आपके अक्सर Procurement के बारे में सुना होगा, खासकर कि व्यवसाय और लेनदेन के संबंध में । उदाहरण के तौर पर, वर्तमान में एक खबर चल रही है कि गेहूं की बड़ी प्रोक्योरमेंट 25 मार्च से मध्यप्रदेश से शुरू होगी । ऐसे ही स्वास्थ्य, रक्षा, उत्पादन जैसे कई क्षेत्रों से लगातार ऐसी खबरे भी आती हैं जिनमें इस शब्द का प्रयोग किया जाता है ।
ऐसे में आपके मन में सिर्फ एक ही प्रश्न आता होगा कि आखिर प्रोक्योरमेंट क्या है ? इस कैसे किया जाता है ? इसका इस्तेमाल कब और किस परिस्थिति में किया जाता है ? साथ ही इससे जुड़े अन्य टर्म्स जैसे e-procurement और पब्लिक प्रोक्योरमेंट क्या है ? इन सभी प्रश्नों का उत्तर हम आपको एक एक करके देंगे ।
Procurement Meaning In Hindi से पहले यह समझ लें कि यह किसी भी व्यवसाय के लिए बेहद जरूरी होता है । इसकी मदद से ही व्यवसाय सुचारू रूप से चल पाते हैं और उत्पादन कर पाते हैं । इसके अंतर्गत मुख्य रूप से 3 अलग अलग पार्टियां भी शामिल होती हैं ।
Procurement Meaning in Hindi
Procurement का हिंदी अर्थ किसी वस्तु को प्राप्त करने या खरीदने की प्रक्रिया होती है । यह किसी बाहरी स्रोत से वस्तुओं, सेवाओं, या अन्य कार्यों को खोजने शर्तों, से सहमत होने और खरीदने की विधि है । इसे हिंदी में अधिप्राप्ति और प्रापण भी कहा जाता है ।
इसे आप एक उदाहरण से समझिए । मान लेते हैं कि आपकी कलम बनाने की कोई कंपनी है । कलम बनाने के लिए आपको कई प्रकार के कच्चे माल की आवश्यकता पड़ती होगी जैसे Colorants, Rubber, Metal Alloys आदि । ऐसे में आप इन्हें बाहरी स्रोत जैसे किसी सप्लायर से बड़ी मात्रा में खरीदेंगे । बस इसे ही प्रोक्योरमेंट कहा जायेगा ।
यानि जब किसी बाहरी स्रोत से तय नियम और शर्तों पर सहमति के पश्चात बड़ी मात्रा में वस्तु या सेवाएं प्राप्त की जाती हैं या खरीदी जाती हैं तो उसे हम Procurement कहेंगे । ध्यान दीजिए कि जब विक्रय का मूल्य और मात्रा कम हो और व्यावसायिक उद्देश्य से विक्रय न किया गया हो तो इस शब्द का इस्तेमाल नहीं किया जाता है ।
Synonyms & Antonyms of Procurement
प्रोक्योरमेंट की पूरी प्रक्रिया और इससे जुड़े अन्य शब्दावलियों को हम आगे समझेंगे । इससे पहले Procurement Synonyms और Antonyms को समझना जरूरी है । तो सबसे पहले देखते हैं कि प्रोक्योरमेंट के समानार्थी शब्द शब्द क्या हैं:
- acquisition (अधिग्रहण)
- ownership (स्वामित्व)
- accession (परिग्रहण)
- retention (अवधारण)
- obtainment (ग्रहण)
ये 5 मुख्य रूप से अधिप्राप्ति के समानार्थी शब्द हैं । चलिए अब देखते हैं कि इस शब्द के विलोम शब्द कौन कौन से हैं:
- forfeit (अर्थदंड)
- Exclusion (बहिष्करण)
- Lose (खोना)
- dissuade (विरत करना)
- Disposal (निपटान)
Procurement Process in Hindi
Procurement Proocess के कुल 5 पड़ाव होते हैं जिन्हें समझना जरूरी है । अगर आपने किसी न्यूज आर्टिकल में पढ़ा या कहीं सुना कि किसी वस्तु की प्रोक्योरमेंट की गई है तो इसके पीछे कुल 5 पड़ाव शामिल हैं:
1. आवश्यकता की पहचान करें और एक योजना विकसित करें
Procurement की प्रक्रिया में सबसे पहला कदम है आवश्यकता की पहचान करने का । सबसे पहले किसी भी संगठन में यह पहचान किया जाता है कि किसी सर्विस, उत्पाद की आवश्यकता क्यों और कितनी है । इसके पश्चात योजना विकसित की जाती है । उदाहरण के तौर पर अगर हम पेन बनाने वाली कंपनी का ही उदाहरण लें, तो कंपनी मैनेजमेंट बिना सोचे समझे तो माल खरीदेगी नहीं ।
यानि सबसे पहले उसका कार्य होगा यह देखना कि वास्तविक रूप से किस कच्चे माल की आवश्यकता है । मान लेते हैं कि उसके पास कलम बनाने के लिए Colorants की कमी पड़ रही है । लेकिन कितनी कमी है, कितनी मात्रा में खरीद होगी आदि की पहले पहचान करनी होगी । अगला कदम एक Procurement Plan विकसित करना है जो खरीद के लिए आवश्यकताओं, उद्देश्यों, समयरेखा, बजट और मूल्यांकन मानदंडों की रूपरेखा तैयार करती है ।
2. Suppliers की खोज करें
प्रोक्योरमेंट का अगला कदम होगा सप्लायर्स यानी आपूर्तिकर्ताओं की खोज करना और सही सप्लायर को चुनना । सही सप्लायर चुनने से हमारा आशय है कि एक ऐसे आपूर्तिकर्ता को खोजना जो लगातार आपको कच्चा माल उचित दाम पर उपलब्ध कर सके । इसके साथ ही Procurement Plan के अनुरूप पूर्ति कर सके ।
एक सही सप्लायर की तलाश करने के लिए market analysis, supplier research और pre-qualification process जरूरी होता है । Pre-qualification यानि यह तय करना कि कौनसा सप्लायर वाकई अधिप्राप्ति/खरीद/प्रापण के लिए उचित होगा ।
3. सप्लायर से कॉन्टैक्ट पर बातचीत करें
अब अगर आपने अपने व्यवसाय के लिए एक सही सप्लायर को ढूंढ लिया है तो कॉन्ट्रैक्ट पर बात करें । Contract यानि अनुबंध में यह साफ साफ लिखा होगा कि माल की आपूर्ति के नियम एवं शर्तें क्या क्या होंगी । ये नियम और शर्ते आपके और सप्लायर के आपसी समझौते के साथ तैयार होनी चाहिए ।
प्रोक्योरमेंट से पहले ऐसे कॉन्ट्रैक्ट का होना बहुत जरूरी है जिसपर दोनों पक्ष सहमत हों । ताकि भविष्य में किसी प्रकार का कोई भी विवाद उत्पन्न न हो । सप्लायर से मूल्य निर्धारण, वितरण कार्यक्रम, गुणवत्ता मानकों और खरीद के अन्य नियमों और शर्तों पर चर्चा करना शामिल है ।
4. Procurement Contract प्रदान करें
अगर सप्लायर यानि आपूर्तिकर्ता के साथ प्रोक्योरमेंट को लेकर समझौता हो गया है तो अब सप्लायर को Procurement Contract दे देना चाहिए । कॉन्ट्रैक्ट देने के पश्चात, अब आपका कार्य यह देखना है कि कॉन्ट्रैक्ट के हिसाब से सप्लायर सप्लाई कर रहा है या नहीं । आपको मैनेजमेंट के तौर पर पूरे खरीदी प्रक्रिया पर नजर रखनी है और साथ ही सप्लायर से अच्छे संबंध बनाए रखना चाहिए ।
अगर खरीद प्रक्रिया के दौरान आपको या सप्लायर को किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत होगी, तो आपसी समझौते के साथ उसपर बात करनी चाहिए ।
5. Procurement Contract का अंत करें
सबसे अंत में प्रोक्योरमेंट कॉन्ट्रैक्ट को खत्म करना होता है । इसे बंद करने या खत्म करने के लिए आपको कुछ जरुरी बातों का ध्यान रखना है । जैसे अंतिम भुगतान करना, अनुबंध को बंद करना और खरीद प्रक्रिया की प्रभावशीलता का आकलन करने के लिए खरीद के बाद का मूल्यांकन करना ।
कॉन्ट्रैक्ट के अंत में सप्लायर के साथ आपके कैसे संबंध रहे, कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक किस स्तर पर सप्लाई प्राप्त हुआ इसका Evaluation करना बहुत जरूरी है । इससे आपको यह तय करने में आसानी होगी कि आप भविष्य में भी उसी सप्लायर के साथ कार्य करना चाहेंगे या नहीं ।
E-Procurement Meaning In Hindi
इलेक्ट्रॉनिक प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से वस्तुओं, सेवाओं या कार्यों को खरीदने की प्रक्रिया को e-procurement कहा जाता है । इसमें इंटरनेट सिस्टम जैसे इंटरनेट, सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता है ।
ऊपर हमने आपको Procurement Process के अंतर्गत जितने भी पड़ावों की जानकारी दी है, जब E-Procurement की बात आती है तो सबमें इंटरनेट का इस्तेमाल जरूरी हो जाता है । यानि पहले सबकुछ ऑफलाइन मोड से होता था लेकिन जब ई प्रोक्योरम की बात आती है तो इसमें e-sourcing, e-tendering, e-awarding, e-contracting और e-invoicing शामिल हो जाता है ।
यानि सबकुछ ऑनलाइन, इंटरनेट और सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन के इस्तेमाल के साथ । उदाहरण के तौर पर आप भारत सरकार के Central Public Procurement Portal को ले सकते हैं । यह एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है जो भारत में सरकारी संगठनों के लिए खरीद प्रक्रिया को सुगम बनाता है ।
पोर्टल पर eProcurement System तैयार किया गया है जिसकी मदद से Tenderers मुफ्त में Tender Schedule डाउनलोड कर सकते हैं और इस पोर्टल के माध्यम से bids ऑनलाइन जमा कर सकते हैं । Bids या Bidding यानि नीलामी में बोली लगाना या बोली लगाना । यह प्रक्रिया ऑनलाइन की जा सकती है । अगर आप इस विषय पर ज्यादा जानकारी चाहते हैं तो कॉमेंट कर सकते हैं ।
Procurement Department Meaning In Hindi
Procurement Department किसी व्यवसाय या कंपनी का एक यूनिट या इकाई है जिसका उद्देश्य किसी संगठन द्वारा आवश्यक वस्तुओं, सेवाओं या कार्यों का अधिग्रहण है । खरीद विभाग संगठन की आवश्यकताओं की पहचान करने, आपूर्तिकर्ताओं को खोजने के लिए जिम्मेदार है जो आवश्यक सामान या सेवाएं प्रदान कर सकते हैं और खरीद की शर्तों पर बातचीत कर सकते हैं ।
हमने खरीद प्रक्रिया में जिन 5 बिंदुओं के बारे में आपको जानकारी दी है, वे सभी इसी डिपार्टमेंट के अंतर्गत आता है । यही डिपार्टमेंट संगठन की जरूरतों की पहचान करने से लेकर सप्लायर ढूंढने और उनके साथ अच्छे संबंध स्थापित करने के लिए जिम्मेदार है ।
Public procurement meaning in Hindi
Public Procurement वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा सरकारी एजेंसियां और सार्वजनिक क्षेत्र के संगठन सप्लायर से सामान, सेवाएं या सर्विस खरीदते हैं । इसका मूल उद्देश्य लागत प्रभावी, कुशल और पारदर्शी तरीके से सार्वजनिक क्षेत्र के संगठन की जरूरतों को पूरा करने के लिए आवश्यक आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं का अधिग्रहण करना है ।
यह प्रक्रिया देश की अर्थव्यवस्था को बेहतर करने और विकास में सहायक होता है । साथ ही यह प्रक्रिया यह भी सुनिश्चित करती है कि स्वास्थ्य, शिक्षा और परिवहन के क्षेत्र में सार्वजनिक सेवाओं का प्रभावी वितरण हो रहा है । यह प्रक्रिया थोड़ी जटिल होती है और अलग अलग राज्यों/सरकारों/देशों/संगठनों के हिसाब से अलग अलग होती है ।
Consortium procurement Meaning in Hindi
Consortium Procurement को हिंदी में संघ अधिप्राप्ति कहते हैं । इसमें वस्तुओं या सेवाओं की संयुक्त रूप से खरीद के लिए कई संगठनों का सहयोग शामिल है, जो लागत कम करने और सौदेबाजी की शक्ति में सुधार करने में मदद कर सकता है ।
आमतौर पर इसमें एक ही प्रोजेक्ट पर कई संगठन मिलकर काम करते हैं और एक ही कॉन्ट्रैक्ट सबपर लागू भी होता है ।