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    Home – What Is Accounting In Hindi – अकाउंटिंग क्या है, प्रकार और नियम
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    What Is Accounting In Hindi – अकाउंटिंग क्या है, प्रकार और नियम

    Tomy JacksonBy Tomy Jackson9 February 2024No Comments16 Mins Read
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    What is accounting in Hindi
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    Accounting आज के समय में किसी भी व्यवसाय का एक अहम हिस्सा है । चाहे व्यवसाय छोटा हो या बड़ा, सभी अकाउंटिंग की मदद से ही वित्त संबंधित फैसले लेते हैं और व्यवसाय के लेनदेन को रिकॉर्ड करते हैं । यह व्यवसायों को आय, व्यय, लाभ और हानि को ट्रैक करने में मदद करता है ।

    क्या आपको पता है कि Companies Act के प्रावधानों के अनुसार, कंपनियों को प्रत्येक वर्ष अपने वित्तीय विवरण तैयार करने होते हैं । Financial Statements को तैयार करने के लिए एक अकाउंटेंट की मदद ली जाती है जो ICAI से सर्टिफाइड या संबंधित होता है । अकाउंटिंग की पढ़ाई पूरी करने के पश्चात ही एक अकाउंटेंट भी ऑडिटिंग कर पाता है ।

    इस तरह आप समझ रहे होंगे कि अकाउंटिन क्या है और अकाउंटिंग के फायदे क्या हैं । इस लेख में हम आपको विस्तार से Accounting Meaning in Hindi पर जानकारी देंगे । अगर आप किसी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, कॉमर्स के छात्र हैं या आपकी रुचि इस फील्ड को जानने समझने की है तो आप सबके किए यह आर्टिकल काफी सहायक साबित होगा ।

    Accounting क्या है ?

    Accounting जिसे हिंदी में लेखांकन कहते हैं, एक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से किसी व्यवसाय के आर्थिक हिसाब किताब का ब्यौरा रखा जाता है और साथ ही लेनदेन को भी संचालित किया जाता है । इसकी मदद से व्यवसाय के आय, व्यय, लाभ और हानि को ट्रैक किया जाता है ताकि सही वित्तीय फैसले लिए जा सकें ।

    अकाउंटिंग को आसान शब्दों में समझने के लिए चाय की दुकान का उदहारण ले लीजिए । एक चाय की दुकान जब चाय बेचती है तो उसकी आय होती है, उसे पैसे मिलते हैं । लेकिन चाय बनाने के लिए जरूरी वस्तुएं जैसे चाय पत्ती, चीनी आदि खरीदने के लिए उसका व्यय होता है, यानि उसके पैसे खर्च होते हैं । Accounting व्यवसाय को इस सारे पैसे का हिसाब रखने में मदद करता है ।

    इसके साथ ही अकाउंटिंग सही निर्णय लेने में भी मदद करता है । अब अगर चाय की दुकान के मालिक को लेखांकन के जरिए पता चलता है कि वह चीनी पर बहुत ज्यादा पैसे खर्च कर रहा है तो वह या तो कम चीनी खरीदेगा या किसी अन्य सप्लायर को ढूंढेगा । तो इस तरह Accounting in Hindi व्यवसायों को सभी लेनदेन रिकॉर्ड करने और सही वित्तीय फैसले लेने में मदद करता है ।

    Benefits of Accounting in Hindi

    Accounting Benefits कई हैं लेकिन नीचे आपको मुख्य रूप से 3 लेखांकन के फायदों के बारे में जानकारी दी जा रही है । ये तीनों अकाउंटिंग के प्रमुख फायदे हैं:

    1. Financial Management

    अकाउंटिंग का सबसे बड़ा फायदा होता है फाइनेंशियल मैनेजमेंट को लेकर । यह व्यवसायों को आय, व्यय और फायदे पर नज़र रखने और प्रभावी ढंग से अपने फाइनेंस का प्रबंधन करने में मदद करता है । व्यवसाय आसानी से अपने Income, Expenditure, Loss और Profits पर नजर रख लेट हैं जिसके हिसाब से वे फिर सही वित्तीय निर्णय ले पाते हैं ।

    यह व्यवसायों को उनकी वित्तीय स्थिति को समझने, वित्तीय ताकत और कमजोरियों की पहचान करने और सही वित्तीय निर्णय लेने में मदद करता है । आप ऊपर दिए गए चाय की दुकान का उदाहरण दोबारा देख सकते हैं जिसमें बताया गया है कि Accounting किस प्रकार सही निर्णय लेने में मदद करता है ।

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    2. Taxation

    जैसा कि हमने आपको पहले ही जानकारी दी है कि कंपनी अधिनियम के अनुसार, कंपनी को प्रत्येक वर्ष अपना फाइनेंशियल स्टेटमेंट तैयार करना होता है । इसे तैयार कराने का मुख्य मकसद न सिर्फ कंपनी की वित्तीय स्तिथि का पता लगाना है बल्कि साथ ही इससे Taxation में भी मदद मिलती है । Financial Statements तैयार करके पता लगाया जाता है कि कंपनी को कितना टैक्स देना है ।

    Income Statement की मदद से कम्पनी के इनकम टैक्स, Balance Sheet की मदद से प्रॉपर्टी टैक्स और अंत में Cash Flow Statement की मदद से सेल्स टैक्स या वैल्यू एडेड टैक्स का पता लगाया जाता है ।

    3. Business Planning

    कंपनियों को कदम कदम पर सही फैसले लेने होते हैं, एक गलत फैसला और कंपनी को करोड़ों का नुकसान हो सकता है । सही फैसले लेने में Accounting मदद करता है । फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स तैयार करके ही वह जानकारी प्राप्त होती है जिससे budgets, investments और business strategies से सम्बन्धित सही फैसले लिए जा सकें ।

    साथ ही अकाउंटिंग की मदद से व्यवसायों को यह पता चल पाता है कि उनका Financial Goal क्या होना चाहिए और उन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए क्या किया जाना चाहिए । इस तरह उम्मीद है कि आप लेखांकन के मुख्य फायदे समझ गए होंगे ।

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    Types of Accounting in Hindi

    Types of Accounting की बात करें तो यह मुख्य रूप से 6 प्रकार का होता है और सबके अपने अपने उद्देश्य और फायदे होते हैं । हम एक एक करके सभी लेखांकन के प्रकार के बारे में समझेंगे और साथ ही आपको उदाहरण भी देते चलेंगे ताकि आप आसानी से पूरा कांसेप्ट समझ सकें ।

    1. Cost Accounting

    Cost Accounting के बारे में हम आपको पहले ही जानकारी दे चुके हैं । इस प्रकार के अकाउंटिंग में यह पता लगाया जाता है कि कंपनी के उत्पाद या सेवाओं में लगने वाली कुल लागत क्या है । ज्यादा आसान शब्दों में कहें तो वस्तुओं और सेवाओ के उत्पादन में लगने वाली कुल लागत को एनालाइज और ट्रैक करना ही कॉस्ट अकाउंटिंग होता है ।

    इसमें लागत का वर्गीकरण किया जाता है और उसे direct costs, indirect costs, variable costs, fixed costs, और overhead costs में बांट दिया जाता है । ऐसा क्यों किया जाता है ? ताकि व्यवसाय अपने उत्पाद या सेवा के लिए कीमतें निर्धारित कर सके, संसाधनों का आवंटन कर सके आदि ।

    2. Auditing

    पिछले आर्टिकल में हमने आपको Auditing की भी जानकारी दी है । ऑडिटिंग का सीधा उद्देश्य कंपनी द्वारा तैयार Financial Statements सत्यापन करना है । पहले से तय मानकों और नियमों पर कंपनी द्वारा तैयार फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स कितना खरा उतरते हैं, इसकी जांच ऑडिटिंग के ही माध्यम से होती है ।

    पर ऐसा क्यों होता है ? ताकि कंपनी के विभिन्न स्टेकहोल्डर्स को यह आश्वासन दिया जा सके कि कंपनी के फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स सही हैं । अगर ऑडिटिंग नहीं होगी तो कंपनी अपने स्टेकहोल्डर्स को गुमराह कर सकती है । Stakeholders वे व्यक्ति होते हैं जिनका किसी न किसी रूप में कम्पनी में कोई योगदान या संबंध होता है ।

    3. Financial Accounting

    Financial Accounting को हिंदी में वित्तीय लेखांकन भी कहा जाता है, जिसमें Financial Statements तैयार किए जाते हैं । फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स के अंतर्गत निम्नलिखित आते हैं:

    • Balance Sheet
    • Income Statement
    • Cash Flow Statement
    • Statement of retained earnings

    फाइनेंशियल अकाउंटिंग के अंतर्गत बनाए गए बैलेंस शीट, इनकम स्टेटमेंट्स आदि की जरूरत ऑडिटिंग में पड़ती है । इसका उद्देश्य स्टेकहोल्डर्स को कंपनी के वित्तीय स्तिथि और प्रदर्शन की जानकारी देना है । किसी भी कंपनी में Investment को बढ़ावा देने के लिए भी फाइनेंशियल अकाउंटिंग की मदद ली जाती है ।

    4. Management Accounting

    Management Accounting को हिंदी में प्रबंधन लेखांकन कहा जाता है जिसका उद्देश्य कंपनी के मैनेजर्स और एक्जीक्यूटिव को वित्तीय जानकारी प्रदान करना होता है ताकि वे Strategic Business Decisions ले सकें । यह फाइनेंशियल अकाउंटिंग से उलट होता है ।

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    जहां फाइनेंशियल अकाउंटिंग के अंतर्गत फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स तैयार इसलिए किए जाते हैं ताकि बाहरी स्टेकहोल्डर्स को प्रदान किया जा सके तो वहीं मैनेजमेंट अकाउंटिंग में वित्तीय जानकारी कंपनी के अंदरूनी लोगों को प्रदान की जाती है । हालांकि दोनों का उद्देश्य व्यवसाय से सम्बन्धित सही निर्णय लेने में सक्षम होना ही है ।

    5. Tax Accounting

    Tax Accounting को हिंदी में कर लेखांकन कहते हैं । इस प्रकार के लेखांकन का उपयोग कर कानूनों और विनियमों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है । टैक्स अकाउंटेंट टैक्स रिटर्न तैयार करते हैं और कंपनियों को उनकी टैक्स देनदारी कम करने में मदद करते हैं । हर कंपनी चाहती है कि वह कम से कम टैक्स भरे ।

    उनके इस उद्देश्य की पूर्ति में टैक्स अकाउंटिंग मदद करता है । इसमें सबसे पहले कम्पनी के फाइनेंशियल जानकारी को इकट्ठा किया जाता है और इसके पश्चात प्राप्त जानकारी के अनुसार, टैक्स अकाउंटेंट यह तय करते हैं कि कंपनी को कितना टैक्स देना है । इसके पश्चात टैक्स अकाउंटेंट ही अपने क्लाइंट्स की तरफ से टैक्स रिटर्न भी फाइल करते हैं ।

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    6. Forensic Accounting

    अंत में आता है Forensic Accounting जिसे हिन्दी में फ़ोरेसिंक लेखांकन कहते हैं । इस प्रकार के Accounting में फोरेंसिक अकाउंटेंट्स अकाउंटिंग की जानकारी और अन्य कई तकनीकों के इस्तेमाल से वित्तीय अपराध या विवाद को इन्वेस्टिगेट करते हैं । जब भी देश में कोई वित्तीय अपराध या विवाद खड़ा होता है तो फोरेंसिक अकाउंटिंग की मदद ली जाती है ।

    ये law enforcement agencies और legal teams के साथ करीबी से काम करते हैं और किसी भी फाइनेंशियल फ्रॉड या मनी लांड्रिंग का पता लगाते हैं । इनके पास अकाउंटिंग, संबंधित टूल्स और वित्तीय अपराध से संबंधित पूरी जानकारी होती है ।

    Accounting कैसे करते हैं ?

    Process of Accounting यानि अकाउंटिंग की प्रक्रिया में कुल 5 मुख्य चरण होते हैं । हम संक्षेप में अकाउंटिंग कैसे करते हैं समझेंगे:

    Step 1: Accounting की प्रक्रिया में सबसे पहले वित्तीय लेनदेन को रिकॉर्ड किया जाता है । Journal या Ledger में सबसे पहले व्यवसाय के Sales, Purchases, Expenses और Payments को रिकॉर्ड किया जाता है । इसके लिए डबल एंट्री अकाउंटिंग सिस्टम का इस्तेमाल होता है जिसमें डेबिट और क्रेडिट दो कॉलम होते हैं ।

    Step 2: अब रिकॉर्ड किए गए सभी ट्रांजेक्शन का क्लासिफिकेशन यानि वर्गीकरण किया जाता है । सभी वित्तीय लेनदेन को assets, liabilities, revenues और expenses के अंतर्गत बांट दिया जाता है ।

    Step 3: अब वर्गीकरण के हिसाब से ही फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स जैसे बैलेंस शीट, कैश फ्लो स्टेटमेंट्स आदि तैयार किए जाते हैं । इससे कंपनी की वित्तीय स्तिथि और प्रदर्शन का पता चलता है ।

    Step 4: Accounting के अगले चरण में तैयार किए गए फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स को एनालाइज किया जाता है । इससे पता चलता है कि कंपनी/व्यवसाय कैसा प्रदर्शन कर रहे हैं ।

    Step 5: सबसे अंत में एनालाइज किए जाने पर निकले परिणाम का सरलीकरण किया जाता है ताकि स्टेकहोल्डर्स और कम्पनी के अंदरूनी decision makers आसानी से इन्हें समझ सकें और सही निर्णय ले सकें । सरलीकरण करना अर्थात् प्राप्त जानकारी के अनुसार SWOT Analysis करना जिसमें Strength, Weakness, Opportunity और Threats शामिल है ।

    Golden Rules of Accounting in Hindi

    Financial Transactions को रिकॉर्ड करने के लिए अकाउंटिंग में मौलिक सिद्धांत होते हैं, जिन्हें Golden Rules of Accounting कहा जाता है । ये नियम लेखांकन प्रथाओं में सटीकता और स्थिरता सुनिश्चित करने में सहायता करते हैं । चलिए देखते हैं कि अकाउंटिंग में गोल्डन रूल्स क्या क्या हैं:

    1. पहला नियम है Debit the receiver, credit the giver यानि जब कंपनी कैश या इक्विपमेंट के तौर पर कुछ प्राप्त करती है तो उसे हमेशा अकाउंट बुक में डेबिट की तरफ रिकॉर्ड किया जाता है । तो वहीं अगर कंपनी कुछ दूसरों को प्रदान करती है जैसे goods आए services तो इसे अकाउंट बुक में क्रेडिट की तरफ रिकॉर्ड किया जाता है ।

    2. दूसरा नियम है Debit what comes in, credit what goes out । जब कैश कम्पनी को कोई उत्पाद बेचकर या लोन के रूप में प्राप्त होता है तो उसे हम Debit की तरफ रिकॉर्ड करते हैं तो वहीं जब कंपनी से कैश किसी रूप में बाहर जाता है तो उसे हम Credit की तरफ रिकॉर्ड करते हैं ।

    3. तीसरा और अंतिम नियम है Debit expenses and losses, credit income and gains यानि खर्च और नुकसान डेबिट होता है, आय और लाभ क्रेडिट होता है । यह नियम तब अप्लाई होता है जब Income और Expenses को रिकॉर्ड किया जाता है ।

    Terms Related to Accounting in Hindi

    Accounting में कुछ टर्म्स बार बार इस्तेमाल में लाया जाता है । उदाहरण के तौर पर बैलेंस शीट, पेटी कैश, नॉमिनल अकाउंट आदि । इनके बारे में हमने बहुत ही आसान शब्दों में नीचे जानकारी दी है । अगर आप अपनी कक्षा में इन्हें नहीं समझ सकें हैं तो नीचे आसान शब्दों में इन्हें समझ सकते हैं ।

    1. Assets

    Assets को हिंदी में संपत्ति कहा जाता है, यानि जो आपके पास मौजूद है । एक कम्पनी के पास Cash, Property, Inventory, Real Estates, Vehicles आदि मौजूद होते हैं जिन्हें एसेट्स कहा जाता है । Assets को बैलेंस शीट में रिकॉर्ड किया जाता है ।

    Accounting में एसेट्स बहुत ही महत्वपूर्ण फैक्टर होता है क्योंकि इससे पता चलता है कि कंपनी भविष्य में कितना आर्थिक लाभ उत्पन्न करेगी । अगर कोई कंपनी रणनीतिक रूप से संपत्ति में निवेश करे तो लॉन्ग टर्म में उसे सफलता मिलेगी ।

    2. Liabilities

    Liabilities का अर्थ होता है देयताएं या बोझ । लायबिलिटीज वे ऋण हैं जो एक कंपनी पर बकाया है और उसे चुकाना है जैसे Bank debt, Mortgage debt, Money owed to suppliers आदि । इन्हें भी बैलेंस शीट में रिकॉर्ड किया जाता है ।

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    Liabilities को अकाउंटिग में अच्छा नहीं माना जाता है क्योंकि यह वो धनराशि या देयताएं होती हैं जिन्हें कंपनी को चुकानी होती हैं । लायबिलिटीज़ को मैनेज करना और समय पर चुकाना जरूरी होता है ताकि creditors और lenders से अच्छे संबंध बने रहें ताकि भविष्य में जरूरत पड़ने पर आपको तुरंत लोन मिल सके ।

    3. Inventory

    Accounting में इन्वेंट्री का अर्थ उन वस्तुओं या सामग्रियों से होता है जो कम्पनी भविष्य में बेचने के लिए रखती है । उदाहरण के तौर पर फर्नीचर को ले लीजिए, फर्नीचर को बनाने के लिए लकड़ी से लेकर पेंट कई चीजों की आवश्यकता पड़ती है । अब कंपनी हर एक फर्नीचर बनवाने के लिए हर बार इन सामानों के खरीदे जाने का इंतजार तो नहीं ही करेगी ।

    इसलिए वे पहले से ही जरूरी सामानों का इन्वेंटरी तैयार कर लेते हैं जिन्हें भविष्य में बेचा जाएगा या जिनका इस्तेमाल किसी उत्पाद को बनाने के लिए होगा । इसे भी बैलेंस शीट में ही रिकॉर्ड किया जाता है ।

    4. Real Account और Nominal Account

    Accounting में आपने बार बार Real Account और Nominal Account के बारे में सुना होगा । रियल अकाउंट एक अकाउंट टाइप है जो जो tangible assets, liabilities और equity से संबंधित लेनदेन रिकॉर्ड करता है । इन्हें परमानेंट अकाउंट भी कहा जाता है । उम्मीद है कि आप Real अकाउंट क्या है in Hindi समझ गए होंगे ।

    तो वहीं दूसरी तरफ नॉमिनल अकाउंट किसे कहते हैं ? का उत्तर है कि नॉमिनल अकाउंट सिर्फ और सिर्फ revenue, expenses, gains और losses से सम्बन्धित वित्तीय लेनदेन को रिकॉर्ड करता है । इन्हें टेंपरेरी अकाउंट भी कहा जाता है ।

    5. Ledger

    Ledger एक ऐसी पुस्तिका होती है जिसमें वित्तीय लेनदेन का लेखा जोखा मौजूद होता है । पहले यह पेपर के फॉर्मेट में होती थी लेकिन अब इसे कंप्यूटर फाइल के रूप में तैयार किया जा सकता है । इसमें डेबिट और क्रेडिट के दो अलग अलग कॉलम होते हैं ।

    खाता बही यानि लेजर लेखांकन में महत्वपूर्ण है क्योंकि यह कंपनी के वित्तीय लेनदेन के विस्तृत रिकॉर्ड के रूप में कार्य करता है । एक सामान्य बहीखाता के भीतर, लेन-देन संबंधी डेटा को संपत्ति, देनदारियों, राजस्व, व्यय और मालिक की इक्विटी में व्यवस्थित किया जाता है ।

    • Business Studies in Hindi

    Computer Accounting क्या है ?

    जब कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल से वित्तीय लेनदेन रिकॉर्ड करना, वित्तीय रिकॉर्ड बनाए रखना, वित्तीय विवरण तैयार करना और वित्तीय डेटा का विश्लेषण किया जाता है तो इसे हम Computer Accounting कहते हैं ।

    डिजिटलीकरण के बढ़ते प्रभाव से फाइनेंस सेक्टर प्रभावित हुआ है और अब इस सेक्टर में लगभग हर कार्य के लिए कंप्यूटर सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जा रहा है । इसका मूल कारण यह है कि कंप्यूटर सॉफ्टवेयर ज्यादा कुशल और सटीक हैं और साथ ही इनसे गलती होने की संभावना भी लगभग न के बराबर ही होती है । उम्मीद है कि आप कंप्यूटर एकाउंटिंग क्या है समझ गए होंगे । कुछ Computer Accounting Softwares हैं:

    • Zoho Books
    • Xero
    • QuickBooks

    अगर आप सोच रहे हैं कि टैली एकाउंटिंग क्या है ? तो यह भी एक कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के द्वारा किया जाने वाला अकाउंटिंग है जिसे Tally Accounting कहते हैं । टैली सॉफ्टवेयर को Tally Solutions Private Limited ने डेवलप किया है । टैली अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर व्यवसायों को उनके वित्तीय संचालन के प्रबंधन के लिए एक कुशल और प्रभावी तरीका प्रदान करता है । यह छोटे और मध्यम आकार के व्यवसायों के लिए एक लोकप्रिय विकल्प बन चुका है ।

    Accounting कैसे सीखें ?

    अगर आप Accounting सीखना चाहते हैं तो आपके पास दो रास्ते हैं । पहला रास्ता है कि आप कक्षा 10वीं की पढ़ाई पूरी करने के पश्चात 11वीं कक्षा में Commerce Stream चुनें । इसमें आपको Accountancy Subject मिलेगा जिसका अच्छे से अध्ययन करें । इसके पश्चात आप B.Com, BBA और BAF जैसे कोर्स कर सकते हैं ।

    अगर आप सीधे 12th के बाद Accountant बनना चाहते हैं तो CA Foundation Course में एनरोल कर सकते हैं । फाउंडेशन कोर्स के पश्चात आपको CA Intermediateमें रजिस्ट्रेशन करना होगा, फिर Articleship और अंत में आप CA Final Course में रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं । इस कोर्स के पश्चात आप Chartered Accountant बन सकते हैं ।

    • BCA के बाद क्या करें ?
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    आपके पास दूसरा रास्ता है कि आप सीधे किसी Traditional Accounting Course में दाखिला न लेकर ऑनलाइन कोर्सेज से अकाउंटिंग सीखें । इसके लिए आप निम्नलिखित प्लेटफॉर्म के ऑनलाइन कोर्सेज में एनरोल कर सकते हैं:

    • Coursera
    • Udemy
    • Alison

    FAQs on Accounting Meaning in Hindi

    1. अकाउंटिंग मतलब क्या होता है ?

    अकाउंटिंग का मतलब लेखांकन होता है । लेखांकन एक व्यवसाय से संबंधित वित्तीय लेनदेन को रिकॉर्ड करने की प्रक्रिया है ।

    2. अकाउंटिंग में क्या क्या आता है ?

    अकाउंटिंग में Assets, Liabilities, Equity, Revenue, Expenses, Profit और Losses आता है ।

    3. अकाउंटिंग कितने प्रकार के होते हैं ?

    अकाउंटिंग 6 प्रकार के होते हैं ।

    4.अकाउंटिंग कैसे करते हैं ?

    अकाउंटिंग करने के लिए सबसे पहले सभी वित्तीय लेनदेन को रिकॉर्ड किया जाता है, इसके बाद उनका अलग अलग वर्गों में वर्गीकरण करने के पश्चात सभी रिकार्ड को balance sheet, cash flow statement में तैयार किया जाता है । अंत में सभी लेनदेन और अकाउंट को एनालाइज करके यह पता लगाया जाता है कि कंपनी की वित्तीय स्तिथि क्या है ।

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