Depreciation Meaning In Accounting In Hindi – डिप्रीशिएशन क्या है

आपने कभी न कभी Depreciation के कांसेप्ट को अवश्य ही अनुभव किया होगा । जब आप कोई कार 20,00,000 रुपए की खरीदते हैं और मात्र 1 वर्ष पश्चात ही उसे बेचने जाते हैं तो उसका मूल्य 16,00,000 रुपए हो जाता है । इसी तरह पंखा, कूलर, दोपहिया वाहन, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट के साथ भी होता है जिन्हें एक बार खरीदकर इस्तेमाल करने के बाद, बेचते समय उसकी वैल्यू घट जाती है ।

इसी को डिप्रीशिएशन यानि मूल्यह्रास कहा जाता है । आपने यह भी देखा होगा कि मात्र 1 सप्ताह के इस्तेमाल के पश्चात भी किसी सामान की वैल्यू खरीद मूल्य से कम हो जाती है । आप आज अगर कोई नया लैपटॉप 50,000 रुपए का खरीदते हैं और मात्र एक सप्ताह के इस्तेमाल के पश्चात उसे बेचने जाते हैं तो संभव है कि यह 45,000 रुपए से लेकर 49,000 रुपए तक बीके ।

Accounting की दुनिया में इसे ही Depreciation यानि मुल्यह्रास कहा जाता है । इस आर्टिकल में हम विस्तार से आपको बताएंगे कि अकाउंटिंग में डिप्रीशिएशन क्या है, मुल्यह्रास के प्रकार, मुल्यह्रास क्यों होता है, इसे कैसे कैलकुलेट करें आदि । अगर आप इस कॉन्सेप्ट को आसान भाषा में समझना चाहते हैं तो जरूरी है कि आर्टिकल अंत तक जरूर पढ़ें ।

Depreciation क्या है ?

Depreciation टूट-फूट, अप्रचलन, या अन्य कारकों के कारण समय के साथ संपत्ति के मूल्य में कमी है । दूसरे शब्दों में कहा जाए तो यह एक संपत्ति के मूल्य में कमी है क्योंकि यह पुरानी हो जाती है या कम उपयोगी हो जाती है । इसे हिंदी में मुल्यह्रास कहा जाता है ।

इसके दो उदाहरण आपको हमने ऊपर पहले से ही दे दिए हैं । चलिए अब समझते हैं कि मुल्यह्रास किन किन वस्तुओं का होता है:

  • वाहन जैसे कार, बाइक, ट्रक
  • ऑफिस उपकरण जैसे कंप्यूटर, प्रिंटर
  • भारी मशीनी उपकरण
  • बिल्डिंग
  • फर्नीचर और फिक्स्चर
  • इलेक्ट्रॉनिक उपकरण
  • रियल एस्टेट जैसे जमीन

Financial Planning करते समय यह जरुरी है कि आप Depreciation को भी ध्यान में रखें । डिप्रीशिएशन जीवन का एक सामान्य हिस्सा है जो जरुरी भी है । ध्यान दें कि मुल्यह्रास सिर्फ और सिर्फ किसी उत्पाद/वस्तु का इस्तेमाल करने और पुराना हो जाने से ही नहीं होता, साथ ही जब उस उत्पाद से बेहतर प्रोडक्ट या टेक्नोलॉजी मार्केट में आ जाता है तो पुराने की कीमत घट जाती है । उम्मीद है आप Depreciation Meaning in Hindi समझ गए होंगे ।

Types of Depreciation in Hindi

Depreciation Types की बात करें तो यह कुल मिलाकर 4 हैं । हम चारों मुल्यह्रास के प्रकार के बारे में वास्तविक जीवन के उदाहरण की मदद से समझेंगे ।

1. Straight-line depreciation

सबसे ज्यादा Straight-line depreciation का ही इस्तेमाल डिप्रीशिएशन के मामले में किया जाता है । यह माना जाता है कि कोई संपत्ति अपने उपयोगी जीवन में प्रत्येक वर्ष समान मात्रा में मूल्य खो देती है । इसका फॉर्मूला बहुत ही सरल है इसलिए आपको इसे कैलकुलेट करने में आसानी होगी । लेकिन उससे पहले आपको Salvage Value के बारे में समझना होगा ।

Salvage Value को हिंदी में उबार मूल्य कहा जाता है जिसका अर्थ है अपने उपयोगी जीवन के अंत में किसी संपत्ति का अनुमानित पुनर्विक्रय मूल्य । यानि अगर 50 हजार रुपए का लैपटॉप 5 वर्ष पश्चात बेचने पर आपको सिर्फ 20,000 रुपए प्राप्त होते हैं तो यही 20 हजार रुपए उबार मूल्य या साल्वेज वैल्यू कहलाएगा ।

तो अगर आपको Straight Line Depreciation को कैलकुलेट करना है तो Depreciation Expense = (Cost of Asset – Salvage Value) / Useful Life का फॉर्मूला लगा दीजिए । इस तरह आप आसानी से स्ट्रेट लाइन डिप्रीशिएशन एक्सपेंस निकाल सकते हैं ।

2. Declining balance depreciation

दूसरे स्थान पर है Declining balance depreciation यानि ह्रासमान शेष मूल्यह्रास । यह कांसेप्ट कहता है कि कोई संपत्ति शुरुआती दौर में अपनी वैल्यू ज्यादा खो देती है तो वहीं बाद में कम वैल्यू खोती है । अब चलिए इसे एक आसान से उदाहरण की मदद से समझते हैं । मान लीजिए कि आपने कोई मशीन 5 लाख रुपए की खरीदी जो उम्मीद है कि 5 वर्षों तक सुचारू रूप से चलेगी ।

अब Salvage Value मशीन का 5% है यानि 25,000 रुपए । अब अगर हम डेक्लिनिंग बैलेंस डिप्रीशिएशन के हिसाब से इसे कैलकुलेट करेंगे तो इसका फॉर्मूला होगा Depreciation per annum = (Net Book Value – Residual Value) x % Depreciation Rate

3. Sum-of-the-years’-digits depreciation

Sum-of-the-years’-digits depreciation मानता है कि एक परिसंपत्ति अपने जीवन के प्रारंभिक वर्षों में अधिक मूल्य खो देती है और बाद के वर्षों में कम मूल्य । यह ऊपर बताए गए डिप्रीशिएशन की ही तरह होता है । बस थोड़ा सा अंतर यह है कि मूल्यह्रास दर की गणना संपत्ति के उपयोगी जीवन के अंकों के योग के आधार पर की जाती है ।

इसका फॉर्मूला होता है Depreciation Expense = (Cost of Asset – Salvage Value) x Remaining Useful Life) / Sum of the Years’ Digits । इसे कैलकुलेट करने के लिए सबसे पहले एक संपत्ति का उपयोगी जीवन अवधि निकालें और फिर उन्हें जोड़ दें । यानि अगर कुल अवधि 5 वर्ष है तो 1+2+3+4+5 = 15 । अब कुल में से आपको संभावित उपयोगी जीवन को भाग देना है जैसे 5/15, 4/15, 3/15, 2/15 और 1/15 । 5/15 का मूल्य आएगा 0.33 ।

इसके पश्चात संपत्ति के कुल मूल्य में से उबार मूल्य को घटाएं और जो भी वैल्यू प्राप्त हो उसे भाग देने पर आए मुख्य से भाग दें । मान लीजिए कि संपत्ति का मुख्य 1 लाख है और सैल्वेज अमाउंट 1 हजार तो (1,00,000 – 1,000) × 0.33 । इस तरह आपको पता चलेगा कि हर साल कम्पनी की संपत्ति में किस प्रकार मूल्यह्रास होगा ।

4. Units of production depreciation

Units of production depreciation का अर्थ है उत्पादन मूल्यह्रास की इकाइयाँ । यह विधि मानती है कि किसी परिसंपत्ति का मूल्यह्रास उसके द्वारा उत्पादित इकाइयों की संख्या या उसके उपयोग किए जाने वाले घंटों की संख्या पर आधारित होता है । इसका फॉर्मूला होता है Units Of Production depreciation is = (Cost of the asset – Salvage value) / Estimated total units of production or hours of usage

इसे कैलकुलेट करने के लिए आपको नीचे दिए स्टेप्स का ख्याल रखना होता है:

    • संपत्ति द्वारा Useful Life में उत्पादित कुल इकाइयां निर्धारित करें
    • इसके पश्चात यूजफुल लाइफ के अंत में एसेट के कुल मूल्य में से सैल्वेज अमाउंट घटाएं
    • आपको घटाने पर जो राशि प्राप्त हुई, उसे कुल इकाइयों से भाग दे दें
    • अंत में आपको भाग देने पर जो वैल्यू प्राप्त हुई, उससे कुल यूनिट से मल्टीप्लाई करें

    Depreciation क्यों होता है ?

    डिप्रीशिएशन होने का सबसे बड़ा कारण है किसी संपत्ति का पुराना या कम सहायक हो जाना । हालांकि इसके अन्य कई फैक्टर्स भी हैं । तो चलिए जानते हैं कि Factors affecting depreciation कौन कौन से हैं:

    1. Useful Life: किसी संपत्ति का मूल्यह्रास होना का एक प्रमुख कारण उस संपत्ति का उपयोगी जीवन । उपयोगी जीवन एक संभावित अवधि होता है जिसके पश्चात संपत्ति का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा या उसे रिप्लेस किया जाएगा । किसी संपत्ति का उपयोगी जीवन कितना अधिक होगा, Depreciation rate उतना ही कम होगा जैसे कि कोई बिल्डिंग ।

    2. Initial cost: Initial Cost यानि प्रारंभिक लागत भी मूल्यह्रास को प्रभावित करता है । अगर प्रारंभिक लागत काफी ज्यादा है तो मूल्यह्रास दर कम होगा और इसका उल्टा भी उतना ही सही है । जैसे कि कोई भारी मशीन ।

    3. Salvage value: इसे हिंदी में उबार मूल्य कहते हैं जिसका अर्थ होता है कि किसी संपत्ति के उपयोगी जीवन के सबसे आखिरी में उसका मूल्य क्या होगा । यह जितना ज्यादा होगा, मूल्यह्रास दर उतना ही कम होगा ।

    4. Frequency of use: बार – बार इस्तेमाल करने की वजह से भी Depreciation प्रभावित होता है । जिन संपत्तियों का अधिक बार उपयोग किया जाता है, वे कम बार उपयोग की जाने वाली संपत्तियों की तुलना में तेज दर से मूल्यह्रास करती हैं । जैसे कि कोई डिलिवरी ट्रक ।

    5. Maintenance and repairs: किसी संपत्ति को प्राप्त होने वाले रखरखाव और मरम्मत की गुणवत्ता उसके मूल्यह्रास की दर को भी प्रभावित कर सकती है । जिन संपत्तियों का रख-रखाव अच्छी तरह से किया जाता है और आवश्यकतानुसार मरम्मत की जाती है, वे उन संपत्तियों की तुलना में धीमी गति से मूल्यह्रास करती हैं जो वंचित होती हैं । उदाहरण के तौर पर आप कंप्यूटर को ले सकते हैं ।

    6. Market conditions: अंत में आता है Market conditions जिसे हम बाजार स्तिथि भी कहते हैं । अगर किसी वस्तु/संपत्ति की मांग मार्केट में काफी ज्यादा है तो डिप्रीशिएशन रेट भी कम ही होगा । जाए कि कोई SUV या E Vehicle आदि ।

    Depreciation Formula

    Depreciation Formula पूरी तरह से आधारित होगा डिप्रीशिएशन के प्रकार और प्रश्नों पर । लेकिन कुल मिलाकर 4 ही फॉर्मूला आमतौर पर अप्लाई होंगे जिनके बारे में हमने आपको ऊपर भी जानकारी दी है । ये फॉर्मूले आप एक बार दोबारा से देख सकते हैं और नोट कर सकते हैं:

      1. Annual depreciation expense = (Cost of asset – Estimated salvage value) / Estimated useful life

      2. Annual depreciation expense = Beginning book value x Depreciation rate

      3. Annual depreciation expense = (Cost of asset – Estimated salvage value) x (Remaining useful life / Sum of the years’ digits)

      4. Depreciation expense per unit = (Cost of asset – Estimated salvage value) / Total estimated units of production और Total depreciation expense = Depreciation expense per unit x Actual units produced

      अगर आप ऊपर दिए गए फार्मूलों को खुद अप्लाई न करके किसी टूल या ऐप की मदद लेना चाहते हैं तो ClearTax का डिप्रीशिएशन टूल जरूर चेक करें । इसकी मदद से आप आसानी से मूल्यह्रास की गणना कर सकते हैं ।

      Depreciation किन वस्तुओं का होता है ?

      कई ऐसी वस्तुएं होती हैं जिनका मूल्यह्रास होता है और कइयों का नहीं होता है । हम एक टेबल के माध्यम से जानेंगे कि किन वस्तुओं का मूल्यह्रास होता है और किनका नहीं:

      वस्तुएं जिनका मूल्यह्रास संभव है वस्तुएं जिनका मूल्यह्रास असंभव है
      BuildingLand
      MachineryNatural resources जैसे कि oil और gas
      VehiclesArtwork और collectibles
      Computer equipmentTrademarks और patents
      Furniture और fixturesGoodwill
      Leasehold improvementsCustomer lists
      SoftwareBusiness reputation
      Office EquipmentsLicenses and permits
      Musical instrumentsDomain names
      LivestockInventory

      आप इस टेबल की मदद से समझ सकते हैं कि किन वस्तुओं का डिप्रीशिएशन होता है और किनका नहीं । आमतौर पर उनका चीजों का Depreciation नहीं होता है जिन्हें आप देख और स्पर्श नहीं कर सकते हैं । जैसे डोमेन नेम, गुडविल, लाइसेंस आदि ।

      FAQs On Depreciation Meaning in Hindi

      1. डेप्रिसिएशन का मतलब क्या होता है ?

      डिप्रीशिएशन यानि मूल्यह्रास एक लेखांकन शब्द है जो समय के साथ टूट-फूट, अप्रचलन, या बाजार की स्थितियों में परिवर्तन के कारण किसी संपत्ति के मूल्य में क्रमिक कमी को संदर्भित करता है ।

      2. डेप्रिसिएशन कैसे निकालते हैं ?

      डेप्रिसिएशन निकालने के लिए अलग अलग विधियों के हिसाब से अलग अलग फॉर्मूले लगाए जाते हैं । जैसे अगर आप Straight-line depreciation के हिसाब से डेप्रिसिएशन निकालना चाहते हैं तो Cost of asset – Estimated salvage value) / Estimated useful life फॉर्मूला अप्लाई करें ।

      3. डेप्रिसिएशन कितने प्रकार के होते हैं?

      डेप्रिसिएशन कुल 4 प्रकार के होते हैं:
      1. स्ट्रेट लाइन डेप्रिसिएशन
      2. डेक्लिनिंग बैलेंस डेप्रिसिएशन
      3. यूनिट्स ऑफ प्रोडक्शन डेप्रिसिएशन
      4. सम ऑफ द ईयर डिजिट डिप्रसिएशन

      4. किन वस्तुओं का मूल्यह्रास होता है ?

      मशीन, कंप्यूटर, सॉफ्टवेयर, बिल्डिंग, फर्नीचर जैसी वस्तुओं का मूल्यह्रास होता है ।

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