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    Home – Critical Thinking in Hindi – क्या है क्रिटिकल थिंकिंग और इसके फायदे
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    Critical Thinking in Hindi – क्या है क्रिटिकल थिंकिंग और इसके फायदे

    Tomy JacksonBy Tomy Jackson9 February 2024Updated:9 February 2024No Comments14 Mins Read
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    Critical Thinking in Hindi
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    किसी भी देश और समाज के लिए Critical Thinking का महत्व बहुत ज्यादा है । किसी भी पक्ष के अच्छाइयों और बुराइयों को पूरे आंकलन के साथ उठाना, उसकी बारीकियां समझना तब जाकर कोई फैसला लेना ही क्रिटिकल थिंकिंग की विशेषता है । अक्सर आलोचनात्मक सोच को निंदा से जोड़कर देखा जाता है और माना जाता है कि इसका अर्थ सिर्फ और सिर्फ कमियां निकालना ही है ।

    लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है । उदाहरण के तौर पर, भारत में लगभग हर हफ्ते ही कोई न कोई फिल्म रिलीज की जाती है । फिल्म रिलीज करने के तुरंत पश्चात कुछ Film Critics फिल्म को देखते हैं, उसकी बारीकियां समझते हैं, फिल्म समीक्षा के विभिन्न मानकों पर फिल्म को तौलते हैं तब जाकर Ratings & Reviews देते हैं ।

    इन रिव्यू में सिर्फ और सिर्फ फिल्म की अच्छाइयां या सिर्फ बुराइयां ही नहीं होती, बल्कि दोनों का मिश्रण होता है । एक सही समीक्षक उन दोनों पहलुओं को सटीकता और पूरे विश्लेषण के साथ उजागर करता है और बस यही है Critical Thinking । यानि जो कुछ भी घटित हो रहा है उसे आंखें बंद करके मान लेना नहीं बल्कि उसके हर तथ्यों की जांच करना, जानकारी जुटाना और फिर उसके बुरे अच्छे दोनों पहलुओं पर ध्यान देना ।

    Critical Thinking क्या है ?

    Critical thinking

    Critical Thinking को हिंदी में आलोचनात्मक सोच भी कहते हैं जो किसी भी स्तिथि, विषय या घटनाओं की बारीकियों पर तर्कसंगत रूप से सोचने, तथ्यों का विश्लेषण करने और सही गलत दोनों पहलुओं को उजागर करने की कला है । इसके लिए तठस्थ होना बहुत आवश्यक होता है ।

    इसे आसान से उदाहरण की मदद से समझिए । मान लेते हैं कि आप किसी गांव के निवासी हैं और आपके यहां हर 5 वर्ष में प्रधान/सरपंच के चुनाव कराए जाते हैं । इस बार भी एक चुनाव है और चुनाव में खड़ा व्यक्ति आपसे कहता है कि अगर मैं जीतता हूं तो आप सबको हर महीने 3,000 रुपए दिए जायेंगे । यह सुनकर कई लोग ऐसे होंगे जो उसकी बात पर भरोसा भी कर लेंगे ।

    लेकिन अगर आप Critical Thinking वाले व्यक्ति हैं तो आप तुरंत अपने गांव की जनसंख्या और दी जा रही राशि का आंकलन करेंगे । आपको समझ आ जायेगा कि इस तरह इस व्यक्ति को 500 परिवार वाले इस गांव में 15,00,000 रुपए खर्च करने होंगे जोकि बिल्कुल भी तर्कसंगत नहीं है । इसके अलावा सरकार भी बिना हिसाब किताब के ग्राम पंचायत के राजस्व विभाग में इतने रुपए नहीं भेज सकती । यानि सामने वाला व्यक्ति झूठ बोल रहा है ।

    Critical Thinking Examples

    वर्तमान युग कुछ ऐसा है कि Fake News और Fake People की संख्या बढ़ती ही जा रही है । इस परिस्थिति में आपका तर्कसंगत होकर सोचना जरूरी हो जाता है । अगर आप हर घटना, व्यक्ति, परिस्थिति आदि का बारीकी से अध्ययन और आंकलन करेंगे तभी जाकर सही निर्णय ले सकेंगे । नीचे हमने कुछ Best Critical Thinking Examples दिया है ।

    इन उदाहरणों को हमने रोजमर्रा के जीवन से उठाया है ताकि आप ज्यादा बेहतर ढंग से इसे समझ सकें । नीचे दिए गए उदाहरण अवश्य ही आपके साथ भी रोजाना घटित होते होंगे लेकिन क्या आप सही फैसले ले पाते हैं ? चलिए देखते हैं ।

    Example 1

    Example: 1
    आप Instagram चला रहे हैं और आपने अचानक से देखा कि आपके सबसे पसंदीदा सेलिब्रिटी ने किसी इलेक्ट्रॉनिक सामान की अच्छाइयों के बारे में पोस्ट पब्लिश किया है । उसने ये तक भी कहा है कि उस सामान के इस्तेमाल के पश्चात उसकी जिंदगी काफी आसान हो गई है । आपको भी इस इलेक्ट्रॉनिक वस्तु की आवश्यकता है लेकिन आप सीधे उसे खरीदने या सेलिब्रिटी की बात मानने से पहले इंटरनेट ब्राउजर में जाते हैं ।

    यहां आप ढेरों Review Sites की मदद से सबसे पहले उस इलेक्ट्रॉनिक सामान के रिव्यूज पढ़ते हैं । जिन व्यक्तियों ने पहले से इस सामान का उपयोग किया है, उन्होंने अपना अनुभव इंटरनेट पर सांझा किया है । आपको समझ आता है कि सामान के प्रचार प्रसार में कंपनी ने काफी रूपए खर्च किए हैं लेकिन यह Durable नहीं है यानी ज्यादा दिन तक नहीं चलता ।

    आप ढेरों अलग अलग वेबसाइट पर उस प्रोडक्ट से जुड़े रिव्यूज पढ़कर यह निर्णय लेते हैं कि प्रोडक्ट वाकई अच्छा नहीं है और सेलिब्रिटी में मात्र रुपयों के लिए उसका प्रचार किया है । इस परिस्थिति में आपने Critical Thinking की मदद ली है ।

    Example 2

    Example: 2
    आप 18 वर्ष के व्यक्ति हैं और इस बार के मुख्यमंत्री चुनाव में आप हिस्सा लेने जा रहे हैं । चुनाव होने से ठीक पहले आप एक एक करके सभी पार्टियों के प्रत्याशियों द्वारा किए गए वादों पर एक नजर डालते हैं । आपकी नजर एक प्रत्याशी पर पड़ती है जो पहली बार सांसद बनने के पश्चात चुनाव में खड़ा हो रहा है ।

    उसने वादा किया है कि उसके जितने पर हर गांव में एक लाइब्रेरी खोली जाएगी, कक्षा 1वीं में प्रथम आने पर छात्र/छात्रा के कॉलेज तक की पढ़ाई का खर्च सरकार उठाएगी और साथ ही हर राज्य के हर सरकारी स्कूल में प्रोजेक्टर की मदद से पढ़ाई की जाएगी । एक छात्र के तौर पर आपको यह वादे लुभावने लगते हैं । लेकिन आप तो ठहरे Critical Thinking वाले व्यक्ति, इसलिए सबसे पहले उस प्रत्याशी के इतिहास और पूर्व संसदीय क्षेत्र पर एक नजर डालते हैं ।

    इससे आपको पता चलता है कि प्रत्याशी ने वाकई अपने संसदीय क्षेत्र में शिक्षा के क्षेत्र में काफी काम किया है । इसके पश्चात आप किए गए वादों के तार्किक होने पर सवाल खड़े करते हैं । इससे आपको पता चलता है कि सभी वादे तर्कसंगत हैं और पूरे किए जा सकते हैं । अंततः आप यह निर्णय लेते हैं कि आप इसी व्यक्ति को अपना मत देंगे ।

    Example 3

    Example: 3
    आप WhatsApp का इस्तेमाल कर रहे हैं कि अचानक से एक ग्रुप में संदेश प्राप्त होता है । संदेश में लिखा था कि एक शांतिपूर्वक प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने शांतिपूर्वक ढंग से प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर लाठीचार्ज किया जिससे एक छात्र की मृत्यु भी हो गई है । इस संदेश के साथ एक तस्वीर भी अटैच की गई है जिसे देखकर आप आगबबूला हो जाते हैं ।

    आप सबसे पहले उस पोस्ट पर पुलिस के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया देते हैं और यहीं नहीं, बिना खबर को वेरिफाई किए मैसेज को अन्य 10 ग्रुप में फॉरवर्ड कर देते हैं । इससे हर तरफ से कड़ी प्रतिक्रिया आने लगती है और एक बड़े प्रदर्शन की योजनाएं बनने लगती हैं । लेकिन उसके अगले ही दिन सुबह आप Twitter या टेलीविजन पर Fact Check के माध्यम से जानते हैं कि यह तस्वीर पाकिस्तान की थी और खबर बिल्कुल निराधार है । इसका खुलासा स्वयं प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने किया है कि उन पर कोई लाठीचार्ज नहीं किया गया था ।

    अब आपको अपनी गलती का एहसास होता है लेकिन आपकी लापरवाही की वजह से लोगों के मन में पुलिस और प्रशासन को लेकर क्रोध उत्पन्न हुआ जो कहीं न कहीं हिंसक प्रदर्शन में भी तब्दील हो सकता था । अगर आप चाहते तो इसे Twitter जैसे कई माध्यमों से वेरिफाई करवा सकते थे । इंटरनेट पर मौजूद Fact Check वेबसाइटों से खबर के सत्यापन की जांच करवा सकते थे । लेकिन आपको बिना वेरिफाई किए गलत खबर को फैलाने में योगदान देना ज्यादा सरल लगा । इस परिस्थिति में आप न एक जिम्मेदार नागरिक हैं और न हीं Critical Thinking वाले व्यक्ति ।

    Critical Thinking कैसे करें ?

    सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह आता है कि आखिर Critical Thinking की कैसे जाती है ? क्रिटिकल थिंकिंग करने के लिए आपको किसी पढ़ाई, डिग्री आदि की आवश्यकता नहीं है । आप मात्र कुछ प्रश्नों के माध्यम से हर परिस्थिति को तार्किक ढंग से एनालाइज कर सकते हैं । चलिए सबसे पहले उन प्रश्नों पर नजर डालते हैं इसके बाद हम विस्तार से समझेंगे कि क्रिटिकल थिंकिंग कैसे की जाती है ।

    1. क्या: सबसे पहले जब भी आपके पास कोई इनफॉर्मेशन या परिस्थिति आए तो आपको पूछना यह इनफॉर्मेशन क्या है । यह इनफॉर्मेशन किस बारे में है ? यह क्या कुछ जानकारी आपको प्रदान करता है ।

    2. कौन: दूसरा प्रश्न आपका होना चाहिए कि इस जानकारी को प्रसारित करने वाला या उस परिस्थिति में सबसे मुख्य व्यक्ति कौन है ? क्या उस पर भरोसा किया जा सकता है ? क्या उसका इतिहास संदेहजनक या विवादास्पद रहा है ?

    3. कब: आपको मिली जानकारी कितनी पुरानी है ? क्या इस जानकारी का वर्तमान समय में कोई महत्व रह गया है ?

    4. क्यों: यह परिस्थिति/घटना/जानकारी अस्तित्व में क्यों आई ? जानकारी प्रसारित करने वाले व्यक्ति का उद्देश्य क्या था ?

    5. कैसे: क्या जो जानकारी प्राप्त हुई है, वह Credible और Authentic सोर्स से है ? जानकारी को कैसे प्रसारित किया गया है ? जानकारी प्रसारित करने के लिए किन साक्ष्यों को उठाया गया है ?

    इन प्रश्नों के आधार पर आपको काफी जानकारियां मिल जायेंगी । आपको बस इतना याद रखना है कि किसी भी पूर्वाग्रहों से दूरी बनाकर रखें । उदाहरण के तौर पर अगर आप किसी राजनीतिक पार्टी के किसी कार्य, वादे आदि पर Critical Thinking करना चाहते हैं तो सबसे पहले भूल जाएं कि आप अन्य किस पार्टी को पसंद करते हैं या आपकी आइडियोलॉजी क्या है ।

    Critical Thinking का सबसे पहला और महत्वपूर्ण नियम ही यही है कि आपको तठस्थ रहना होगा । आप किसी एक तरफ अगर झुके नहीं होंगे तो ज्यादा बेहतर ढंग से पूरी परिस्थिति को सही नजरिए से देख समझ सकेंगे ।

    Critical Thinking Skill कैसे डेवलप करें ?

    Critical Thinking Skill को डेवलप करने के लिए आपको कुछ कदम उठाने होंगे । खासकर कि अगर आप एक युवा हैं, एक छात्र हैं तो आपको नीचे बताई गई बातों को अवश्य ध्यान में रखकर ही अपने जीवन के निर्णयों को लेना चाहिए । एक छात्र के लिए क्रिटिकल थिंकिंग का महत्व काफी ज्यादा है क्योंकि आप सभी ही कल के भविष्य हैं ।

    1. तठस्थ रहना बेहद जरूरी

    क्रिटिकल थिंकिंग का पहला नियम कहता है कि आप किसी भी प्रकार के पूर्वाग्रहों से दूषित न हों । उदाहरण के तौर पर मान लेते हैं कि आप किसी एक चीज में विश्वास रखते हैं लेकिन परिस्थिति ऐसी बनती है कि अन्य चीजों में विश्वास करने वालों से संबंधित कोई परिस्थिति खड़ी हो जाती है । तो ऐसे में आपको अपने विश्वास को कुछ समय के लिए दरकिनार करके सबके नजरिए से सोचने की शुरुआत करनी चाहिए ।

    जब तक आप अपने मन में पहले से बनाई गई सोच या अवधारणा से ऊपर नहीं उठेंगे, तबतक आपको पूरी सच्चाई का पता नहीं लग पायेगा । उदाहरण के तौर पर उन्हीं News Anchors या News TV Channels को ज्यादा मान दिया जाता है जो किसी पहलू के दोनों पक्षों को सामने रखते हों । उन लोगों की बातों को ज्यादा तवज्जो दी जाती है जो अपने विचार थोपने के बजाय विपरीत विचारों को सटीकता से दर्शाते हैं ।

    2. सही Sources से जानकारी इकट्ठी करें

    Critical Thinking का दूसरा महत्वपूर्ण नियम है कि आपका स्रोत सही होना चाहिए । अक्सर ऐसा होता है कि हम ऐसे स्रोतों से जानकारी उठा लेते हैं जो खुद एक तरफा हैं । Polarisation के इस दौर में कई बार ऐसा लगता है कि निष्पक्ष शब्द ही मिथ्या है । इसलिए आप कोशिश करें कि हमेशा Credible और Authentic Sources से जानकारी इकट्ठी करें ।

    इसके साथ ही आपकी कोशिश यह भी होनी चाहिए कि कभी भी सिर्फ एक ही स्रोत से जानकारी इकट्ठी न करें । आपको ढेरों अलग अलग Sources से Information इकट्ठी करनी चाहिए ताकि आप सही और गलत का निर्णय ले सकें । हम आपको Recommend करेंगे कि उन स्रोतों से जानकारी इकट्ठी करें जो सिर्फ और सिर्फ जानकारी देते हों, न कि अपनी राय ।

    3. Information के भूत, वर्तमान और भविष्य को खंगाले

    आपके सामने जिस भी इनफॉर्मेशन या परिस्थिति का जिक्र हुआ है, उसके भूत भविष्य और वर्तमान की पूरी जानकारी भी आपके पास होनी चाहिए । Critical Thinking Examples के अंतर्गत हमने आपको एक ऐसा ही उदाहरण दिया था जिसमें परिस्थिति के हिसाब से भूतकाल में जाना पड़ा था ।

    जब आपके पास हर समय या परिस्थिति के हिसाब से जानकारी मौजूद होगी तो आप ज्यादा बेहतर ढंग से मूल्यांकन, समीक्षा कर सकेंगे ।

    4. समाधान सोचें

    क्रिटिकल थिंकिंग के अंतर्गत अगला पड़ाव आता है समाधान सोचने का । किसी भी समस्या का समाधान भी आपको सोचना है और आपको यह बताना है कि आपके हिसाब से किन कमजोरियों को किस प्रकार से दूर किया जा सकता है । एक Critical Thinker का काम सिर्फ और सिर्फ किसी जानकारी को अलग अलग नजरिए से देखना और दोनों पक्षों को उजागर करना भर नहीं है ।

    अगर कोई बुरा पक्ष दिखाई दे तो उसका समाधान भी आपको देना है । एक आलोचनात्मक विचारक के रूप में न सिर्फ आप खुद का बल्कि समाज का भी भला कर रहे होते हैं । किसी भी इनफॉर्मेशन का विश्लेषण करना सिर्फ आपको ही नहीं बल्कि उस जानकारी से जुड़े लोगों को भी फायदा पहुंचाता है । इसलिए अगर समस्या आपको दिखाई दी है तो समाधान भी सुझाइए ।

    5. समाधान लागू करें

    आखिरी कदम होना चाहिए सोचे हुए समाधान को लागू करने या कराने का । अगर आप निर्णय लेने के पद पर हैं तो आप अपने परिवार, संगठन आदि पर समाधान को लागू कर सकते हैं । अगर आप निर्णय लेने की स्तिथि में नहीं हैं तो कम से कम अपने समाधानों की जानकारी जरूर प्रसारित कर सकते हैं ।

    हालांकि अगर आप किसी अन्य व्यक्ति को किसी समस्या का समाधान समझाने जा रहे हैं तो आपको पूरे साक्ष्यों, अध्ययनों आदि के साथ तैयार रहना होगा ।

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    Critical Thinking Course

    हमारे समाज में वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए सबसे जरूरी है Critical Thinking । किसी भी संस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए भी क्रिटिकल थिंकिंग का होना बहुत जरुरी है । अगर किसी संस्था का मालिक पूर्वाग्रहों से दूषित होकर फैसले लेगा तो इससे कई लोग बुरी तरह प्रभावित होंगे । इसलिए अब कंपनियां किसी व्यक्ति को नौकरी पर रखते हुए उसके क्रिटिकल थिंकिंग स्किल की जांच भी करती है ।

    अगर आप भी किसी अच्छी कंपनी में नौकरी करना चाहते हैं तो जरूरी है कि इसका कोर्स करें । Critical Thinking Course आपको आसानी से इंटरनेट पर मिल जायेंगे । कुछ प्लेटफॉर्म जिनकी मदद से आप विश्लेषणात्मक चिंतन कोर्स कर सकते हैं:

    • Alison
    • Coursera.org
    • edX

    Critical Thinking Books in Hindi

    अगर आप क्रिटिकल थिंकिंग को गहराई से समझना चाहते हैं तो इसपर लिखी कई पुस्तकें भी पढ़ सकते हैं । इस विषय पर दुनिया के कई बड़े विद्वानों ने बेहतरीन किताबें लिखी हैं जिन्हें पढ़कर आप काफी कुछ सीख सकते हैं ।

    Critical Thinking Books Authors
    The Art of Thinking ClearlyRolf Dobelli
    The Art of Critical ThinkingChristopher Hyes
    Thinking Fast and SlowDaniel Kahneman
    Thinking like a lawyerColin Seale
    The Socratic Way of QuestioningThinknetic

    FAQs

    Critical Thinking से जुड़े कई प्रश्न अक्सर इंटरनेट पर पूछे जाते हैं । इन सभी प्रश्नों को हमने एकत्रित करके उनके उत्तर नीचे दिए हैं । अगर आपके मन में भी कोई प्रश्न Critical Thinking in Hindi से सम्बन्धित हैं तो आप कॉमेंट के जरिए पूछ सकते हैं ।

    1. क्रिटिकल थिंकिंग का मतलब क्या है ?

    क्रिटिकल थिंकिंग का मतलब किसी भी जानकारी या परिस्थिति का तठस्थ होकर विश्लेषण और मूल्यांकन करना और इसकी कमियां और अच्छाइयों दोनों का उजागर करना । क्रिटिकल थिंकिंग किसी भी जानकारी को ज्यों का त्यों न मानने की सीख देती है ।

    2. क्रिटिकल थिंकिंग स्किल्स क्या हैं ?

    क्रिटिकल थिंकिंग स्किल्स एक व्यक्ति को अपने जीवन के महत्वपूर्ण निर्णय को लेने में मदद करती है । यह स्किल यानी कौशल व्यक्ति को हर जानकारी या परिस्थिति में विभिन्न प्रकार से सोचने और समझने की शक्ति प्रदान करती है ।

    3. क्रिटिकल थिंकिंग कितना महत्वपूर्ण है ?

    Critical Thinking हमारे जीवन में काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमें रोजमर्रा के जीवन में सही निर्णय लेने के लिए क्षमतावान बनाता है । क्रिटिकल थिंकिंग एक सफल, खुशहाल जीवन का रास्ता भी है ।

    4. Creative Thinking और Critical Thinking में अंतर क्या है ?

    Creative Thinking सिर्फ और सिर्फ नए विचारों को जन्म देने की प्रक्रिया है । क्रिएटिव थिंकिंग के अंतर्गत सिर्फ किसी विचार को जन्म देना और फिर उसे असलियत का रूप देने की कोशिशें आती हैं तो वहीं क्रिटिकल थिंकिंग किसी विचार के विभिन्न पहलुओं का मूल्यांकन से सम्बन्धित है ।

    5. Analytical Thinking in Hindi क्या है ?

    Analytical thinking आपके द्वारा एकत्रित और व्यवस्थित की गई जानकारी का मूल्यांकन करके जटिल मुद्दों से निपटने की क्षमता है । विश्लेषणात्मक विचारकों को समस्याओं की पहचान करने, डेटा से जानकारी निकालने और पहचानी गई समस्या के व्यावहारिक समाधान तक पहुंचने में सक्षम होना चाहिए ।

    Critical Thinking in Hindi आलोचनात्मक चिंतन क्रिटिकल थिंकिंग विश्लेषणात्मक चिंतन
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