पहले e-startupindia प्लेटफॉर्म पर जाएं और दिए गए Packages में से कोई एक चुनें । आप अपनी सहूलियत के हिसाब से कोई भी प्लान चुन सकते हैं ।
Step 2. इसके बाद आपको Sign up करना होगा जिसके लिए आपको अपना नाम, ईमेल एड्रेस और मोबाइल नंबर इंटर करना होगा ।
Step 3. Sign Up करने के पश्चात अगले पेज में आपसे अन्य जानकारियां मांगी जायेंगी जैसे नाम, एड्रेस, बिजनेस से जुड़ी जानकारियां, इन्वाइस आदि । सभी मांगी गई जानकारियां सही सही भर दें ।
Step 4. इसके बाद आपके सामने पेमेंट का विकल्प आएगा । आपको फिर निर्धारित पेमेंट करना होगा ।
Step 5. अब आपको प्लेटफॉर्म से ISO Consultancy, Documentation और Implementation आदि मिल जायेगा । इन्हें अपने पास रखें ।
Step 6. अंत में आपके बिजनेस का पूरा ऑडिट किया जायेगा और सबकुछ सही पाए जाने पर आपको ISO Certificate प्रदान कर दिया जाएगा ।
इस तरह आप बड़ी ही आसानी से आईएसओ सर्टिफिकेट भारत में प्राप्त कर सकते हैं । आप चाहें तो इंटरनेट पर मौजूद अन्य कई प्लेटफॉर्म की मदद ले सकते हैं । इसके अलावा ऑफलाइन कई सेंटर भी बने हुए हैं जो आपको आईएसओ सर्टिफिकेट प्राप्त करने में मदद करेंगे । पूरे भारत में ढेरों जनसेवा केंद्र ऐसे हैं जहां से आप आसानी से यह सर्टिफिकेट प्राप्त कर सकते हैं ।
Documents for ISO Certificate
अगर आप आईएसओ सर्टिफिकेट प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको कुछ जरूरी दस्तावेजों की आवश्यकता पड़ेगी । आप नीचे दिए डॉक्यूमेंट्स की मदद से आईएसओ सर्टिफिकेट प्राप्त कर सकते हैं ।
- Company Registration/GST Registration
- Invoice Bills
- Organization Letterhead
- Organization Pan Card
- Any Other Relevant Document
आप चाहें ऑफलाइन ISO Certificate प्राप्त करना चाहें या ऑनलाइन, आपको ऊपर दिए सभी डॉक्यूमेंट्स की आवश्यकता पड़ेगी ही ।
Benefits of ISO Certificate
अगर आपका कोई छोटा/बड़ा बिजनेस है तो आपको ISO Certificate अवश्य प्राप्त करना चाहिए । यह सर्टिफिकेट आपके बिजनेस को ग्राहकों और अन्य व्यवसायों की नजर में ज्यादा Credible और Authentic बनाता है । चलिए एक नजर डालते हैं आईएसओ सर्टिफिकेट के फायदे पर:
- यह सर्टिफिकेट बिजनेस क्वालिटी को मेंटेन करने में मदद करता है ।
- संस्था के प्रॉफिट मार्जिन को बढ़ाता है और लागत को कम करता है ।
- संसाधनों की बरबादी को रोकता है ।
- सरकारी टेंडर और अन्य कई प्रकार के कॉन्ट्रैक्ट दिलाने में मदद करता है ।
- प्रतियोगियों, ग्राहकों और आम जनता की नजर में बिजनेस के प्रति भरोसे को बढ़ाता है ।
अगर आप आईएसओ सर्टिफिकेट प्राप्त करते हैं तो आपको चहुंमुखी फायदे होते हैं । खासकर कि अगर आप International Trade करना चाहते हैं तो आईएसओ प्रमाणित होना जरूरी हो जाता है । यह सर्टिफिकेट बिजनेस को दुनिया भर में एक पहचान प्रदान करता है जिसकी वजह से आप आसानी से अंतरराष्ट्रीय व्यापार कर पाते हैं ।
- B2B Sales क्या है ?
- Franchise Business Model क्या है ?
- Cost Accounting in Hindi
- Sales Deed in Hindi
- Breach of Contract Meaning in Hindi
- Export and Import Meaning in Hindi
- Custom Duty और Excise Duty में अंतर
ISO Numbers और उनके अर्थ
एक संस्था को ढेरों अलग अलग प्रकार के ISO Certificates और Numbers असाइन किए जाते हैं । आप नीचे दिए टेबल के माध्यम से समझ सकते हैं कि किस नंबर का क्या महत्व है या कोई खास आईएसओ नंबर क्या कहता है ।
ISO Numbers | Description |
---|---|
9001: 2015 | गुणवत्ता संचालकीय प्रणाली |
16949:2009 | ऑटोमेटिव इंडस्ट्री के लिए क्वालिटी मैनेजमेंट सिस्टम |
45001:2018 | सुरक्षित और स्वस्थ कार्यस्थल |
14001:2015 | पर्यावरण प्रबंधन प्रणाली के लिए आवश्यकताएँ |
22000:2018 | वैश्विक खाद्य श्रृंखला में व्यवसायों के लिए खाद्य सुरक्षा मानक |
27001: 2015 | सूचना प्रणाली की सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए |
13485: 2012 | उन संगठनों के लिए अभिप्रेत है जो चिकित्सा उपकरण प्रदान करते हैं |
26000: 2010 | सतत विकास में योगदान करने में संगठनों की सहायता करने के लिए अभिप्रेत |
50001: 2011 | ऊर्जा प्रबंधन प्रणाली की स्थापना, कार्यान्वयन, रखरखाव और सुधार के लिए आवश्यकताओं को निर्दिष्ट करता है |
20000-1:2011 | आईटी सेवा प्रबंधन प्रणाली |
FDA | खाद्य एवं औषधि प्रशासन |
GDP | उत्पाद वितरण अभ्यास |
GMP | उत्पाद निर्माण |
ROHS | कुछ खतरनाक पदार्थों के उपयोग पर प्रतिबंध |
HACCP | स्वास्थ्य विश्लेषण और महत्वपूर्ण बिंदु |