Yellow Journalism पर विस्तार से बात करने से पहले आपको नीचे दी गई कुछ news headlines पर ध्यान देना चाहिए:
1. जब कैमरे पर धोनी ने दिया कोहली को गाली, तो जानिए कोहली की क्या रही प्रतिक्रिया ?
2. शाहरुख खान हुए बर्बाद, खाने तक को मोहताज!
3. ये फल खाने के बाद आपको कभी भूख नहीं लगेगी ।
ऐसी न्यूज हेडलाइंस पर अक्सर सोशल मीडिया या इंटरनेट पर पढ़ते होंगे । प्रिंट मीडिया में ऐसी खबरें लगभग नहीं के बराबर ही आती हैं । लेकिन टेक्नोलॉजी के इस युग में ’न्यूज वेबसाइट्स’ की भरमार है । ऊपर दिए गए न्यूज हेडलाइंस को जानबूझकर तैयार किया जाता है ताकि पाठकों का ध्यान आकर्षित हो और प्रकाशकों को किसी प्रकार का फायदा पहुंच सके ।
इस प्रकार की पत्रकारिता को ही हम Yellow Journalism कहते हैं । येलो जर्नलिज्म में तथ्यों और सच्चाई को हुबहू उजागर करने के बजाय गलत और भ्रामक खबरों को सनसनीखेज रूप में प्रस्तुत किया जाता है । इस विषय पर हम आपको विस्तार से नीचे जानकारी देंगे ।
Yellow Journalism क्या है ?
Yellow Journalism को हिन्दी में पीत पत्रकारिता कहते हैं । इस प्रकार की पत्रकारिता का उद्देश्य खबरों की हेडलाइंस को सनसनीखेज बनाना और भ्रामक खबरों को गलत तरीके से प्रस्तुत करना है । ऐसी खबरों में सच्चाई कम और भ्रमकता ज्यादा होती है जिसका उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा पाठकों/दर्शकों को आकर्षित करना है ।
माना जाता है कि इसकी शुरुआत Erwin Wardman ने की थी । पहले के समय में खबरों को जस का तस प्रस्तुत किया जाता था, हेडलाइंस यथोचित रखी जाती थी और त्रुटियों पर विशेष ध्यान दिया जाता था । लेकिन वर्तमान समय में न्यूज इंडस्ट्री में बढ़ता कंपटीशन ही पीत पत्रकारिता के लिए जिम्मेदार है ।
वर्तमान समय में पीत पत्रकारिता
वर्तमान समय में Yellow Journalism अपने चरमोत्कर्ष पर है । जिस प्रकार YouTube पर Clickbait की मदद से दर्शकों को आकर्षित किया जाता है ठीक उसी प्रकार पत्रकारिता की दुनिया में sensational headlines का इस्तेमाल होता है । आप अक्सर देखते होंगे कि छोटी सी खबर को भी काफी बढ़ा चढ़ा कर, खींच तान कर और सनसनीखेज तरीके से पेश किया जाता है ।
ऐसी सभी खबरों को हम पीत पत्रकारिता का एक उदाहरण कह सकते हैं । टेक्नोलॉजी के विस्तार की वजह से हर क्षेत्र में कंपटीशन काफी बढ़ गया है और न्यूज पब्लिकेशन भी अपने reader base को सही सलामत रखने के लिए पीत पत्रकारिता का सहारा लेती हैं । Zee News, NDTV India, India Today, Bhaskar, Amar Ujala जैसी बड़ी संस्थाएं भी पीत पत्रकारिता में संलिप्त हैं ।
Yellow Journalism की पहचान कैसे करें ?
अगर आप जानना चाहते हैं कि कौन सी खबरें सही मायनों में खबरें हैं और कौन पीत पत्रकारिता की देन तो निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान दें:
- पीत पत्रकारिता राई का पहाड़ बनाने में अव्वल होती हैं
- खबरों को जानबूझकर अगर सनसनीखेज बनाया गया हो
- एक ही जानकारी को बार बार तोड़ मरोड़कर पेश किया गया हो
- खबर पूरी तरह से सच्चाई से दूर हो
- भ्रामक तस्वीरों का इस्तेमाल किया गया हो
इन बिंदुओं पर आप खबरों को तौल सकते हैं और आसानी से पता लगा सकते हैं कि कौन सी खबर Yellow Journalism का उदाहरण हैं और कौन नहीं ।
Yellow Journalism in India
भारत में पीत पत्रकारिता पर विस्तार से बात करने से पूर्व गांधीजी के विचार जानना आपके लिए महत्वपूर्ण है । गांधीजी पत्रकारिता पर कहते हैं कि:
“एक स्वतंत्र प्रेस को न तो सहयोगी होना चाहिए और न ही विरोधी…। बल्कि एक रूढ़िवादी आलोचक होना चाहिए ।”
भारत में Yellow Journalism का रूप काफी विस्तृत हो चुका है । बड़ी बड़ी पत्रकारिता की संस्थाएं भी इस कार्य में लिप्त हैं और दर्शकों को सनसनीखेज खबरें परोस कर मुनाफा कमा रही हैं । सबसे ज्यादा बॉलीवुड इंडस्ट्री से जुड़ी पीत पत्रकारिता का रूप हमें देखने को मिलता है । यह आर्टिकल लिखते समय ही हमें गूगल न्यूज के माध्यम से दो ऐसी खबरें मिली जो पीत पत्रकारिता का उदाहरण कही जा सकती हैं ।
Sushant Singh Rajput का मामला हो या Aryan Khan का, दिल्ली में हुए दंगे हों या प्रधानमंत्री का चुनाव, ऐसे मौकों पर पीत पत्रकारिता में काफी उछाल देखने को मिलता है । यहां हम आपको बताते चलें कि पीत पत्रकारिता पूरी तरह गलत नहीं है लेकिन आधी अधूरी खबरें, खबरों को जानबूझकर मसालेदार और सनसनीखेज बनाना और भ्रामक खबरों को Question Mark और सूत्रों के हवाले से पता चला है (भले ऐसा न हो) कर प्रकाशित करना गलत है ।
Yellow Journalism Examples in Hindi
चलिए देखते हैं कि Yellow Journalism के कुछ बेहतरीन Biographsworld उदाहरण क्या हैं ताकि आप इसे ज्यादा बेहतर ढंग से समझ सकें ।
1. इस पौधे का जड़ पिस का पीने से आपकी लंबाई 2 फिट तक बढ़ जायेगी ।
2. जल्द ही आ रही है ऐसी टेक्नोलॉजी जिससे आप कभी नहीं मरेंगे ।
3. केंद्र सरकार की जबरदस्त योजना, घर बैठे कमाएं रोज 50,000 रुपए ।
4. रणबीर सिंह और आलिया भट्ट की शादी के कुछ दिन बाद ही शुरू हुई खटपट, मामला तलाक तक पहुंचा ।
5. एक ऐसा देश जहां के लोग कभी नहीं मरते ।
अगर आप ऐसे हेडलाइंस देखेंगे तो अवश्य ही आपको क्लिक करके पढ़ने का मन करेगा । ऐसी हेडलाइंस और खबरों वाले अखबार भी खूब बिकते हैं । जरूरी नहीं कि सारी Yellow Journalism की खबरें भ्रामक और झूठी ही हों, लेकिन वे जानबूझकर मसालेदार और सनसनीखेज जरूर बनाई जाती हैं ।
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Conclusion
आसान से शब्दों में कहें तो येलो जर्नलिज्म (Yellow Journalism) समाचारों के अत्यधिक महिमामंडन और रोमांटिककरण की प्रक्रिया है, इस हद तक कि यह अपना सार खो देता है । यह मुख्य रूप से दर्शकों को एक खास मीडिया हाउस से जोड़ने के लिए किया जाता है ताकि उनकी जेबें गर्म रहें ।
अगर आप इस विषय से संबंधित कोई भी प्रश्न पूछना चाहते हैं तो नीचे कॉमेंट करके पूछ सकते हैं । आपको आर्टिकल कैसा लगा जरूर बताएं । इसके साथ ही यह जानकारी अन्य लोगों से भी जरूर शेयर करें ।