भारत सरकार में कई मंत्रालय हैं जो देश के विभिन्न क्षेत्रों के सतत विकास की जिम्मेदारी वहन करते हैं । सभी मंत्रालयों को उनके कार्यक्षेत्र सौंपे गए हैं जिनकी समीक्षा भी समय समय पर की जाती है । ऐसा ही एक भारत सरकार का महत्वपूर्ण मंत्रालय Ministry of Corporate Affairs है । यह मंत्रालय भारत के कॉरपोरेट जगत की निगरानी करता है ।
इस आर्टिकल में मैं आपको Ministry of Corporate Affairs की पूरी जानकारी दूंगा । इस मंत्रालय की प्राथमिक जिम्मेदारियाँ, इसके अंतर्गत आने वाले विभिन्न Acts, मंत्रालय का उद्देश्य और लक्ष्य, प्रदान की जाने वाली विभिन्न सेवाएं इत्यादि बिंदुओं पर आपको विस्तृत जानकारी दी जायेगी । इसलिए आर्टिकल अंत तक जरूर पढ़ें और पसंद आए तो शेयर करें ।
Ministry of Corporate Affairs in Hindi
Ministry of Corporate Affairs (MCA) यानि कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय को कंपनी अधिनियम 1956, कंपनी अधिनियम 2013 और अन्य संबद्ध अधिनियमों के माध्यम से भारत में कॉर्पोरेट मामलों को रेग्यूलेट करने की शक्तियां निहित हैं । यह मुख्य रूप से औद्योगिक और सेवा क्षेत्र में भारतीय व्यवसायों के रेगुलेशन के लिए जिम्मेदार है ।
कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय का हेडक्वार्टर शास्त्री भवन, नई दिल्ली में है । वर्तमान समय में इस मंत्रालय की कार्यप्रभारी निर्मला सीतारमन जी हैं । आप मंत्रालय के official portal को विजिट कर सकते हैं । इस मंत्रालय के क्रियान्वयन की मुख्य जिम्मेदारी सिविल सर्वेंट्स की ही होती है जोकि UPSC की परीक्षा उत्तीर्ण करते हैं । इस तरह आप समझ गए होंगे कि Ministry of corporate affairs kya hota hai ।
एमसीए सर्विस लिस्ट
MCA यानि Ministry of Corporate Affairs कई प्रकार की सेवाएं देती है । सभी सेवाओं की पूरी लिस्ट आप नीचे पढ़ सकते हैं ।
- e-filing की सेवाएं
- निवेश संबंधी सेवाएं
- राज्य के भीतर एक कंपनी के पंजीकृत कार्यालय को एक आरओसी से दूसरे में स्थानांतरित करना
- एक कंपनी का Limited Liability Partnership में रूपांतरण
- DIN यानि Director Identification of Number को जारी करना ।
- विवरणिका (Prospectus) का पंजीकरण
- निजी कंपनी का सार्वजनिक कंपनी में रूपांतरण और सार्वजनिक कंपनी का निजी कंपनी में रूपांतरण
- एक कंपनी की वस्तुओं को बदलने के लिए पंजीकरण
- उन कंपनियों का पंजीकरण जो अपंजीकृत हैं
- एक नई कंपनी द्वारा प्रस्तावित नाम की उपलब्धता की जांच करना और मौजूदा कंपनी के नाम-परिवर्तन को मंजूरी देना
- कंपनी के पंजीकृत कार्यालय का एक राज्य से दूसरे राज्य में स्थानांतरण
- कंपनी की निष्क्रिय स्थिति की मांग
- कंपनी की सक्रिय स्थिति की मांग
- मास्टर डेटा से संबंधित सेवाएं
ऐसी ही लगभग 35 सेवाएं कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा प्रदान की जाती हैं । मैं आपको कुछ terms की जानकारी आसान भाषा में समझा देता हूं ताकि आपको दिक्कत न हो । e-filing का आसान अर्थ है आयकर की इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग । जब इनकम टैक्स रिटर्न को ऑनलाइन भरा जाता है तो उसे ई फाइलिंग कहा जाता है ।
इसी प्रकार DIN यानि Director Identification Number को उस व्यक्ति की पहचान के लिए दिया जाता है जो किसी कंपनी का डायरेक्टर है । यह एक आवश्यक पहचान संख्या होती है जिसे लेना आवश्यक होता है । Limited Liability Partnership एक प्रकार का पार्टनरशिप बिजनेस ही है लेकिन इसमें शामिल पार्टनर्स की जिम्मेदारी उतनी ही होती है जितना रूपया उन्होंने निवेश किया है ।
Objectives of Ministry of Corporate Affairs
Ministry of Corporate Affairs के कुछ मुख्य उद्देश्य हैं जिन्हें मंत्रालय पूरा करती है । इन उद्देश्यों को आप इस मंत्रालय के कर्तव्य भी कह सकते हैं । ये उद्देश्य हैं:
1. कंपनी अधिनियम, 2013 और अन्य सम्बन्धित अधिनियमों के प्रावधानों को लागू कराना ।
2. कंपनियों को जिम्मेदारी से निष्पक्ष व्यवसाय के नियमों और कानूनों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना ।
3. हितधारकों के हितों और अधिकारों की रक्षा करने के साथ ही उन्हें विभिन्न सेवाएं प्रदान करना ।
4. जनता, निवेशकों को कॉरपोरेट आंकड़े प्रदान करना ।
5. अनुचित व्यापार प्रथाओं पर रोक लगाकर उचित निष्पक्ष कार्रवाई करना और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना ।
मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले हितधारक
सामान्य रूप से देखा जाए तो कॉरपोरेट अफेयर्स के मंत्रालय के अंतर्गत भारत के सभी नागरिक आते हैं । लेकिन यह मंत्रालय मुख्य रूप से कॉरपोरेट जगत के लिए जिम्मेदार है । Corporate Affairs मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले हितधारक हैं:
- कॉर्पोरेट क्षेत्र, जिसमें सभी कंपनियां और एलएलपी ( Limited Liability Partnerships) शामिल हैं ।
- राज्य सरकारें
- भारतीय बैंक
- निवेशक
- पेशेवर जैसे CAs, CSs, ICWAs, वकील आदि
- अन्य सरकारी डिपार्टमेंट
मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले विभिन्न एक्ट
Ministry of Corporate Affairs कॉरपोरेट जगत से संबंधित विभिन्न acts के प्रशासन का कार्य करता है । वे अधिनियम निम्नलिखित हैं:
- कंपनी अधिनियम, 2013
- प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002
- दिवाला और दिवालियापन संहिता, 2016
- कंपनी अधिनियम, 1956
- कंपनी (राष्ट्र को दान) निधि अधिनियम, 1951
- सीमित देयता भागीदारी अधिनियम, 2008
- कंपनी संशोधन अधिनियम, 2006
- एकाधिकार और प्रतिबंधात्मक व्यापार व्यवहार अधिनियम, 1969
- सनदी लेखाकार अधिनियम, 1949
- कंपनी सचिव अधिनियम, 1980
- लागत और कार्य लेखाकार अधिनियम, 1959
- भारतीय भागीदारी अधिनियम, 1932
- सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860
- कंपनी संशोधन अधिनियम, 2006
मंत्रालय उपरोक्त अधिनियमों का संचालन करता है और उनके अंतर्गत आने वाले सभी प्रावधानों का पालन कराता है । आप इन सभी अधनियमों की विस्तृत जानकारी इंटरनेट पर पढ़ सकते हैं ।
FAQs on Ministry of Corporate Affairs
1. Ministry of Corporate Affairs क्या होता है ?
Ministry of Corporate Affairs (MCA) यानि कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय को कंपनी अधिनियम 1956, कंपनी अधिनियम 2013 और अन्य संबद्ध अधिनियमों के माध्यम से भारत में कॉर्पोरेट मामलों को रेग्यूलेट करने की शक्तियां निहित हैं ।
2. MCA का पूर्ण रूप क्या है ?
MCA का पूर्ण रूप Ministry of Corporate Affairs होता है । इसे हिंदी में कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय भी कहा जाता है ।
3. कॉरपोरेट का हिंदी अर्थ क्या है ?
कॉरपोरेट को हिंदी में आप कोई बड़ा व्यवसाय, संगठन या संस्था कह सकते हैं । माइक्रोसॉफ्ट, कोका कोला, TATA, Infosys, HDFC Bank सभी कॉरपोरेट ही हैं ।
4. मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स का हेडक्वार्टर कहां है ?
मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स का हेडक्वार्टर शास्त्री भवन, नई दिल्ली में स्थित है ।
Conclusion
Ministry of Corporate Affairs in Hindi के इस आर्टिकल में आपने जाना कि मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स यानि कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय क्या है, इसका कार्य और उद्देश्य क्या हैं । इसके साथ ही इसके अंतर्गत आने वाले विभिन्न अधिनियम, सेवाएं और हितधारकों की भी जानकारी मैंने आपको दे दी है ।
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अगर आपके मन में मंत्रालय से जुड़े अन्य प्रश्न हैं तो आप उन्हें नीचे कमेंट करके पूछ सकते हैं । आर्टिकल पसंद आया हो तो इसे शेयर जरूर करें ।