Outsourcing व्यवसाय की दुनिया में एक काफी लोकप्रिय शब्द है । दुनियाभर की छोटी बड़ी कंपनियां इससे लाभ प्राप्त कर रही हैं । इसके अंतर्गत एक कंपनी अपने किसी कार्य को पूरा करने के लिए किसी अन्य पार्टी या कंपनी की सहायता लेती है । इससे कुल लागत में कमी आती है और साथ ही कंपनी नए स्किल्स का फायदा भी ले सकती है ।
इस लेख में हम आपको विस्तार से समझाएंगे कि आउटसोर्सिंग क्या है, इसके फायदे और नुकसान क्या है, इसके कितने प्रकार होते हैं । बीच बीच में आपको real life examples भी दिए जायेंगे ताकि आप पूरा कांसेप्ट अच्छे से समझ सकें । आर्टिकल के अंत में हम आपको बताएंगे कि भारत की बड़ी आउटसोर्सिंग कंपनियां कौन सी हैं और क्या यह भारत के लिए फायदेमंद है ?
हमारी पूरी कोशिश रहेगी कि आपको Outsourcing in Hindi के इस आर्टिकल में संबंधित सभी प्रश्नों का जवाब हम देंगे । अगर आपके मन में ऐसे प्रश्न आर्टिकल पढ़ने के पश्चात आते हैं जिनका जवाब नहीं दिया गया है तो आप कॉमेंट करके पूछ सकते हैं ।
Outsourcing क्या है ?
Outsourcing एक व्यावसायिक अभ्यास है जिसके अंदर एक कंपनी अपने कार्यों को पूरा करने और सेवाएं देने के लिए किसी अन्य कंपनी के साथ समझौता करती है । एक कंपनी अपने आंतरिक कार्यों के लिए किसी दूसरी कम्पनी से समझौता करके काम करवाती है । इसे आम भाषा में ठेकेदारी भी कहते हैं ।
इसे एक आसान से उदाहरण की मदद से समझिए । मान लेते हैं कि आपकी छोटी सी कोई कम्पनी है जिसका बजट बहुत ज्यादा नहीं है । लेकिन आपको Bookkeeping जरूर करवानी है ताकि आप कानूनी प्रक्रिया का पालन कर सकें और साथ ही कम्पनी के सारे रिकॉर्ड्स सही ढंग से रख सकें ।
लेकिन इसके लिए आपको Software के साथ साथ एक Highly Qualified Accountant भी चाहिए । कुल मिलाकर आपके पास इतना बजट नहीं है और आप हर महीने अकाउंटेंट की सैलरी, सॉफ्टवेयर अपडेट आदि पर रुपए खर्च नहीं कर सकते । इसलिए आप यही काम किसी अन्य कंपनी को सौंप देंगे जो आपके लिए यह सारे काम कम दाम में करके देगी । बस इसी को Outsourcing कहते हैं ।
Examples of Outsourcing
Outsourcing के कई उदाहरण हैं लेकिन इनमें 3 सबसे प्रमुख उदाहरण हैं जिनकी जानकारी नीचे हम दे रहे हैं ।
1. Legal Services
देश दुनिया में लगभग सभी व्यवसायों को कभी न कभी Legal Services की जरूरत पड़ती है । लेकिन इसकी जरूरत पूरे वर्ष नहीं होती है इसलिए इसे आउटसोर्स किया जा सकता है । तमाम देश विदेश की कंपनियां कानूनी सेवाओं को आउटसोर्स करती हैं ताकि व्यवसाय संबंधित सभी कानूनी दिक्कतों का समाधान किया जा सके ।
एक कंपनी को कई कानूनी दिक्कतों जैसे exchange regulation और foreign economic activity से संबंधित आती हैं । ऐसे में इनके समाधान के लिए लीगल सर्विस ली जाती हैं । कई कंपनियां एक पूरी लीगल टीम का खर्च वहन नहीं कर सकतीं इसलिए जरूरत पड़ने पर आउटसोर्स कर लेती हैं ।
2. Advertising
वर्तमान समय में धीरे धीरे Advertising Outsourcing का प्रचलन बढ़ रहा है । इसका सबसे बड़ा कारण विश्वव्यापी digitalisation है जिसकी वजह से अब करोड़ों लोग इंटरनेट से जुड़ चुके हैं । ऐसे में कंपनियों के लिए एडवरटाइजिंग करवाना महत्वपूर्ण हो गया है चाहे ऑनलाइन हो या ऑफलाइन ।
लेकिन इसके लिए कंपनियां अपने बजट का एक बड़ा हिस्सा एडवरटाइजिंग पर खर्च नहीं करना चाहती क्योंकि इससे सस्ता तरीका आउटसोर्सिंग के रूप में मौजूद है । प्रचार प्रसार के लिए भी आउटसोर्सिंग करने की वजह से कंपनियां हायरिंग प्रोसेस और इसमें लगने वाला खर्च, बड़ी सैलरी, टैक्स आदि से बच जाती हैं ।
3. IT-outsourcing
Outsourcing का तीसरा सबसे बड़ा उदाहरण IT-outsourcing है । इसके अंतर्गत दो प्रकार की सर्विसेज आती हैं, पहली नए सॉफ्टवेयर को बनाना और दूसरा कंप्यूटर इक्विपमेंट्स को सुचारू रूप से चलाने के लिए क्षमतावान बनाना । ये दोनों काम हर कोई नहीं कर सकता है और हर कंपनी लाखों करोड़ों के पैकेज पर एक्सपर्ट को हायर नहीं कर सकती है ।
इसलिए कंपनियां IT-outsourcing करती हैं जिसमें वे किसी बढ़िया IT outsourcing company को आईटी से जुड़े कार्यों को सौंप देती हैं जब भी उन्हें जरूरत महसूस होती है । इससे न सिर्फ उनका टैक्स बचता है बल्कि बजट से भारी कटौती भी नहीं होती है ।
Types of Outsourcing in Hindi
Outsourcing के मुख्य रूप से 3 प्रकार होते हैं जिनके बारे में हम नीचे उदाहरण सहित बात करेंगे । तो चलिए Types of Outsourcing यानी आउटसोर्सिंग के प्रकार के बारे में समझते हैं ।
1. Local Outsourcing
सबसे पहले स्थान पर आता है Local Outsourcing जिसे Onshore Outsourcing भी कहते हैं । इसके अंतर्गत एक कंपनी अपने देश के राजनीतिक सीमा के अंतर्गत स्थित किसी अन्य कंपनी को आउटसोर्स करती है ।
उदाहरण के तौर पर भारत की कोई कंपनी भारत की ही किसी अन्य कंपनी को काम सौंपे । जैसे नई दिल्ली की कोई कंपनी हो और हैदराबाद की किसी कम्पनी को आउटसोर्स करे । इस तरह की आउटसोर्सिंग को लोकल आउटसोर्सिंग कहा जाता है ।
इसके कई फायदे होते हैं जैसे अक्सर कंपनियां एक ही भाषा और संस्कृति की मिल जाती हैं जिससे communication barrier का खात्मा हो जाता है । साथ ही आउटसोर्स की गई कंपनी को देश के नियम कानूनों की अच्छी जानकारी होती है जिसे ध्यान में रखकर वह काम करती है । अपने ही देश की कंपनी होने के वजह से किसी प्रकार का खतरा भी कम हो जाता है ।
2. Nearshore Outsourcing
दूसरे स्थान पर आता है Nearshore Outsourcing । जब आप अपनी कंपनी के किसी कार्य को पूरा करने के लिए किसी पड़ोसी देश की कंपनी को काम सौंपते हैं तो इसे नियरशोर आउटसोर्सिंग कहते हैं । उदाहरण के तौर पर भारत की कोई कंपनी भूटान की किसी कम्पनी को कोई कार्य सौंपती है ।
इसके भी अपने फायदे होते हैं । अक्सर ऐसा होता है कि आपने देश से ज्यादा बेहतर employees पड़ोसी देश की कंपनियों में मिल जाते हैं जिसका फायदा उठाया जा सकता है । साथ ही पड़ोसी देश की कंपनियों को आउटसोर्स करने पर लोकल आउटसोर्सिंग से कम रुपए भी खर्च होते हैं । हालांकि इसमें कहीं न कहीं language barrier आ जाता है और रिस्क संभावना बढ़ जाती है ।
3. Offshore Outsourcing
तीसरे स्थान पर है Offshore Outsourcing जो हाल के वर्षों में काफी पॉपुलर हुआ है । इसके अंतर्गत किसी एक देश की कंपनी किसी ऐसे देश की कंपनी को कार्य सौंपती है जो काफी दूर है । उदाहरण के तौर पर भारत की कोई कंपनी अमेरिका की किसी कम्पनी को आउटसोर्स अगर करती है तो ऑफशोर आउटसोर्सिंग कहलाएगा ।
अमेरिका जैसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश भारत, चीन जैसे देशों की कंपनियों को आउटसोर्स करके सेवाएं प्राप्त करती हैं । इससे उनका कुल लागत भी कम आता है और साथ ही अच्छे टैलेंट भी मिल जाते हैं । हालांकि इसमें language barrier के साथ साथ risks का खतरा कई गुना तक बढ़ जाता है ।
Benefits of Outsourcing in Hindi
Outsourcing के कई बड़े फायदे होते हैं । हाल के वर्षों में आउटसोर्सिंग दुनिया भर में काफी प्रचलित हुई है और देश दुनिया की कई छोटी बड़ी कंपनियां आउटसोर्सिंग के ही माध्यम से सेवाएं प्राप्त कर रही हैं । चलिए एक नजर इसके फायदों पर डालते हैं:
- Outsourcing का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि इससे बजट की कटौती कम होती है और हायरिंग प्रोसेस के साथ ही कर्मचारियों को सैलरी का बोझ खत्म हो जाता है ।
- इसकी मदद से आप अपनी कंपनी की कुछ जरूरी सेवाओं को दूसरों को सौंप सकते हैं और खुद कम्पनी के brand, research और development जैसे कार्यों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं ।
- आउटसोर्सिंग करने की वजह से आपको अब recruitment और training जैसी चीजों पर रुपए खर्च नहीं करने पड़ेंगे और न ही समय गंवाने पड़ेंगे लेकिन आपको कम खर्च में ही skilled workforce मिलेगा ।
- इसका एक अन्य फायदा यह भी होता है कि आपकी कंपनी के उत्पाद या सेवाएं बेहतर होती हैं इसलिए आपका प्रॉफिट मार्जिन बढ़ता है ।
Drawbacks of Outsourcing in Hindi
जहां Outsourcing के कई फायदे हैं तो इसकी कुछ कमियां ये सीमाएं भी हैं । इन सीमाओं को ध्यान में रखकर ही आउटसोर्सिंग की जानी चाहिए । तो चलिए देखते हैं कि आउटसोर्सिंग की कमियां कौन कौन सी हैं:
- Outsourcing का सबसे बड़ा नुकसान यह होता है कि आपकी कंपनी के हाथ से नियंत्रण चला जाता है । हो सकता है कि दूसरी कंपनी आपके बिजनेस के हिसाब से सेवाएं न प्रदान कर सके ।
- Outsourcing का दूसरा बड़ा नुकसान होता है Data Protection and Confidentiality risks से संबंधित । कहीं कंपनी का डाटा और महत्वपूर्ण जानकारियां चोरी न हो जाएं, इसका डर बना रहता है ।
- कई बार आउटसोर्स की गई कंपनियों से भी गलती हो जाती है या वे समय पर आपका काम करके नहीं देते तो इस परिस्थिति में भी आपकी कंपनी का रेपुटेशन खराब हो सकता है ।
- आउटसोर्सिंग की वजह से सांस्कृतिक बाधा के साथ साथ भाषाई बाधाएं भी आ जाती हैं ।
Top Outsourcing Companies in India
भारत में कुछ Top Outsourcing Companies हैं जो दूसरे देश की कंपनियों के लिए आउटसोर्सिंग का कार्य करती हैं । उम्मीद है कि इनमें से आपने ज्यादा कंपनियों का नाम सुना होगा । नीचे दी गई कंपनियां अपने देश के साथ साथ दूसरों कई बड़े देशों की कंपनियों को सेवाएं देती हैं । इनकी सूची है:
- Tata Consultancy Service
- HCL Technologies
- Infosys
- Wipro Limited
- Larsen & Toubro Infotech Ltd
- Tech Mahindra Ltd
- Cognizant
- Mindtree Ltd
- Mphasis Ltd
- Genpact
- Aegis Limited
क्या Outsourcing भारत के लिए अच्छा है ?
Outsourcing कई मायनों में भारत के लिए अच्छा है क्योंकि इसकी वजह से देश में काफी रोजगार सृजन हुआ है । आज देश की कई बड़ी कंपनियों की कमाई का एक बड़ा हिस्सा आउटसोर्सिंग से ही आता है और इन कंपनियों में हजारों लोग काम करते हैं । इससे देश की अर्थव्यवस्था को भी बल मिलता है और अर्थव्यस्था मजबूत बनती है ।
जब विदेशी कंपनियां आउटसोर्सिंग कराती हैं तो उनकी मुद्रा भी देश में आती है यानि इससे देश के foreign reserve में भी बढ़ोत्तरी होती है । लेकिन जहां एक तरफ भारत की अर्थव्यवस्था और भारत की जनता को आउटसोर्सिंग से फायदा हो रहा है तो वहीं कई विकसित देश भारत को Outsourcing सर्विस सौंपने के खिलाफ होते जा रहे हैं ।
इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि भारत की कंपनियों को आउटसोर्स करने की वजह से विकसित देशों से capital outflow होता है यानि विकसित देशों की संपत्ति भारत में आती है जिससे भारत का foreign reserve बढ़ रहा है । दूसरा कारण यह है कि इसकी वजह से विकसित देशों में नौकरियों की कमी हो रही है क्योंकि उन्हीं कामों को कंपनियां कम दाम पर भारत की कंपनियों से करा रही हैं ।
FAQs on Outsourcing
1. आउटसोर्सिंग का क्या अर्थ होता है ?
आउटसोर्सिंग का अर्थ है जब एक कंपनी अपने आंतरिक कार्यों को करने का कार्य किसी अन्य कंपनी को सौंप देती है ।
2. आउटसोर्सिंग के क्या फायदे हैं ?
आउटसोर्सिंग का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि इससे बजट की कटौती कम होती है और हायरिंग प्रोसेस के साथ ही कर्मचारियों की सैलरी का बोझ खत्म हो जाता है । इसके साथ ही कंपनी को कम लागत में highly skilled workforce मिल जाती है ।
3. भारत की सबसे बड़ी आउटसोर्सिंग कंपनियां कौन सी हैं ?
Genpact, TATA Consultancy, Wipro Ltd, Aegis Limited, Mindtree Ltd आदि भारत की सबसे बड़ी आउटसोर्सिंग कंपनियां हैं ।