यह कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि Cottage Industry भारत की ज्यादातर जनसंख्या का भरण पोषण कर रही है । भारत के गांवों में आज भी रोजगार उपलब्ध नहीं किए जा सके हैं, ज्यादा से ज्यादा उन्हें रोजगार के नाम पर तालाब की खुदाई में लगा दिया जाता है । ऐसे में कॉटेज इंडस्ट्री मुख्य रूप से गांवों की जनसंख्या के लिए वरदान साबित हो रहा है ।
लोग अपने घरों में ही कई छोटे छोटे व्यवसाय जैसे कागज बनाना, जूते बनाना, साधारण औजार बनाना, बांस की टोकरियां बनाना आदि कर रहे हैं । इसके अंतर्गत ही पारंपरिक कार्यों को भी सूचीबद्ध किया जाता है जैसे बढ़ई, लोहार, धोबी आदि । आज के इस लेख में हम विस्तार से Cottage Industry Meaning in Hindi के साथ ही निम्नलिखित बिंदुओं पर बातें करेंगे:
- कॉटेज इंडस्ट्री का प्रकार
- भारत में कॉटेज इंडस्ट्री का महत्व
- कॉटेज इंडस्ट्री के लिए चलाए जा रहे सरकारी योजनाएं
Cottage Industry Meaning in Hindi
Cottage Industry का हिंदी अर्थ कुटीर उद्योग है । आसान भाषा में कहें तो कॉटेज इंडस्ट्री यानि कुटीर उद्योग आमतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों के घरों से चलने वाले उद्योग हैं जिन्हें काफी लागत की जरूरत पड़ती है । ऐसे उद्योग स्थानीय आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं और छोटे पैमाने पर चलाए जाते हैं ।
अगर आप ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं या कभी गांव भ्रमण पर गए हैं तो आपने देखा होगा कि लोग अपने घरों में बैठकर बांस की टोकरियां बनाते हैं, चमड़े के कई उत्पाद बनाए जाते हैं, लोहार और बढ़ई क्रमशः लोहे और लकड़ी का कार्य करते रहते हैं । इन सभी कार्यों को लोगों के घरों से ही संचालित किया जाता है और इसलिए इन्हें कुटीर उद्योग या Cottage Industry कहते हैं ।
जहां शहरों और महानगरों में इन्हीं उत्पादों को तैयार करने के लिए बड़ी बड़ी मशीनों की सहायता ली जाती है तो वहीं गांवों में लोग ज्यादतार कार्य अपने हाथों से ही करते हैं । हालांकि कुछ कुटीर उद्योगों में हाथ से इस्तेमाल में लाए जाने वाले औजार इस्तेमाल में लाए जाते हैं ।
Types of Cottage Industry in Hindi
गांवों में कई प्रकार के कुटीर उद्योग चलते हैं जिन्हें हम वर्गीकरण के माध्यम से समझेंगे । अगर आपने कहीं भी कुटीर उद्योग शब्द सुना है तो समझ लीजिए कि ऐसे उधोगों की बात हो रही है जहां आमतौर पर हाथों से ज्यादातर कार्य किए जाते हैं ।
चलिए एक नजर डालते हैं Types of Cottage Industry पर और देखते हैं कि कुटीर उद्योग के कितने प्रकार होते हैं । हम उदाहरण के साथ आपको आसान शब्दों में कॉटेज इंडस्ट्री के प्रकार के बारे में आपको समझाते हुए चलेंगे:
1. Metal Works (धातु का काम)
कुटीर उद्योग न सिर्फ भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यान्वित हैं बल्कि शहरों में भी इनकी मौजूदगी देखी जा सकती है । कुटीर उद्योग का एक बड़ा हिस्सा गांवों में ही बसता है लेकिन कुछ कुटीर उद्योग आप शहरों में भी देख सकते हैं । भारत में धातु का कारोबार हमेशा बढ़िया चलता है और बड़ी मात्रा में धातु के सामान विदेशों में भी निर्यात किए जाते हैं ।
कुटीर उधोगों में बड़ी मात्रा में धातु का काम किया जाता है । आभूषण, बर्तन, मूर्तियां आदि बनाने के लिए धातु की आवश्यकता होती है और इन्हें बनाने का काम बड़े पैमाने पर गांवों में भी होता है । खासकर कि Cottage Industry के अंतर्गत ढेरों अलग अलग प्रकार के बर्तन और मूर्तियां बनाई जाती हैं । जो कुटीर उधोग छोटे शहरों में स्थापित हैं, वहां आभूषण भी बनाए जाते हैं ।
2. Silk weaving (रेशम की बुनाई)
Cottage Industries का अगला प्रचलित और फायदे वाला कुटीर उद्योग रेशम बुनाई का है । भारत के कुटीर उधोगों में बड़े पैमाने पर रेशम की बुनाई की जाती है जिनसे लाखों परिवारों का घर चलता है । इसके साथ ही हम विश्व में सबसे ज्यादा रेशम का निर्यात करने वाले देशों की सूची में भी अपना स्थान बनाते हैं । भारत के कर्नाटक राज्य में सबसे ज्यादा रेशम की बुनाई की जाती है ।
भारत सरकार ने भी रेशम उधोग को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं । सरकार का लक्ष्य रेशम उधोग में कार्य करने वाले लोगों की संख्या को 85 लाख से बढ़ाकर 3 करोड़ करने की है और इस दिशा में लगातार प्रयास भी किए जा रहे हैं । वर्ष 2021 के अप्रैल से दिसंबर महीने में भारत ने कुल 26,587 metric tonne रेशम का उत्पादन किया था । IBEF के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2021 – 2022 में भारत ने कुल US$ 248.56 million का रेशम उत्पाद निर्यात किया है ।
3. Cotton weaving (कपास की बुनाई)
IBEF के एक अन्य आंकड़े के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2022 में सूती धागे और सूती वस्त्रों के निर्यात का मूल्य क्रमशः 4.05 बिलियन अमेरिकी डॉलर और 6.07 बिलियन अमेरिकी डॉलर था । इससे आप समझ सकते हैं कि कपास उद्योग भारत के लिए कितना महत्वपूर्ण है । भारत में सूती कपड़े अधिकाधिक मात्रा में पहने और पसंद किए जाते हैं और इसलिए इस क्षेत्र में रोजगार की संख्या काफी ज्यादा है ।
Cottage Industry के अंतर्गत कपास की बुनाई भी बड़े पैमाने पर की जाती है । खासकर कि भारत के राज्य महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु में कपास उद्योग बहुतायत की संख्या में मौजूद हैं ।
4. Carpet making (कालीन बनाना)
Cottage Industry में बड़े पैमाने पर कालीन बनाने का काम भी किया जाता है । भारत में कालीन उद्योग भी खूब फल फूल रहा है और विदेशों में बड़ी मात्रा में इसका निर्यात भी किया जाता है । भारत दुनिया में कालीन का शीर्ष निर्यातक रहा है । भारत दुनिया के कुल 70 देशों को कालीन निर्यात करता है और इससे भारत को काफी मुनाफा भी होता है ।
कश्मीर, उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, आंध्र प्रदेश कुछ ऐसे भारतीय राज्य हैं जहां कालीन बनाने वाले उधोगों की बहुतायत है । पूर्वांचल का मैनचेस्टर कहे जाने वाला जिला उत्तर प्रदेश का जिला भदोही कालीन बनाने में पूरे देश में अग्रणी है । भदोही के बने कालीनों की मांग पूरे विश्व में होती है । एक आंकड़े के अनुसार, भदोही के कालीन उद्योग में लगभग 20 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है ।
5. Leather works (चमड़ा का काम)
कुटीर उद्योगों में चमड़े का काम भी काफी फल फूल रहा है । भारत में चमड़ा उद्योग दुनिया के चमड़े/खाल के उत्पादन का लगभग 13% हिस्सा है । इसके साथ ही चमड़ा उद्योग की वजह से भारत के लगभग 40 लाख लोगों को रोजगार भी मिला हुआ है । अमेरिका, जर्मनी, इंग्लैंड, फ्रांस, इटली, चीन, हॉन्ग कॉन्ग और संयुक्त अरब अमीरात जैसे बड़े देशों में भारतीय चमड़ा और इससे बने उत्पाद निर्यात किए जाते हैं ।
भारतीय राज्य तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में बहुतायत में चमड़ा उद्योग स्थापित हैं । कुटीर उधोगों से भी चमड़ा व्यापार को काफी संबल प्राप्त होता है । ज्यादातर कुटीर उधोगों में चमड़े का उत्पादन और उनसे अलग अलग वस्तुएं बनाए जाते हैं ।
Importance of Cottage Industry in india
भारत में Importance of Cottage Industry यानि कुटीर उद्योग का क्या महत्व है, इसे आप निम्नलिखित आंकड़ों की मदद से समझ सकते हैं:
- कुटीर और लघु उद्योग भारत में कुल औद्योगिक उत्पादन का लगभग 40% हिस्सा लेते हैं ।
- भारतीय निर्यात में लगभग 45 प्रतिशत से 50 प्रतिशत का योगदान कुटीर उधोग और लघु उद्योग द्वारा किया जाता है ।
- वर्ष 2016-17 के दौरान खादी और ग्रामोद्योग क्षेत्र ने कुल मिलाकर 136.40 लाख लोगों को रोजगार के अवसर सृजित किए ।
- पश्चिम बंगाल राज्य में कुटीर उधोग और लघु उद्योग की लगभग 3,50,000 इकाइयाँ हैं, जो 22 लाख से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करती हैं
- अन्य लघु उद्योगों के साथ कुटीर उद्योगों ने औद्योगिक श्रम शक्ति के 80% को रोजगार प्रदान करने में मदद की है
कुटीर उधोगों ने भारत की एक बड़ी जनसंख्या को रोजगार प्रदान किया है और साथ ही इनका GDP यानि Gross Domestic Product में काफी योगदान है । यह पाया गया है कि इस उद्योग ने विकासशील और विकसित देशों में महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता प्रदान की है । इस उद्योग की मदद से सबसे ज्यादा महिलाएं ही सशक्त हुई हैं और गांवों में अपना रोजगार चला रही हैं ।
कुटीर उद्योग ग्रामीण क्षेत्रों के शेष कार्यबल की एक बड़ी मात्रा को शामिल करके अर्थव्यवस्था में मदद करता है । भारत के Cottage Industry के उत्पाद विदेशों में बड़ी मात्रा में निर्यात किए जाते हैं । यह औद्योगिक उत्पादन और देश के कुल शुद्ध निर्यात को बढ़ाने में भी योगदान देता है ।
छोटे पैमाने पर वस्तुओं के उत्पादन में वृद्धि से लोगों की आय में वृद्धि होती है । आय में वृद्धि से जीवन स्तर में सुधार होता है । इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों में लघु उद्योग की अत्यधिक आवश्यकता है । इसके साथ ही, लघु उद्योग श्रम प्रधान है और सस्ता भी, इसलिए लघु उद्योग का उत्पादन सस्ता है । कम कीमत के कारण लोग अधिक सामान खरीदते हैं और बाजार का विस्तार होता है ।
Government Schemes for Cottage Industries
भारत में Cottage Industry के महत्व को देखते हुए भारत सरकार लगातार इसके विकास और विस्तार के लिए कदम उठा रही है । समय समय पर कुटीर उधोगों को ध्यान में रखते हुए योजनाएं बनाई और चलाई जाती हैं और साथ ही जागरूकता कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं ।
चलिए एक नजर Government Schemes for Cottage Industries यानि कुटीर उद्योगों के लिए सरकारी योजनाओं पर नजर डालते हैं । नीचे दी गई सभी जानकारियां pib.gov.in से लिया गया है ।
Prime Minister’s Employment Generation Programme (PMEGP)
प्रधान मंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) एक क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी कार्यक्रम है जो सरकार की क्रेडिट लिंक्ड योजना है । इसके तरह भारत की पूर्व योजनाएं REGP (Rural Employment Generation Programme) और PMRY (Pradhan Mantri Rozgar Yojana) का विलय किया गया है ।
इसका उद्देश्य देश में ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में स्थायी और निरंतर रोजगार के अवसर पैदा करना और वित्तीय संस्थानों की भागीदारी को सुगम बनाकर सूक्ष्म क्षेत्र को ऋण का सुगम प्रवाह करना है ।
Centrally Sponsored Schemes for Handloom Weavers
हथकरघा बुनकर के लिए प्रस्तावित योजनाओं का मुख्य उद्देश्य प्राथमिक सहकारी समितियों को मजबूत करना है, ताकि लाभ सीधे बुनकरों को मिले । कुछ लाभ जिला, क्षेत्रीय और राज्य स्तर के शीर्ष सहकारी निकायों को भी दिए जाते हैं, जहां वे प्राथमिक सहकारी समितियों को विपणन और अन्य सहायता प्रदान करते हैं । इसके अंतर्गत निम्नलिखित योजनाएं चलाई जाती हैं:
- Weaver MUDRA Scheme
- National Handloom Development Programme (NHDP)
- Handloom Weavers’ Comprehensive Welfare Scheme
- Hathkargha Samvardhan Sahayata (HSS)
- National Handicraft Development Programme (NHDP)
इन योजनाओं की मदद से Cottage Industry के अंतर्गत आने वाले हथकरघा बुनकरों को फायदा पहुंचाने का प्रयास भारत सरकार द्वारा किया जा रहा है ।
Credit Guarantee Scheme for Micro and Small Enterprises (CGTMSE)
यह योजना सूक्ष्म और लघु उद्यम क्षेत्र को संपार्श्विक-मुक्त ऋण उपलब्ध कराने के लिए भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया था । मौजूदा और नए दोनों उद्यम इस योजना के तहत कवर होने के पात्र हैं । इस योजना के तहत उपलब्ध गारंटी कवर क्रेडिट सुविधा की स्वीकृत राशि के 50%, 75%, 80% और 85% की सीमा तक है । Cottage Industry की बेहतरी के लिए चलाई जा रही योजना मिल का पत्थर साबित हो रही है ।
- मीडिया क्या है ?
- पित पत्रकारिता क्या है ?
- ब्रॉडकास्ट यानि प्रसारण क्या है ?
- Mass Communication in Hindi
- Economics in Hindi
प्रति पात्र उधारकर्ता 20 लाख रुपये तक की ऋण सुविधाएं गारंटी योजना के तहत कवर की जाती हैं, बशर्ते कि उन्हें संपार्श्विक सुरक्षा या तीसरे पक्ष की गारंटी के बिना परियोजना की व्यवहार्यता पर बढ़ाया जाए ।
Conclusion
भारत की अर्थव्यवस्था में Cottage Industry का महत्वपूर्ण योगदान रहा है । कुटीर उद्योगों ने न सिर्फ लाखों की संख्या में रोजगार सृजित किए हैं, बल्कि साथ ही भारत के कुल निर्यात में भी अहम योगदान दिया है । कुटीर उद्योग का भविष्य काफी उज्जवल है और इस क्षेत्र में सरकार से ज्यादा सहयोग की आशा है । सरकार को अन्य कई योजनाएं Cottage Industry को बचाने के लिए चलानी चाहिए ।
आप कुटीर उधोगों के बारे में क्या राय रखते हैं और आपके हिसाब से कुटीर उद्योगों के विकास के लिए सरकार को कौन कौन से कदम उठाने चाहिए, कॉमेंट करके जरूर बताएं । अगर आपको Cottage Industry Meaning in Hindi का यह आर्टिकल पसंद आया तो इसे शेयर जरूर करें ।